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समाधान यात्रा: सीएम से नहीं मिल पाए ग्रामीण, अनसुनी रह गई मांगें

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाधान यात्रा के दौरान 2 फरवरी 2023 को सहरसा जिले के कहरा प्रखंड अंतर्गत बल्हा पट्टी पंचायत के गढ़िया गांव पहुंचे।

Sarfaraz Alam Reported By Sarfraz Alam |
Published On :
Samadhan Yatra in Saharsa

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाधान यात्रा के दौरान 2 फरवरी 2023 को सहरसा जिले के कहरा प्रखंड अंतर्गत बल्हा पट्टी पंचायत के गढ़िया गांव पहुंचे। यहां पहले से निर्धारित सरकारी कार्यक्रमों में उन्होंने भाग लिया।


उन्होंने पंचायत सरकार भवन का निरीक्षण किया। साथ ही उन्होंने इस गांव में बने मॉडल आंगनबाड़ी केंद्र का भी दौरा किया। उसके बाद सहरसा में बनाए गए जिला मॉडल अस्पताल का उन्होंने उद्घाटन किया और फिर प्रशासनिक महकमे के साथ बैठक की।

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गांव के लोग सुबह से ही अपने आवेदन व मांग पत्र लेकर मुख्यमंत्री के इंतजार में थे। लेकिन घंटों के इंतजार के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री से मिलना तो दूर उन्हें देखने तक का भी मौका नहीं मिला।


क्या बोले ग्रामीण

इससे वहां मौजूद लोग आक्रोशित हो गए। लोगों ने समाधान यात्रा पर आरोप लगाते हुए कहा कि सीएम नीतीश कुमार की यह यात्रा पूरी तरह से विफल साबित हो रही है। जब यात्रा का मुख्य उद्देश्य जनता की समस्याओं का समाधान करना था और उसी यात्रा में जनता मुख्यमंत्री से मिल ही ना पाए तो ऐसी यात्रा का क्या मतलब रह जाता है।

मौके पर मौजूद स्थानीय मोहम्मद नजीर कहते हैं, “हम लोगों को तो बहुत आशा थी कि सीएम साहब आ रहे हैं हमारे क्षेत्र में। सभी जनता आस लगाए हुए बैठी थी कि कम से कम फीता काटने तो हम लोग मुख्यमंत्री को देखें, लेकिन यहां इतने बैरिकेड लगे हुए हैं कि हम लोगों को वहां जाने की तो दूर, एक किलोमीटर की दूरी से भी देखने की संभावना नहीं है।”

वह आगे कहते हैं, “हम लोग जो अपनी समस्या उन्हें बताने वाले थे, उसको बताने का मौका ही नहीं मिला।”

इसके बाद मोहम्मद नजीर अपनी जेब से एक पर्चा निकाल कर दिखाते हुए कहते हैं, “यह देखिए, जेब में आवेदन लिखा पड़ा है। सोचा था कि मुख्यमंत्री को हम आवेदन देंगे। लेकिन हम लोगों को उनके पास तक जाने नहीं दिया गया।”

जब उनसे पूछा गया कि क्या भीड़ बहुत होने के कारण आपको मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया गया तो वह जवाब देते हैं, “भीड़ कहां है? 500 आदमी भी नहीं है। अगर यहां के कार्यकर्ता चाहते तो ऐसा कर सकते थे कि उनको एक जगह बैठा कर फ़ीता कटवाते ताकि आम जनता भी उनको देख सकती। उनसे मिलकर अपनी बात कह सकते, लेकिन किसी भी आम जनता को अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई है।”

“दर्शन तो हुए नहीं मुलाकात कहां से होगी। इतना पुलिस फोर्स और बैरिकेडिंग लगी हुई है। अब उनकी नजर में समाधान यात्रा सफल है, तो वह करें, हम लोगों की नजर में तो कुछ भी नहीं है। खाली पब्लिक के पैसे का गलत इस्तेमाल है। करोड़ों रुपए का मिस यूज हो रहा है,” यह कहना है मौके पर मौजूद अरुण कुमार यादव का।

