शंकर सिंह, फ़रवरी 2005 में रुपौली विधानसभा से लोजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन नवंबर 2005 में उनकी हार हो गई थी। 2010 में भी शंकर सिंह राजद समर्थित लोजपा के उम्मीदवार बने थे। 2015 में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। 2020 में लोजपा ने उन्हें वापस उम्मीदवार बनाया और 44,494 वोट लेकर दूसरे स्थान पर थे। वहीं प्रतिमा सिंह 2013 में निर्विरोध पूर्णिया जिला परिषद अध्यक्ष बनी थीं।
कलाधार प्रसाद मंडल 2020 के विधानसभा चुनाव में रुपौली सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें 6,197 वोट लाकर वह चौथे स्थान पर रहे थे।
10 जुलाई को पूर्णिया की रुपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिये मतदान होने जा रहा है। यह सीट जदयू विधायक बीमा भारती के इस्तीफ़े से ख़ाली हुई है।
किशनगंज सीट पर अबतक कांग्रेस 10 बार जीतने में कामयाब रही है। पिछले चार लोकसभा चुनावों के अलावा कांग्रेस ने 1957, 1962, 1971, 1980, 1984 और 1989 में यहां से जीत दर्ज की है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यह सीट कांग्रेस का गढ़ है, और अब तक पार्टी इस सीट पर काफी मजबूत स्थिति में रही है।
क्या किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के नेताओं ने अपना वोट कांग्रेस के तरफ ट्रांसफर करवाया है। चुनाव खत्म होते ही किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में इसकी चर्चा बढ़ गई है।
मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ अपनी तस्वीर फेसबुक पर शेयर करते हुए पप्पू यादव ने लिखा कि कांग्रेस की विचारधारा से वह पहले से ही जुड़े हुए हैं तथा सामाजिक न्याय की लड़ाई हो या मानव सेवा और जन कल्याण की बात हो, वह मुखरता से आवाज बुलंद करते रहेंगे।
कृष्ण कल्याणी 2021 में BJP के टिकट पर रायगंज से विधायक बने थे, लेकिन, कुछ समय बाद ही वह TMC में शामिल हो गये थे।
पप्पू यादव 1991 (चुनाव आयोग द्वारा परिणाम पर रोक के बाद 1995 में आया रिजल्ट), 1996 और 1999 में पूर्णिया से चुनाव जीते थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उदय सिंह उर्फ़ पप्पू सिंह ने उन्हें 12,883 वोटों के अंतर से हराया, जिसके बाद यादव मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीत कर संसद पहुंचे थे।
रुपौली से 2000 से बीमा भारती जीत रही हैं। फ़रवरी 2005 के चुनाव में उन्हें लोजपा के शंकर सिंह ने हराया था, लेकिन नवंबर 2005 में वह वापस जीत गयी थीं। तबसे लगातार बीमा भारती यहाँ से जीत रही हैं।
पिछले कुछ चुनावों के आकड़े देखें तो अररिया में जीत या हार के बावजूद राजद सिर्फ दो ही विधानसभा क्षेत्र जोकीहाट और अररिया में बढ़त ले पाती है। इस बार भी वही हुआ है, लेकिन 2019 के मुक़ाबले राजद का वोट सभी छः विधानसभा क्षेत्रों में बढ़ा है, जबकि भाजपा का वोट नरपतगंज, रानीगंज और सिकटी विधानसभा क्षेत्रों में घटा है। वहीं जोकीहाट और फॉरबिसगंज विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का वोट एक-एक हज़ार बढ़ा है।
पत्रकारों से चर्चा के दौरान कुशवाहा ने कहा कि सोशल मीडिया का ज़माना है, उच्च तकनीक है, किसी को कुछ बताने की जरुरत है? उन्होंने आगे कहा कि सबको सब कुछ मालूम है, हमको कुछ नहीं कहना है और हमको कहने की जरुरत भी नहीं है।
मुजाहिद आलम फेसबुक लाइव के दौरान अपने कुछ करीबी लोगों से नाराज़ दिखे। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनके साथ छल किया जिस कारण उन्हें चुनाव में हार मिली।
संतोष कुशवाहा ने अंतिम समय तक प्रतिस्पर्धा में बरकरार रखने के लिये लोगों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि पूर्णिया के लोगों ने उनको एक बार विधायक और दो बार सांसद बनाया है और इसके लिये वे पूर्णिया की जनता का ताउम्र ऋणी रहेंगे।
इस बार कांग्रेस के 7 मुस्लिम उम्मीदवार, तृणमूल कांग्रेस के 5, समाजवादी पार्टी के 4, इंडियन मुस्लिम लीग के 3, जम्मू कश्मीर नेश्नल कांफ्रेंस के 2, निर्दलीय 2 और AIMIM के एक मुस्लिम उम्मीदवार सांसद बने हैं।
पप्पू यादव ने कहा कि उनको पूर्णिया के हर वर्ग के लोगों का साथ मिला। पूर्णिया का हर इंसान जो अपने हक की लड़ाई लड़ना चाहता था उसने उनपर भरोसा जताया। आगे उन्होंने कहा कि कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ कहा जाता था लेकिन वहां भी उन्हें बढ़त मिली। पूर्णिया में उन्हें हर धर्म, जाति और वर्ग के लोगों ने उन्हें वोट दिया।