Main Media

Get Latest Hindi News (हिंदी न्यूज़), Hindi Samachar

Support Us

प्राइवेट कोचिंग में नहीं पढ़ पायेंगे 16 वर्ष से छोटे बच्चे, जानिये सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन की मुख्य बातें

छात्रों पर बढ़ते कंपिटीशन और शैक्षणिक दबाव के कारण, कोचिंग केंद्रों को छात्रों के मेंटल हेल्थ के लिए कदम उठाना होगा और अपने छात्रों पर दबाव डाले बिना कक्षाएं संचालित करनी होंगी। साथ ही, उन्हें संकट और तनावपूर्ण स्थिति में छात्रों को लक्षित और लगातार सहायता प्रदान करने के लिए तंत्र स्थापित करना होगा।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
Published On :
coaching class

देश के किसी भी प्राइवेट कोचिंग संस्थान में 16 वर्ष से कम आयु के छात्रों के पढ़ने पर पाबंदी लगा दी गई है। प्राइवेट कोचिंग संस्थान में छात्र का नामांकन केवल माध्यमिक विद्यालय (मैट्रिक) परीक्षा के बाद ही लिया जायेगा।


देश के उच्चतर शिक्षा विभाग ने प्राइवेट कोचिंग संस्थानों के संचालन के लिये विस्तृत दिशानिर्देश जारी किया है। कोचिंग संस्थानों द्वारा छात्रों से अत्यधिक फीस वसूलने, छात्रों पर अनुचित तनाव की वजह से छात्रों द्वारा आत्महत्या करने, आग और अन्य दुर्घटनाओं के कारण बहुमूल्य जीवन की हानि तथा इन केंद्रों द्वारा अपनाई जा रहे अन्य कदाचारों को लेकर विभाग ने यह दिशानिर्देश जारी किया है।

विभाग ने प्राइवेट कोचिंग संस्थानों के लिये दो दर्जन से अधिक दिशानिर्देश जारी किया है। कोचिंग केंद्रों को निर्धारित समय-सीमा में सिलेबस पूरा करना होगा। जो छात्र सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं, उनके स्कूलों के समय में कोचिंग कक्षाएं आयोजित नहीं की जाएंगी, ताकि ऐसे स्कूलों में उनका नियमित उपस्थिति प्रभावित न हो।


जो छात्र पढ़ाई में कमज़ोर होंगे या जिन छात्रों को पढ़ाई में अतिरिक्त सहायता की आवश्यकता होगी, कोचिंग को उन्हें सहायता कक्षाएं प्रदान कराना होगा। कक्षा का टाइम-टेबल को इस प्रकार से तैयार करना होगा, जिससे छात्रों को आराम करने और पढ़ाई के लिए पुनः तैयार होने का समय मिले और इस प्रकार उन पर अतिरिक्त दबाव न बने।

सभी प्राइवेट कोचिंग संस्थान को विभाग से रजिस्टर्ड कराना होगा। जारी गाइडलाइन का पालन करने वाले कोचिंग संस्थान का ही रजिस्ट्रेशन होगा। कोचिंग केंद्र ग्रेजुएशन से कम योग्यता प्राप्त शिक्षकों को ट्यूटर के रूप में नियुक्त नहीं कर सकेंगे।

नई गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर कोचिंग संस्थान को 25 हज़ार रूपये तक का जुर्माना लगाया जायेगा। दूसरी बार गाइडलाइन का उल्लंघन करने पर 50 हज़ार रूपये के जुर्माना लगेगा। वहीं, इसके बाद के उल्लंघन पर कोचिंग संस्थान का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जायेगा।

कोचिंग रखेंगे छात्रों के मेंटल हेल्थ का ध्यान

कोचिंग केंद्र यह सुनिश्चित करेगा कि छात्रों और शिक्षकों को साप्ताहिक अवकाश मिले। साप्ताहिक अवकाश के अगले दिन कोई परीक्षा नहीं होगी। संबंधित क्षेत्र में महत्वपूर्ण और लोकप्रिय त्योहारों के दौरान, कोचिंग केंद्र छुट्टियों को इस तरह से व्यवस्थित करेगा कि छात्र अपने परिवार के पास जा सकें ताकि उन्हें इमोशनल सहायता मिल सके।

Also Read Story

बिहार के ग्रामीण स्कूलों में नामांकन बढ़ा, लेकिन पढ़ने-लिखने की चुनौतियाँ बरकरार

बिहार इंटरमीडिएट परीक्षा: देरी से पहुंचने पर नहीं मिला प्रवेश, रो पड़ीं छात्राएं

बिहार: इंटर परीक्षार्थियों के लिए निर्देश जारी, नियम तोड़ने पर होगी कानूनी कार्रवाई

प्रोफेसर विवेकानंद सिंह बने पूर्णिया विश्वविद्यालय के नए कुलपति

70वीं BPSC परीक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन का क्या है पूरा मामला

बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक (संशोधन) नियमावली 2024 क्या कहती है?