अरुण कुमार कहते हैं कि इन लोगों को लगता है कि यह गांव की सड़क पर घूम कर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन सच पूछा जाए तो इस यात्रा का कोई मतलब ही नहीं बनता है।

मुख्यमंत्री मद्धम विकास का ठीकरा केंद्र से सिर फोड़ा

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मीडिया ने बातचीत की, तो उन्होंने बिहार के विकास की धीमी गति के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया।

बिहार में बढ़ते ऋण के संदर्भ में मुख्यमंत्री ने मीडिया से कहा, “आप समझिए कि अब राज्यों को और भी अपना काम आगे बढ़ाने के लिए और ऋण की जरूरत पड़ेगी ना। जो पैसा है उसमें तो होगा नहीं, जरूरत पड़ेगी तो लेना चाहिए। हम लोग तो नहीं लेते थे बहुत कम लेते थे।”

वह आगे कहते हैं कि लाख हम लोग कहते रहें सरकार से कि विशेष राज्य का दर्जा दीजिए, लेकिन केंद्र सरकार कुछ सुन ही नहीं रही। अगर विशेष राज्य का दर्जा दे देते तो बिहार या बिहार जैसे अन्य पिछड़े राज्य जो हैं, उन सबको मदद मिल जाती और उनका विकास होता।

नीतीश कुमार ने आगे कहा कि जो भी राज्य के पास पैसा होता है, वह केंद्र सरकार की योजनाओं में चला जाता है। अगर केंद्र योजना बनाता है, तो उसे अपने बल पर बनाना चाहिए। नामकरण उनका होता है लेकिन पैसा खर्च राज्यों का होता है। जब केंद्र सरकार इस सब में पैसा ले रही है, तो राज्यों को अन्य प्रकार से मदद मिलनी चाहिए ना।

उन्होंने आगे कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई भी राज्य अपने विकास के लिए बाहर से कोई ऋण ले तो उसकी लिमिट बढ़नी चाहिए तभी तो विकास होगा, यही हम लोग चाह रहे हैं। वैसे तो आप लोग देख लीजिए कि इन सब तरह की दिक्कतों के बावजूद भी बिहार कितना आगे बढ़ रहा है।

इसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर कहते हैं, “केंद्र सरकार के बजट में काफी कमियां हैं, मनरेगा जितनी पुरानी और महत्वपूर्ण योजना है विकास के लिए, इसमें पहले 73,000 करोड़ों रुपए का प्रोविजन था अब उसको घटाकर 60,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है।”

“वैसे ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना‌ में 68,000 लाख रुपये का प्रोविजन था, जिसको घटाकर 60,000 लाख रुपए कर दिया। वैसे तो आप बोलते हैं कि हम किसानों का बहुत सम्मान करते हैं लेकिन उन्हीं की योजनाओं से पैसा काट रहे हैं,” मुख्यमंत्री ने कहा।

“इसके अलावा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को लीजिए। आप कृषि की बात करते हैं, लेकिन कृषि सिंचाई योजना में भी पैसा घट गया है। इसी तरह राष्ट्रीय शिक्षा मिशन से भी बजट कम किया गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी घटा है, तो जो सबसे महत्वपूर्ण चीज है उसी में इन लोगों ने बजट घटा दिया है यह कौन सी बात हुई?,” नीतीश कुमार ने कहा।

अंत में मीडिया ने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि सहरसा में ओवर ब्रिज कब बनाया जाएगा तो इस पर उन्होंने सरसरी सा जवाब देते हुए कहा, “हां हां सब को देखा जाएगा।”

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एमएचएम कॉलेज सहरसा से बीए पढ़ा हुआ हूं। फ्रीलांसर के तौर पर सहरसा से ग्राउंड स्टोरी करता हूं।

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