कटिहार जिले के बलिया बेलौन थाना अंतर्गत शीशटोला में आसमा खातून के घर में मातम का माहौल है। सूरज ढल चुका है और अंधेरा होने को है। आंगन में एक चूल्हा जल रहा है, जहां उसकी बेटी पुत्ती खातून और रीनी खातून रात का खाना बनाने की तैयारी कर रही हैं। तभी अचानक से कई नेता और गांव के बाकी लोग आंगन में आते हैं। आंगन में पैर रखने की भी जगह नहीं बचती है।
फिर पूरा आंगन 2-3 महिलाओं की चित्कार से गूंजने लगता है। नेता और गांव के समाजसेवी उन्हें ढांढस देने की कोशिश करते हैं और न्याय दिलाने का भरोसा दिलाते हैं।
दरअसल, आसमा खातून के पति मो. इदरीश उर्फ मस्तान को कुछ दिन पहले अपराधियों द्वारा धारदार हथियार से हमला किया गया था, जिसके बाद इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
क्या है मामला
24 नवंबर को कटिहार जिले के बलिया बेलौन थाने में एफआईआर दर्ज कराने आए 60 वर्षीय घायल व्यक्ति मो. इदरीश अचानक थाना परिसर में ही गिर गए थे। उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी।
बलिया बेलौन थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत बेनी जलालपुर के शीशटोला निवासी मो इदरीश उर्फ मस्तान घायल अवस्था में मंगलवार 22 नवंबर को अपने घर पहुंचे थे। इदरीश की गर्दन में गहरा घाव था, जो किसी धारदार हथियार से कई बार वार करने से हुआ था।
घर पहुंचने के बाद मो. इदरीश ने परिजनों को पूरी घटना के बारे में बताया और स्थानीय समाजसेवी मो. शाहबाज ने घटना का विवरण देते हुए इदरीश का वीडियो भी बनाया।
वीडियो में मो इदरीश बताते हैं कि सोमवार को वह अपने बेटे की ससुराल सवनपुर जा रहे थे।
लेकिन, रास्ते में ही हसीबुल और कसिबुल नामक दो भाई, जो एक-डेढ़ महीने पहले ही जेल से छूटे थे, ने उन्हें मोटरसाइकिल पर बिठा लिया और अलग-अलग गांव घुमाने लगे।
रात होने पर वे सुधानी ओपी क्षेत्र के संजय ग्राम रेलवे हाल्ट के पास रुके और हथियार से कई बार वार कर उन्हें जख्मी कर दिया। घायल होने के बाद जब वह बेहोश हो गये तो उन्हें रेलवे पटरी पर लिटा कर भाग गए।
कुछ देर बाद ट्रेन की गड़गड़ाहट और हॉर्न की आवाज कान में आई तो इदरीश को होश आया और किसी तरह से पटरी से दूर जाकर उन्होंने अपनी जान बचाई।
मार्च 2021 में हुई थी बेटे की हत्या
पिछले साल 11 मार्च को मोहम्मद इदरीश ने बलिया बेलौन थाने में अपने बेटे भजवा की हत्या को लेकर एफआईआर (कांड संख्या- 23/21, धारा- 302,34) दर्ज कराई थी। आरोपियों में भजवा के साले हसीबुल और कसिबुल के नाम शामिल थे। पुलिस ने इस हत्याकांड में दोनों को गिरफ्तार किया था। जेल से एक डेढ़ महीने पहले ही दोनों रिहा हुए थे।
पुलिस पर जल्दी एफआईआर नहीं लिखने का आरोप
मो. इदरीश की बेटी पुत्ती खातून और रीनी खातून ने कहा कि घटना के बाद मंगलवार की शाम बलिया बेलौन थाने में मामला दर्ज कराने के लिए गए थे, लेकिन वहां कहा गया कि जब घटना सुधानी ओपी क्षेत्र में हुई है, तो सुधानी ओपी में ही मामला दर्ज होगा।
“फिर जब दूसरे दिन 23 नवंबर को सुधानी ओपी में गए, तो वहां कहा गया कि आपका घर बलिया बेलौन थाना के अंतर्गत आता है इसलिए मामला वहीं दर्ज कराइए,” दोनों बहनों ने कहा।
“इस तरह 2 दिनों तक वह थानों का चक्कर लगाते रहे। फिर 24 नवंबर को डीएसपी सहित कई थानों की पुलिस बलिया बेलौन थाने में थी, उसी वक्त मेरे पिता शिकायत दर्ज कराने गए थे। वह वहीं पर बेहोश होकर गिर पड़े जिसके बाद अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई,” उनकी दोनों बेटियों ने कहा।
मोहम्मद शाहबाज आलम रसूलपुर गौसिया युवा क्लब के मेंबर हैं जो समाज सेवा से जुड़े हैं। उन्होंने ‘मैं मीडिया’ से कहा, “मोहम्मद इदरीश पर हमला होने के दूसरे दिन उनके घर जाकर हमने वीडियो भी बनाया था और बलिया बेलौन थाने में मेरे सामने ही व गश खाकर गिर पड़े थे। उस वक्त बलिया बेलौन थाने में काफी भीड़ थी। बारसोई से डीएसपी भी आए हुए थे,” उन्होंने कहा।
