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“यह आदमी फ्रॉड है”- नौकरी के नाम पर ठगी का शिकार हुए किशनगंज के युवकों ने शहर में लगाए पोस्टर

मोतीबाग़ करबला के रहने वाले 20 वर्षीय अता अब्बास ने कहा कि उसने शाहबाज़ को नौकरी के लिए 1,500 रुपये दिए थे। उसके जानने वालों में 10 से 12 युवकों ने भी नौकरी देने की बात पर पैसे दिए थे। कई महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें न कोई नौकरी मिली न पैसे लौटाए गए।

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बिहार के किशनगंज जिले के किशनगंज शहर में कुछ युवा जगह जगह पोस्टर लगा रहे हैं। पोस्टर पर एक व्यक्ति की फोटो है जिसका नाम शाहबाज़ बताया जा रहा है। पोस्टर में लिखा गया है, “नौकरी के नाम पर ठगी, शाहबाज़ युवाओं के पैसे लेकर फरार। यह आदमी फ्रॉड है इससे आपलोग बचे रहें। आदमी से पैसे लेकर नौकरी दिलाने का वादा करके पैसे लेकर भाग गया।”

नौकरी के लिए पैसे देने वाले किशनगंज के कुछ युवाओं से हमने बात की। उन्हीं में से एक जीशान रज़ा ने बताया कि शाहबाज़ ने उन्हें किशनगंज से सटे पश्चिम बंगाल के रामपुर में किसी दवाई की सप्लाई दुकान में काम दिलाने की बात कही थी। किशनगंज नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत वार्ड संख्या 4 के पानीबाग़ चौक निवासी ज़ीशान ने आगे बताया की नौकरी पाने के लिए उसने शाहबाज़ को 3,000 रुपये दिए थे।

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“कई हफ्ते बीत गये लेकिन नौकरी का कोई अता पता नहीं था। उसको फ़ोन करते थे तो फोन नहीं उठाता था। फिर एक दिन फ़ोन उठाया तो बोला, पैसा मिल जाएगा। एक महीने पहले हमको 1,000 दिया, अभी हम 2,000 रुपये और पाते हैं। कल शाम को 6 बजे का टाइम दिया था लेकिन अभी तक पैसा नहीं दिया।श,” ज़ीशान रज़ा ने कहा।


ज़ीशान की मानें तो पैसे दिए करीब 5 महीने हो गए हैं। अलग अलग नम्बरों से कॉल करने के बाद किसी तरह तीन महीने बाद शाहबाज़ ने उसे 1,000 रुपये दिए। उसके साथ बाकी जिन लड़कों ने पैसे दिए थे उनमें से अधिकतर लड़कों को एक रुपया भी अब तक वापस नहीं मिला है।

मोतीबाग़ करबला के रहने वाले 20 वर्षीय अता अब्बास ने कहा कि उसने शाहबाज़ को नौकरी के लिए 1,500 रुपये दिए थे। उसके जानने वालों में 10 से 12 युवकों ने भी नौकरी देने की बात पर पैसे दिए थे। कई महीने बीत जाने के बाद भी उन्हें न कोई नौकरी मिली न पैसे लौटाए गए।

kishanganj youths with fraudsters poster

“बस तारिख देता है, पैसा नहीं देता”

अता अब्बास ने कहा, “वे बोले थे, तुमलोग को हम काम दिलाएंगे अच्छा से अच्छा। पहले वह 3,000 बोले तो हम बोले भईया गरीब आदमी हैं, तो वो बोले कि तुम 2,000 दे देना। हम मम्मी से 1,500 लेकर उनको दिए। अब फ़ोन करते हैं तो उनका नंबर नहीं लगता है। जब पैसा लेने की बात हुई तो वह मेरी मम्मी से बात किए थे और बोले थे कि निश्चिंत रहिए, हम अच्छा जॉब दिला देंगे।”

उसने आगे कहा, “सैलरी बोले थे कि साढ़े बारह हज़ार दिलाएंगे। रामपुर चेकपोस्ट में दवाई पैक करने का काम था। वह बोले कि फ़ोन कर के बुलाएंगे लेकिन फ़ोन नहीं किए। किसी से 2,000, किसी से 3,000 … ऐसे कर के लिए। वह (शाहबाज़) जहां भाड़ा पर रहते थे हम लोग वहां गए तो बोला कि वह 3, 4 महीने से नहीं है। हम तो बोलेंगे कि कभी किसी को ऐसे पैसा नहीं देना चाहिए। जब उस आदमी को कॉल करते हैं तो वह बस तारीख देता है पैसा नहीं मिलता।”

कुतबगंज हाट वार्ड संख्या 4 के नज़र अब्बास ने बताया कि जुलाई 2023 को उसने शाहबाज़ को 2,500 रुपये दिए थे। शाहबाज़ ने उससे अच्छी तनख्वाह वाली जॉब देने का वादा किया था और कहा था कि रामपुर स्थित दवाई की बड़ी दुकान से फ़ोन आएगा और बिना किसी इंटरव्यू के काम मिल जाएगा। महीनों बाद भी नौकरी न मिलने पर अब्बास ने शाहबाज़ से पैसे वापस मांगे तो शाहबाज़ ने कहा कि उसकी पत्नी की तबीयत खराब है, सारे पैसे एक महीने तक मिल जाएंगे।