बिहार बोर्ड ने 10वीं व 12वीं की परीक्षा की तारीखों का किया ऐलान, पूरा टाइम-टेबल यहां पढ़ें

BPSC परीक्षा में नहीं होगा नॉर्मलाइज़ेशन, आयोग बोला- अभ्यर्थियों को भ्रमित कर रहे कोचिंग संचालक

फिजिकल टेस्ट की तैयारी छोड़ कांस्टेबल अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

कोचिंग संस्थान इस तरह से कोचिंग कक्षाएं संचालित करेंगे कि यह एक छात्र के लिए अत्यधिक न हो और यह एक दिन में 5 घंटे से अधिक न हो और कोचिंग का समय न तो सुबह बहुत जल्दी हो और न ही शाम को बहुत देर तक हो।

कोचिंग केंद्र छात्रों के समग्र विकास और चीजों को समझने की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ के लिए कक्षाएं आयोजित करेंगे। कोचिंग को मुख्य विषयों को पढ़ाने के साथ-साथ ट्यूटर, कर्मचारी और सभी छात्रों के लिए लाइफ स्किल्स, साइंटिफिक सोच, रीजनिंग, क्रियेटिविटी, इनोवेशन, फिटनेस, तंदुरुस्ती और इमोशनल एटैचमेंट संबंधी काउंसलिंग सत्र आयोजित कराने होंगे।

छात्रों के लिये काउंसलिंग और मनोवैज्ञानिक सहायता

छात्रों पर बढ़ते कंपिटीशन और शैक्षणिक दबाव के कारण, कोचिंग केंद्रों को छात्रों के मेंटल हेल्थ के लिए कदम उठाना होगा और अपने छात्रों पर दबाव डाले बिना कक्षाएं संचालित करनी होंगी। साथ ही, उन्हें संकट और तनावपूर्ण स्थिति में छात्रों को लक्षित और लगातार सहायता प्रदान करने के लिए तंत्र स्थापित करना होगा।

नई गाइडलाइन में कोचिंग केंद्रों को मानसिक तनाव और अवसाद (डिप्रेशन) के समाधान के लिए छात्रों को काउंसिलंग और मनोचिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए काउंसलर और अनुभवी मनोवैज्ञानिकों को शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करने का निर्देश दिया गया है।

सत्र के बीच में छात्र नहीं ले पायेंगे एडमिशन

प्रत्येक कक्षा या बैच में नामांकित छात्रों की संख्या को कोचिंग द्वारा प्रोस्पेक्टस में स्पष्ट रूप से परिभाषित और इसको अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा। किसी भी स्थिति में सिलेबस की अवधि के दौरान कक्षा/बैच में एडमिशन में वृद्धि नहीं की जाएगी।

छात्रों की संख्या प्रत्येक कक्षा में एक संतुलित शिक्षक-छात्र अनुपात बनाए रखने और ट्यूटर और काउंसलर के साथ संबंध बनाने के अधिक अवसर पैदा करने की आवश्यकताओं के अनुरूप रखना होगा। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि छात्र शिक्षकों से जुड़ने में सक्षम हों और छात्र को स्क्रीन/ब्लैकबोर्ड तक आसान पहुंच और दृश्यता मिले।

छात्रों को पाठ्यक्रम में नामांकन से पहले परीक्षा की कठिनाई, पाठ्यक्रम, तैयारी की गहराई के स्तर और छात्र से अपेक्षित प्रयासों के बारे में अच्छी तरह से बताया जाएगा। छात्रों को कोचिंग संस्थान द्वारा शैक्षिक वातावरण, सांस्कृतिक जीवन और स्कूल स्तर की परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के बीच अंतर के बारे में जागरूक किया जाएगा।

इंजीनियरिंग और मेडिकल संस्थानों में प्रवेश के विकल्पों के अलावा, छात्रों को अन्य करियर विकल्पों के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी, ताकि वे अपने भविष्य को लेकर तनावग्रस्त न हों और वैकल्पिक करियर का नया विकल्प चुन सकें।

छात्रों और अभिभावकों को इस बात से अवगत कराया जाएगा कि कोचिंग केंद्र में प्रवेश मेडिकल, इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, कानून आदि संस्थानों में प्रवेश या प्रतियोगी परीक्षा में किसी भी तरह से सफलता की गारंटी नहीं है।

कोचिंग केंद्र को मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल के सहयोग से छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य (मेंटल हेल्थ) के संबंध में समय-समय पर कार्यशालाएं (सेमिनार) और सत्र आयोजित करने का सुझाव दिया गया है।

