भाजपा नेता संजीव मिश्रा हत्याकांड में पुलिस को प्रारंभिक सफलता मिली है। कटिहार एसपी जितेंद्र कुमार ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, “कुल 11 लोगों को इस मामले में नामजद अभियुक्त बनाया गया है और इसमें 2 आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। प्रारंभिक जांच में मामला आपसी दुश्मनी से जुड़ा हुआ लग रहा है, हालांकि पुलिस अन्य सभी संभावित बिंदुओं पर जांच कर रही है।”
उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। भाजपा नेता संजीव मिश्रा की मौत के बाद कुछ लोगों ने पुलिस थाने में तोड़फोड़ की थी, इस पर एसपी जितेंद्र कुमार ने कहा कि इस मामले में भी पुलिस ने FIR दर्ज कर लिया है और उत्पात मचाने वालों की पहचान कर उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
संजीव मिश्रा के व्यक्तिगत लाइसेंस हथियार के बारे में पूछने पर एसपी ने कहा, “1 अप्रैल को उनका आवेदन आया था जिसके बाद उन्हें आर्म्स दिया गया था जिसे सितंबर में उन्होंने वापस दे दिया था, उसके बाद उनकी तरफ़ से आर्म्स रिन्यूअल के लिए हमें कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ।”
मामले पर क्या बोले बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम
भाजपा नेता संजीव मिश्रा की हत्या के बाद बड़े नेताओं का उनके घर पहुंचने का सिलसिला जारी है। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने पीड़ित परिवार के घर पहुंच कर जल्द सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है। पूर्व डिप्टी सीएम ने हत्या के पीछे पीएफआई कनेक्शन की भी आशंका जताते हुए प्रशासन से इस मामले को गंभीरता से लेने की नसीहत दी।
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मृत संजीव मिश्रा के परिजनों से मिलने पहुंचे राजद प्रदेश महासचिव समरेंद्र कुणाल ने कहा कि भाजपा अपने दोष को महागठबंधन सरकार के माथे मढ़ना चाहती है। उन्होंने ये भी कहा कि दिवंगत संजीव मिश्रा के एक एक हत्यारे को पुलिस धर दबोचेगी और हत्यारों को कठोर से कठोर सजा मिलेगी।
संजीव मिश्रा के परिजनों से घटना की जानकारी लेने के बाद समरेंद्र कुणाल ने बताया कि वर्ष 2018 में तेलता में उनके निजी आवास में ही बहनोई पंकज झा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, उसके बाद दिसंबर 2021 में संजीव मिश्रा को गोली मारी गई थी। सौभाग्य से इलाज के बाद वह ठीक हो गए थे।
समरेंद्र कुणाल ने यह भी बताया कि इस घटना के बाद संजीव मिश्रा को दो महीने के लिए सुरक्षा गार्ड दिया गया था जिसे फरवरी 2022 में हटा लिया गया था, तब राज्य में सरकार भाजपा की थी । कुणाल ने आगे कहा कि नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी द्वारा संजीव मिश्रा की हत्या पर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है।
कुणाल कहते हैं, “2018 से 2021 के बीच भाजपा के मंत्री संजीव मिश्रा मामले को गंभीरता से लेते तो वह आज जिन्दा होते।”
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