बिहार में कार्यरत लगभग 3.75 लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी बनने का रास्ता साफ हो गया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सरकार ने “बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली-2023” को मंजूरी दे दी।
नई नियमावली के तहत वर्तमान में पंचायती राज व नगर निकायों के अंतर्गत कार्यरत नियोजित शिक्षकों के साथ-साथ पुस्तकालय अध्यक्ष भी राज्यकर्मी का दर्जा पा सकेंगे।
नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिये सक्षमता परीक्षा पास करना होगा। परीक्षा में शामिल होने के समय नियोजित शिक्षकों से उन तीन जिलों की प्राथमिकताएं मांगी जाएगी, जहां वे अपनी सेवा देना चाहते हो। सक्षमता परीक्षा की मेधा सूची के आधार पर उन्हें उनके द्वारा चुना गया जिला दिया जाएगा या फिर रेंडमाइजेशन के आधार पर जिला आवंटित किया जायेगा।
जो नियोजित शिक्षक परीक्षा में भाग नहीं लेंगे या जो शिक्षक सक्षमता परीक्षा में तीन बार शामिल होने के बाद भी सफल नहीं हो पाएंगे, उनके बारे में सरकार अलग से निर्णय लेगी।
बताते चलें कि बिहार के नियोजित शिक्षक लंबे समय से राज्यकर्मी का दर्जा मांग रहे थे। इसको लेकर कई बार शिक्षकों ने प्रदर्शन भी किया। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई मौकों पर कहा था कि नियोजित शिक्षकों को भी बिहार सरकार सरकारी कर्मी बनाने पर विचार कर रही है।
विशिष्ट शिक्षकों का वेतनमान और अन्य भत्ता
सक्षमता परीक्षा में सफल शिक्षकों को “विशिष्ट शिक्षक” कहा जायेगा। परीक्षा में सफल होने से पहले तक इन शिक्षकों को वर्तमान वेतनमान के हिसाब से ही वेतन मिलेगा।
मंत्रिमंडल विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने प्रेस वार्ता में बताया कि सक्षमता परीक्षा पास करने के बाद इन शिक्षकों को बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित शिक्षकों के बराबर वेतन मिलेगा।
प्राथमिक स्कूलों के विशिष्ट शिक्षकों को मूल वेतन के तौर पर 25,000 रुपये, मिडिल स्कूलों के शिक्षकों को 28,000 रुपये, माध्यमिक शिक्षकों को 31,000 रुपये और उच्च माध्यमिक शिक्षकों को 32,000 रुपये मिलेंगे।
इसके अलावा अन्य भत्ते (महंगाई भत्ता, मकान किराया भत्ता, चिकित्सा भत्ता और शहरी परिवहन भत्ता आदि) राज्य सरकार की प्रचलित दरों के अनुसार मिलेंगे। शिक्षा विभाग अपनी नीति को ध्यान में रखकर समय-समय पर विशिष्ट शिक्षकों के वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी कर सकता है।
अनुकंपा और आरक्षण
नई नियमावली के तहत अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के अलावा अन्य कोई सीधी नियुक्ति नहीं होगी। विशिष्ट शिक्षकों की अनुकंपा के आधार पर कोई भी नियुक्ति विभाग द्वारा आयोजित दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण होने पर निर्भर करेगी। परन्तु, अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति विभाग की प्रचलित नीति, पात्रता व वैकेंसी के अनुसार की जाएगी।
ऐसे कार्यरत स्थानीय निकाय शिक्षक विशिष्ट शिक्षक बनने के उपरान्त उसी आरक्षण श्रेणी से सम्बद्ध रहेंगे, जिसके लिए उन्हें स्थानीय निकायों द्वारा नियुक्त किया गया था।
विशिष्ट शिक्षकों की वरीयता से संबंधित नियम
प्राथमिक, मध्य, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक श्रेणी के विशिष्ट शिक्षकों की जिला स्तर पर अलग अलग वरीयता सूची तैयार की जाएगी। साथ ही विषयवार एक अलग वरीयता सूची भी बनायी जाएगी।
विशिष्ट शिक्षकों की वरीयता, स्थानीय निकाय शिक्षक के रूप में प्रशिक्षित वेतनमान प्राप्त करने की तिथि पर निर्भर करेगी। यदि दो शिक्षक एक ही तिथि साझा करते हैं, तो उनकी वरीयता जन्म तिथि से तय होगी।
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जन्मतिथि भी एक होने पर शिक्षक के नाम की अंग्रेजी वर्णमाला के आधार पर वरीयता तय की जाएगी। किसी भी मानदंड में फिट नहीं होने पर विभाग इस पर फैसला लेगा।
विशिष्ट शिक्षकों की प्रोन्नति
सभी प्रोन्नति उपलब्ध रिक्तियों के अधीन होगी और विभागीय नीतियों को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। विशिष्ट शिक्षक किसी भी प्रोन्नति का दावा नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा, सभी प्रोन्नति, विभाग की प्रचलित नीति के अनुसार की जाएगी और अपेक्षित योग्यता सहित पात्रता के अधीन होगी।
प्राथमिक (वर्ग 1-5) स्कूलों के विशिष्ट शिक्षकों को आठ वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद मध्य विद्यालयों (6-8) के विशिष्ट शिक्षक के तौर पर प्रोन्नत किया जाएगा। मध्य (वर्ग 6-8) स्कूलों के विशिष्ट शिक्षक आठ वर्ष पूरा करने के बाद इसी वर्ग (6-8) के वरीय विशिष्ट शिक्षक बनाये जायेंगे।
इसी प्रकार, माध्यमिक (वर्ग 9-10) स्कूलों के विशिष्ट शिक्षक आठ वर्ष पढ़ाने के बाद उपलब्ध रिक्तियों के अनुसार उच्च माध्यमिक (वर्ग 11-12) में प्रोन्नत हो सकेंगे, वहीं उच्च माध्यमिक स्कूलों के विशिष्ट शिक्षकों को आठ वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद उसी वर्ग (वर्ग 11-12) में वरीय विशिष्ट शिक्षक के तौर पर प्रोन्नत किया जा सकेगा।
छात्र-शिक्षक अनुपात के आधार पर स्थानांतरण
विशिष्ट शिक्षकों का स्थानांतरण हो सकेगा। शिक्षकों को सामान्य रूप से जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा छात्र-शिक्षक अनुपात अथवा जनहित में प्रतिबद्धताओं को ध्यान में रखते हुए जिले के अंतर्गत स्थानांतरित किया जा सकेगा।
विशिष्ट शिक्षकों को जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा तय की गई अवधि के पूरा होने के बाद स्थानांतरित किया जा सकेगा। शिक्षकों को उनके अनुरोध पर प्राथमिक निदेशक या माध्यमिक निदेशक जिले के बाहर भी स्थानांतरित कर सकते हैं।
विभाग ने साफ कर दिया है कि इस सुविधा के लिए कोई दावा नहीं किया जा सकता है और प्रशासनिक विभाग, बहुत जरूरत होने पर इस तरह के अनुरोध को अस्वीकार कर सकता है।
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