बेटी की शादी की चिंता
मोहम्मद इदरीश की पत्नी आसमा खातून अब पूरी तरह से टूट चुकी हैं। लगभग डेढ़ साल पहले बड़े बेटे की संदेहास्पद स्थिति में मौत और अब उसकी पति की मृत्यु हो गई।
वह अपने घर के भीतर से दो तस्वीर लेकर आती हैं, जो उनके बड़े बेटे भजवा की मौत के बाद की खींची गई थी। तस्वीर देखकर फिर से दहाड़ मार कर रोने लगती हैं और बताती हैं कि अब घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा। “भजवा काफी मेहनती था। वह सरिया ढोने का काम करता था। अब छोटा बेटा है जिसकी सेहत ठीक नहीं रहती। छोटी बेटी जवान है। उसकी शादी कैसे होगी, चिंता सता रही है,” उन्होंने कहा।
आगे वह कहती हैं, “अब तो डर लगने लगा है। अब अपने बेटे को परदेस कैसे भेजूं। पति के हत्यारे अभी भी फरार हैं।”
पुलिस ने क्या कहा
इस केस के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर विकास कुमार ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। “मैं पूरी तरह से लगा हुआ हूं। हमने एक अपराधी को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है, जिसने लाइनर की भूमिका निभाई थी। बाकी नामजद अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। गुप्तचर और टेक्नोलॉजी की भी मदद ली जा रही है। जल्द ही हम लोग सफल होंगे,” उन्होंने कहा।
एफआईआर के लिए सुधानी ओपी भेजने की बात पर विकास कुमार कहते हैं कि वह उस वक्त थाने में मौजूद नहीं थे। लेकिन उन्हें पता चला कि उनकी हालत खराब थी। काफी खून बह चुका था, इसलिए उन्हें पहले इलाज करवाने के लिए कहा गया था। सही समय पर इलाज करवाया जाता तो वह बच जाते।
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इस घटना में शिकारपुर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि का भी नाम सामने आया है। पुलिस ने कहा, “इस मामले में उनसे भी पूछताछ हुई है। उनका मोबाइल लोकेशन और सीडीआर भी निकाला जा रहा है।”
वहीं, इस मामले को लेकर जब शिकारपुर पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मो शहरयार से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मोहम्मद इदरीश सोमवार नहीं बल्कि रविवार को आया था और अपने बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र लेकर वापस अपने घर चला गया था। फिर उसके बाद उनकी उससे मुलाकात नहीं हुई और न ही उन्हें दूसरे दिन आने को कहा गया।
हमने सुधानी ओपी पहुंच कर वहां के प्रभारी विक्रम किशोर से भी बात की। उन्होंने कहा, “पीड़ित व्यक्ति 23 नवंबर नहीं बल्कि 24 नवंबर को सुधानी आया था, लेकिन उस समय हमारी टीम डीएसपी के नेतृत्व में कुरुम के पास एक अपराधी के घर न्यायालय के आदेश पर इश्तेहार चिपकाने के लिए जा रही थी। थाने से निकलते ही मुलाकात हुई, तो मैंने कहा कि पहले इलाज करवा लीजिए क्योंकि उनका खून बह चुका था और हालत खराब थी।”
“लेकिन जब पीड़ित व्यक्ति ने सुना कि डीएसपी और बाकी पुलिस बलिया बेलौन थाना जा रहे हैं, तो वह भी अस्पताल जाने के बजाए बलिया बेलौन आ गया, जहां वह चक्कर खाकर गिर पड़ा। हमें लगता है कि उस व्यक्ति की मौत अज्ञानता में और समय पर इलाज न होने की वजह से हुई है। उसे किसी अच्छे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत थी। भर्ती होने के बाद पुलिस खुद जाकर उनका एफआईआर लिख लेती। लेकिन वह पहले केस करने के चक्कर में रह गए और इलाज नहीं करवाया,” थाना प्रभारी ने कहा।
उन्होंने एफआईआर के लिए अलग-अलग थानों में घुमाने के आरोप को बेबुनियाद बताया।
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