बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को सदन में जमकर सुनाया। नीतीश ने कहा कि मांझी की बातों का कोई सेंस नहीं है और यह उनकी गलती थी कि मांझी को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार आरक्षण संशोधन विधेयक पर मांझी द्वारा उठाये गये सवालों के जवाब में ये बातें कहीं। संबोधन के दौरान नीतीश कुमार ने डांटते हुए मांझी को बैठने के लिए कहा।
नीतीश ने सदन में मौजूद मीडियाकर्मियों से मुखातिब होकर कहा कि वे लोग (मीडिया) भी बिना मतलब मांझी की बातों को पब्लिश कर देते हैं, जबिक मांझी की बातों में कोई सेंस नहीं होता है।
“इनको (मांझी को) कुछ आइडिया है, यह तो मेरी गलती है कि इस आदमी को हमने बना दिया था मुख्यमंत्री। कोई सेंस नहीं है इसको। ऐसे ही बोलते रहता है कोई मतलब नहीं है,” उन्होंने कहा।
नीतीश ने आगे कहा, “अब यह (मांझी) चाहता है गवर्नर बनना। यह जब हमलोगों के साथ था तब भी उल्टा पुल्टा बोलता था। लगा दीजिये गवर्नर इसको (विपक्षी सदस्यों को संबोधित करते हुए)। बनना चाहता है यह गवर्नर।”
मांझी के किस बयान पर बिफरे नीतीश
दरअसल, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने सदन में बोलते हुए कहा था कि उनको जातीय आधारित गणना के आंकड़ों पर भरोसा नहीं है और यह गणना ठीक से नहीं हुआ है।
“जनगणना पर हमको विश्वास नहीं है, जनगणना ठीक से हुआ ही नहीं है। लोग (जनगणना कर्मी) घर पर पहुंचे ही नहीं हैं, सिर्फ टेबल वर्क किया गया है। इसलिए उसके (जाति आधारित गणना के) आधार पर कुछ करते हैं तो स्थिति वही होगी कि जिसको हक मिलना चाहिए उसको हक नहीं मिलता है,” उन्होंने कहा।
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मांझी ने आगे कहा था कि अम्बेडकर साहब ने (जब आरक्षण) शुरू किया था, तो कहा था कि दस बरस में इसकी समीक्षा होनी चाहिए। क्या आज तक बिहार सरकार ने आरक्षण, चाहे सेवाओं में हो या नामांकन में हो, की समीक्षा करने का कष्ट किया है?
मांझी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि सिर्फ आरक्षण बढ़ा देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि इसको लागू करने के लिए धरातल पर मैकेनिज्म को विकसित करना होगा, लेकिन हमसब जानते हैं कि सरकार ने आजतक ऐसा कोई मैकेनिज्म विकसित नहीं किया है।
मांझी ने संबोधन के दौरान कहा था कि आरक्षण को लागू करने के लिए धरातल पर कोई मैकेनिज्म विकसित किये बिना आरक्षण का दायरा बढ़ा देने से भी कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा।
बताते चलें कि बिहार विधानसभा में बिहार आरक्षण संशोधन विधेयक गुरूवार को पास हो गया। अब बिहार में 75 फीसद आरक्षण लागू हो जायेगा। उल्लेखनीय है कि सदन में विधेयक बिना किसी विरोध के सर्वसम्मति से पास हुआ।
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