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डोमिसाइल के लिये मुख्यमंत्री के पास कई बार गये, लेकिन उन्होंने डोमिसाइल नीति को निरस्त कर दिया: पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर

बिहार में डोमिसाइल नीति को लागू करने को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि वह डोमिसाइल नीति को लागू करवाने के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास कई बार गये थे, लेकिन नीतीश कुमार ने 25 जून को डोमिसाइल नीति को निरस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि ना चाहते हुए भी उनको यह फैसला स्वीकार करना पड़ा।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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former education minister chandrashekhar

राष्ट्रीय जनता दल विधायक और सरकार में पूर्व शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने डोमिसाइल नीति, सक्षमता परीक्षा और नियोजित शिक्षकों के मुद्दे पर बिहार विधानसभा में खुलकर अपनी बात रखी। संबोधन के दौरान चंद्रशेखर ने कहा कि शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने सलाह दी थी कि सक्षमता परीक्षा कराने की जिम्मेदारी राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को मिले, लेकिन उनकी यह बात नहीं मानी गई।


चंद्रशेखर ने कहा कि एससीईआरटी को नियोजित शिक्षकों से संबंधित दक्षता परीक्षा लेने का अनुभव है, इसलिये वह चाहते थे कि सक्षमता परीक्षा भी एससीईआरटी ही आयोजित करे। चंद्रशेखर ने इस दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर भी निशाना साधा।

सक्षमता परीक्षा पर ही सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कह दिया कि जब नियोजित शिक्षक दक्षता परीक्षा पास कर चुके हैं, तो उनके लिये सक्षमता परीक्षा की आवश्यकता नहीं थी।


“नियोजित शिक्षकों की परीक्षा अलग से लेने का जो प्रावधान हुआ तो हमने सलाह दी थी कि (यह परीक्षा) एससीईआरटी से कराइये। क्योंकि एससीईआरटी को दक्षता परीक्षा लेने का व्यापक अनुभव है। एक शिक्षक जब दक्षता परीक्षा पास कर गया तो पुनः उसकी परीक्षा की क्या ज़रूरत है…उस समय मेरी बात नहीं मानी गई,” उन्होंने कहा।

“एसीएस उलझने में माहिर हैं”

केके पाठक पर बोलते हुए चंद्रशेखर ने कहा कि केके पाठक उलझने में माहिर हैं और विभाग में आते ही वह बिहार लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष से उलझ गए। हालांकि, इस दौरान उन्होंने केके पाठक का नाम नहीं लिया और सिर्फ एसीएस (अपर मुख्य सचिव) बोल कर निशाना साधा।

“हमारे नये जो एसीएस साहब आये, आते-आते बीपीएससी के अध्यक्ष से उलझ गये। (ये बातें) सार्वजनिक हैं, सब जानते हैं। फिर उलझ गये। पता नहीं उलझने में वह माहिर हैं और क्या करते,” उन्होंने कहा।

“डोमिसाइल को लेकर सीएम को कई बार कहा”

बिहार में डोमिसाइल नीति को लागू करने को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि वह डोमिसाइल नीति को लागू करवाने के लिये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास कई बार गये थे, लेकिन नीतीश कुमार ने 25 जून को डोमिसाइल नीति को निरस्त कर दिया। उन्होंने कहा कि ना चाहते हुए भी उनको यह फैसला स्वीकार करना पड़ा।

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“डोमिसाइल मुद्दा एक बड़ा मुद्दा था। डोमिसाइल महागठबंधन सरकार के एजेंडे का हिस्सा था। डोमिसाइल नीति लागू करने के लिये हम मुख्यमंत्री के पास नियमावली लेकर जाते थे। विजय बाबू हर समय वहां (मौजूद) रहते थे। नियमावली है उत्तराखंड में, गुजरात में, महाराष्ट्र में, वेस्ट बंगाल में और झारखंड के अलावा अधिकांश राज्यों में डोमिसाइल नीति लागू है,” उन्होंने कहा।

चंद्रशेखर ने आगे कहा, “लेकिन (शिक्षा विभाग के) अधिकारी पढ़ाते थे कि सभी जगह निरस्त हो गया। मेरी चुनौती है कि अगर निरस्त हुआ है उत्तराखंड में, यदि निरस्त हुआ है छत्तीसगढ़ का या देश के अन्य राज्यों का, तो मैं सरकार से जवाब चाहूंगा कि कब निरस्त हुआ।”

चंद्रशेखर ने कहा कि उन्होंने सक्षमता परीक्षा से संबंधित कई सुझाव विभागी अधिकारियों को दिये, लेकिन उसको नहीं माना गया। उन्होंने कहा कि अगर उनकी सलाह मान ली गई होती हो आज नियोजित शिक्षक आंदोलन के लिये मजबूर नहीं होते।

शिक्षकों के पदस्थापन को लेकर चंद्रशेखर ने कहा कि इसको दंड के रूप में नहीं दिया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से हज़ारों शिक्षकों ने योगदान नहीं दिया है। उन्होंने शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी से इस मुद्दे पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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