रविवार की शाम जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादी हमले में बिहार के अररिया जिले के दो मजदूरों की मौत हो गई और एक युवक बुरी तरह जख्मी हो गया।
पिछले 16 दिनों में गैर-कश्मीरी नागरिकों पर हमले की ये तीसरी वारदात थी। इससे पहले 5 अक्टूबर को बिहार के भागलपुर के रहने वाले एक व्यक्ति को गोली मार दी गई थी। वे श्रीनगर में गोलगप्पा बेचते थे। इसके बाद 16 अक्टूबर की शाम अलग-अगल जगहों पर आतंकियों ने बिहार के बांका और उत्तर प्रदेश के रहने वाले दो व्यक्तियों की हत्या कर दी थी।
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रविवार के हमले में मारे गये दोनों युवकों के नाम राजा ऋषिदेव और योगेंद्र ऋषिदेव हैं। जख्मी व्यक्ति की पहचान चुनचुन ऋषिदेव के रूप में हुई है। राजा ऋषिदेव और चुनचुन अररिया जिले के रानीगंज प्रखंड के बौसीं थाना क्षेत्र और योगेंद्र अररिया प्रखंड की बनगामा पंचायत के खेरूगंज के रहने वाले थे।
रविवार की शाम घटना की खबर जब दोनों गांवों में पहुंची, तो हाहाकार मच गया। राजा और योगेंद्र के परिवार आर्थिक तौर पर बेहद कमजोर हैं व दोनों की मजदूरी से ही परिवार चलता था।
बताया जाता है कि यहां उन्हें मनरेगा के तहत काम नहीं मिला और न ही दूसरे काम का इंतजाम हो पाया, इसलिए ठेकेदार के कहने पर उसके साथ जम्मू-कश्मीर चले गये।
राजा ऋषिदेव की चाची सीता देवी कहती हैं,
“7-8 महीने पहले मेरा बेटा और दो भतीजे कश्मीर गये थे। यहीं से एक ठेकेदार उन्हें ले गया था। वहां वे ढलाई का काम करते थे, लेकिन ठेकेदार पैसा नहीं दे रहा था। मेरा बेटा और एक भतीजा वापस लौट आया था, लेकिन राजा नहीं लौटा। उसकी हत्या की जिम्मेदारी कौन लेगा?”
योगेंद्र के चार छोटे-छोटे बच्चे और पत्नी हैं। बच्चे पिता की मौत से अनजान हैं और पत्नी की आंखों से आंसू थम नहीं रहे।
उनकी पत्नी उर्मिला देवी कहती हैं,
“4-5 महीने पहले ही गये थे लेकिन कोई पैसा नहीं भेजा था, क्योंकि ठेकेदार पैसा दे नहीं रहा था।”
योगेंद्र ने शाम पांच के आसपास फोन किया था और यहां का हाल चाल पूछा था। इसके कुछ देर बाद फोन आया कि उसे गोली मार दी गई है।
योगेंद्र की सास भुलनिया देवी कहती हैं,
“बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। अब सरकार इनकी परवरिश का जिम्मा ले।” उन्होंने लाश गांव भेजने की मांग की ताकि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके।
हमले में जख्मी चुनचुन के पिता तेजू ऋषिदेव कहते हैं,
“ठेकेदार को हम बार बार बोल रहे थे कि वो बेटों को भेज दे, लेकिन वो भेज नहीं रहा था। अब खबर मिली कि उसे गोली मार दी गई है। घटना की खबर जब से मिली है, खाना तक नहीं खाया है।”
अररिया के अलग-अलग हिस्सों से सैकड़ों की संख्या में लोग जम्मू-कश्मीर में रहकर मजदूरी करते हैं। इस घटना के बाद से वे लोग सहमे हुए हैं और जल्द घर लौटना चाहते हैं। वहीं उनके परिजन भी यहां उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।
श्रीनगर में रह रहे अररिया निवासी जिब्राइल ने मैं मीडिया को फोन पर बताया कि घटना के बाद से वे घर से निकलने से परहेज़ कर रहे हैं और एक दो दिन में जैसे भी हो, वे घर के लिए निकल जाएंगे। उन्होंने बताया कि उनके साथ दर्जनों लोग हैं, वे सभी साथ ही लौट रहे हैं।
रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मारे गये लोगों के परिजनों को दो दो लाख रुपए मुआवजा और सरकारी योजनाओं का लाभ देने की घोषणा की है।
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