कोचिंग केंद्र को छात्रों और अभिभावकों के बीच शिक्षाशास्त्र, पाठ्यक्रम की समय-सीमा और कोचिंग केंद्र में उपलब्ध सुविधाओं के बारे में जागरूकता पैदा करनी होगी। उन्हें अपने बच्चों पर अनावश्यक मानसिक दबाव और अपेक्षाओं के बोझ के नकारात्मक प्रभावों के बारे में परामर्श दिया जा सकता है।

कोचिंग संस्थान को अपने द्वारा आयोजित परीक्षा के परिणाम को सार्वजनिक नहीं करने का भी सुझाव दिया गया है। इसके बदले कोचिंग संस्थानों को सलाह दी गई है कि परीक्षा में प्राप्त अंक को गोपनीय रखते हुए इसका उपयोग छात्रों के प्रदर्शन के नियमित विश्लेषण के लिए किया जाए और जिस छात्र का शैक्षणिक प्रदर्शन खराब हो रहा है, उसे इन दिशानिर्देशों के के अनुसार परामर्श प्रदान किया जाए।

इसके अलवा कोचिंग संस्थानों को कोचिंग के भवन परिसर में पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग -अलग शौचालयों का प्रावधान करना होगा।

कोचिंग संस्थान के लिये आचार संहिता

विभिन्न सिलेबस के लिए ली जाने वाली ट्यूशन फीस उचित और तर्कसंगत होगी और ली गई फीस की रसीदें उपलब्ध करानी होंगी।

कोचिंग केंद्र को विभिन्न सिलेबसों, उनके पूरा होने की अवधि, कक्षाओं की संख्या, लेक्चर, ट्यूटोरियल, छात्रावास सुविधाएं, ली जाने वाली फीस, आसान निकास नीति, फीस वापसी नीति आदि का उल्लेख करते हुए एक प्रोस्पेक्टस जारी करनी होगी। यह विवरण भवन के परिसर में प्रमुख और सुलभ स्थानों पर भी प्रदर्शित किया जाएगा।

भवनों के सुरक्षा मानकों को बढ़ाना होगा

कोचिंग केंद्र भवन को अग्नि सुरक्षा कोड, भवन सुरक्षा कोड और अन्य मानकों (स्टैंडर्ड) का पालन करना होगा और सरकार द्वारा निर्धारित समुचित अधिकारियों से अग्नि और भवन सुरक्षा प्रमाण-पत्र प्राप्त करना होगा।

छात्रों की सहायता के लिए, कोचिंग केंद्र में फर्स्ट एड किट और चिकित्सा सहायता सुविधा रखनी होगी। कोचिंग केंद्र के भवन में पूरी तरह से बिजली की सुविधा होगी और कमरा हवादार होगा। भवन की प्रत्येक कक्षा में पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था की जाएगी। केंद्र को सभी छात्रों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षित और पीने योग्य पेयजल उपलब्ध कराना होगा।

उल्लेखनीय है कि विभाग द्वारा हाल ही में जारी की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कोचिंग संस्कृति को समाप्त करने को लेकर विस्तार से चर्चा की गई है। सरकार ने निजी कोचिंग से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए महत्वपूर्ण कदम भी उठाए हैं।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

Related News

2025 के लिए बिहार के सरकारी स्कूलों की अवकाश सूची जारी, 27 दिनों के मिलेंगे समर और विंटर ब्रेक

BSEB ने डेटा मैनेजमेंट सिस्टम के सभी कामों को अस्थायी रूप से रोका, नाम सुधार कार्य ठप

बिहार में सरकारी स्कूलों का बदला टाइमटेबल, शिक्षक स्थानांतरण पर भी आया बड़ा आदेश

बिहार के शिक्षकों पर स्कूलों में जींस व टी-शर्ट पहनने पर रोक, विभाग ने जारी किया पत्र

सुपौल, मधेपुरा और मुजफ्फरपुर में बनेंगे अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय, कैबिनेट से मिली स्वीकृति

अररिया पॉलिटेक्निक कॉलेज के छात्रों का प्रिंसिपल के खिलाफ हंगामा, एनएच जाम कर प्रदर्शन

किशनगंज: डेरामरी अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय में प्रवेश परीक्षा का आयोजन, 25 अक्टूबर से शुरू होगी पढ़ाई

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

किशनगंज: एक अदद सड़क को तरसती हजारों की आबादी

क्या राजगीर एयरपोर्ट की भेंट चढ़ जाएगा राजगीर का 800 एकड़ ‘आहर-पाइन’?

बिहार: वर्षों से जर्जर फणीश्वरनाथ रेणु के गांव तक जाने वाली सड़क

निर्माण खर्च से 228.05 करोड़ रुपये अधिक वसूली के बावजूद NH 27 पर बड़े बड़े गड्ढे

विधवा को मृत बता पेंशन रोका, खुद को जिंदा बताने के लिए दफ्तरों के काट रही चक्कर