जम्मू स्टेशन से लापता हुए अररिया के एक युवक की तलाश में उसके पिता पुलिस के पास चक्कर लगा रहे हैं।
सबसे पहले उन्होंने जम्मू स्टेशन पर रेलवे पुलिस को इसकी जानकारी दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद कटिहार जंक्शन पर तैनात रेलवे पुलिस को इत्तिला किया, मगर वहां भी निराशा ही हाथ लगी। अररिया लौटकर जब थाने में शिकायत कराने पहुंचे, तो वहां से भी बैरंग लौटा दिया गया।
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अररिया जिले के नगर थाना क्षेत्र की कमलदाहा पंचायत का निवासी 23 वर्षीय मो. अब्बास अपने पिता और बड़े भाई के साथ दो महीने पहले कश्मीर गया था। 15 अक्टूबर को तीनों गांव लौट रहे थे, तभी जम्मू स्टेशन पर अब्बास लापता हो गया।
उसके पिता 66 वर्षीय मोहम्मद साकीम कहते हैं,
“जम्मू स्टेशन से अमरनाथ एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ने गये थे। रात 10.45 बजे ट्रेन खुलने वाली थी और 10.30 बजे वो गुम हो गया। हमने रेलवे पुलिस को ये बात बताई लेकिन पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया। 15 मिनट तक हमलोग स्टेशन पर उसे ढूंढ़ते रहे, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला।”
“उसी वक्त ट्रेन भी खुल गई, तो हमलोग ये सोचकर ट्रेन में सवार हो गये कि वह भी ट्रेन में ही सवार हो गया होगा,”
वे कहते हैं।
अब्बास मानसिक तौर पर असंतुलित है। उसके बड़े भाई मो. साहिलुद्दीन ने बताया कि ट्रेन में सवार होने के बाद पूरा ट्रेन छान मारा, इतना ही नहीं हर स्टेशन पर वे नीचे उतर कर देखते थे इस उम्मीद में कि शायद भूख लगेगी तो वो स्टेशन पर उतरेगा, लेकिन अब्बास का कुछ पता नहीं चला।
ट्रेन जब कटिहार स्टेशन पर रुकी, तो साकीम ने स्टेशन पर मौजूद रेलवे पुलिस को घटना के बारे में बताया, तो वहां से कहा गया कि जम्मू में शिकायत दर्ज करानी होगी।
“रेलवे पुलिस के नेटवर्क होते हैं, ऐसे में कटिहार स्टेशन की रेलवे पुलिस चाहती, तो जम्मू में इत्तिला कर मेरे भाई की तलाश करवा सकती थी, लेकिन उन्होंने पल्ला झाड़ लिया,”
साहिलुद्दीन ने कहा।
साहिलुद्दीन आगे बताते हैं,
“कटिहार से हमलोग घर आ गये और 19 अक्टूबर को नगर थाने में शिकायत दर्ज कराने गये। वहां शिकायत कलमबद्ध करने वाले ने 200 रुपये लेकर शिकायत लिखी और उसकी काॅपी हमें दे दी। जब काॅपी लेकर थाने में गये तो थाने के अधिकारियों ने ये कहकर लौटा दिया कि शिकायत जम्मू में दर्ज करानी होगी।”
अब्बास शादीशुदा हैं। साहिलुद्दीन ने बताया,
“उसकी गुमशुदगी के बाद से हमलोग परेशान चल रहे हैं, लेकिन पुलिस कोई मदद नहीं कर रही है।”
साकीम भूमिहीन हैं। मजदूरी कर किसी तरह उनका परिवार चलता है। उन्होंने बताया कि उनके पास मनरेगा जाॅब कार्ड भी नहीं है। वे दोनों बेटों के साथ अगस्त में कश्मी गये थे और वहां दैनिक मजदूरी कर रहे थे। चूंकि वहां सर्दी आ गई है और बर्फबारी के चलते काम पूरी तरह ठप रहता है इसलिए वे लोग लौट रहे थे। यहां, धान की कटनी करते जिससे परिवार चलता लेकिन अब्बास की गुमशुदगी से पूरा परिवार सदमे में है।
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