करीब दो महीने बाद फिर से कॉल करने पर शाहबाज़ ने दोबारा कुछ दिनों का समय माँगा‌। यह सिलसिला यूँ ही चलता रहा। नज़र अब्बास की मानें तो शाहबाज़ खुद को किशनगंज के बिशनपुर का रहने वाला बताता है।

ठगी का शिकार हुए इन युवाओं ने अब तक पुलिस में शिकायत नहीं की है। हमने इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि वह पुलिस में नहीं जाना चाहते क्योंकि इसमें और लंबी कार्रवाई होगी और शायद और पैसे भी जुटाने होंगे। “भैय्या हम लोग पुलिस में नहीं जाना चाहते। पैसा तो हमारा डूब गया है अब पुलिस थाना नहीं करना चाहते। उतना पैसा भी नहीं है और घर वाला भी मना करता है पुलिस के पास बोलने से,” एक पीड़ित ने कहा।

मकान मालिक ने कहा – तीन महीने से नहीं आया

किशनगंज नगरीय क्षेत्र के मोहिउद्दीनपुर में शाहबाज़ किराए पर एक घर में रहा करता था। जब हम वहाँ पहुंचे तो मकान मालिक ने बताया कि शाहबाज़ तीन महीने से यहां नहीं आया है।

आसपास के लोगों से पूछने पर पता चला कि शाहबाज़ लगभग तीन सालों से उस घर में रहता था। शुरू शुरू में वह बच्चों का हॉस्टल भी चलाता था लेकिन फिर वहां अकेले रहने लगा। मोहिउद्दीनपुर में एक व्यक्ति ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि शाहबाज़ ने नौकरी दिलाने के लिए उससे भी पैसा लिया था लेकिन नौकरी नहीं मिली और पैसा भी डूब गया।

शाहबाज़ के किराए वाले घर पर जाने से डेढ़ महीने पहले कुछ युवकों ने ‘मैं मीडिया’ से संपर्क कर मामले से अवगत कराया था जिसके बाद हमने शाहबाज़ से फ़ोन पर बात की थी। तब उसने कहा था कि 10 दिनों के अंदर सभी लड़कों के पैसे मिल जाएंगे। डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी पैसा न मिलने पर युवकों ने पिछले दिनों हमें दोबारा संपर्क किया।

शाहबाज़ से बात करने पर फिर एक नई तारीख मिली

हमने शाहबाज़ से दोबारा फ़ोन पर बात की, तो शाहबाज कहा कि कुछ महीने पहले उसने जॉब कंसल्टेन्सी का काम शुरू किया था जिसके तहत वह युवाओं को रोजगार देता था। इसी सिलसिले में उसने कई लड़कों से पैसे लिए थे जो उनके आने जाने के खर्च के लिए था।

“कुछ लेनदेन का मामला है, जो गार्जियन न हैं उनसे मेरी बात हुई है। उन लोगों को पेमेंट सोमवार को हो रहा है। हमारी कंसल्टेन्सी थी उसमें वे लोग अप्लाई किए थे जॉब के लिए। पैसा जो लिए थे वे आने जाने का खर्च था। उन लोग का जॉब सिलीगुड़ी में हो रहा था। वैकेंसी थी लेकिन किसी कारण जॉब नहीं हो पाया तो उन सबको पैसा वापस हो रहा है। सोमवार को हो जाएगा,” शाहबाज़ बोला।

उसने आगे कहा, “अभी हम कंसल्टेन्सी बंद कर दिए हैं और मेरा जो निजी पैसा था, वह भी लग गया। आने जाने के खर्च के तौर पर हमने पैसा लिया था, खाने के लिए नहीं लिया था। एक लड़के से 1500-2000 कर के लिया गया था। अभिभावकों से मेरी लगातार बात हो रही है। एहसान भाई से मेरी बात हुई जो अली, अता और हसनैन के गार्जियन हैं। कांग्रेस जिला अध्यक्ष चिंटू भाई से भी मेरी बात हुई है। हम उनको बोल दिए हैं कि सोमवार सबको पैमेंट हो जाएगा।” ”

पीड़ितों ने शाहबाज़ की बातों को झूठ बताया

शाहबाज़ के अनुसार वह कुछ लड़कों को काम दिलाने सिलीगुड़ी लेकर गया था लेकिन बार बार पूछे जाने पर भी उसने हमें उन लड़कों का नाम नहीं बताया। साथ ही उसने कहा कि ज़ीशान रज़ा ने उसे 2500 रुपए दिए थे जिसमें उसके 50% पैसे वापस कर दिए गए हैं और बाकी बचे पैसे आज शाम तक वापस हो जाएंगे।

अगले दिन हमने ज़ीशान रज़ा से दोबारा बात की। ज़ीशान ने बताया कि उसने शाहबाज़ को 2,500 नहीं बल्कि 3,000 रुपये दिए थे जिसमें से 1,000 रुपए वापस किये गये हैं जो कि कुल पैसे का 33% होता है। बाकी बचे पैसे उसे अब तक नहीं दिए गए हैं।

वहीं, नज़र अब्बास ने कहा कि शाहबाज़ उसका कॉल नहीं उठाता है और पहले जब उठाता था तो सिर्फ तारीख देता था लेकिन उसने अब तक रुपया नहीं दिया है। नज़र ने यह भी कहा कि शाहबाज़ ने जॉब के लिए रामपुर का नाम लिया था सिलीगुड़ी का नहीं।

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