झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन हो गया है। चेन्नई में इलाज के दौरान ही उनका निधन हो गया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट करके दुःख व्यक्त किया किया और कहा कि हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे!
शिक्षा मंत्री के सम्मान में राज्य में दो दिनों का राजकीय शोक मनाया जायेगा।
शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो पिछले कुछ महीनों से बीमार चल रहे थे। तबियत ज्यादा खराब होने की वजह से उन्हें पारस हॉस्पिटल रांची से चेन्नई एयरलिफ्ट किया गया था। चेन्नई जाने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अस्पताल में मुलाकात किया था और बेहतर इलाज के लिए चेन्नई जाने की सलाह दी थी।
सीएम हेमंत सोरेन ने जगरनाथ महतो के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि “अपूरणीय क्षति ! हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे! आज झारखंड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया। चेन्नई में इलाज के दौरान आदरणीय जगरनाथ महतो जी का निधन हो गया। परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे।”
कोरोना होने के बाद फेफड़े का ट्रांसप्लांट
2020 में कोरोना से संक्रमित होने के बाद उनके फेफड़े खराब हो गए थे। चेन्नई के महात्मा गांधी मेमोरियल अस्पताल में फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया गया था। करीब एक साल ठीक रहने के बाद 14 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान अचानक उनकी तबीयत खराब हो गई थी जिसके बाद रांची के पारस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
झारखंड में टाइगर नाम से थे मशहूर
हेमंत सोरेन सरकार में शिक्षा मंत्री रहे जगरनाथ महतो का गिनती झारखंड के लोकप्रिय और कद्दावर नेताओं में था। जगरनाथ महतो प्रदेश में टाइगर नाम से विख्यात थे। जगरनाथ महतो ने अपनी राजनीति जीवन की शुरुवात 1990 में विधायक शिवा महतो के सहयोगी के रूप में किया था।
उन्होंने पहली बार 2000 में समता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था लेकिन हार गए थे। इसके बाद 2005 में जेएमएम के तरफ से जगरनाथ महतो डुमरी सीट से विधायक बने और डुमरी सीट से लगातार तीन बार विधायक बनने वाले इकलौते विधायक हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू की यशोदा देवी को हराया था। इससे पहले 2014 में भाजपा के लालचंद महतो को करीब 32000 मतों से हराया था। उन्होंने 2005, 2009, 2014 और 2019 में जीत हासिल किया था।
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53 वर्ष में 12वीं में लिया एडमिशन
झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे इसलिए उनकी प्रारंभिक पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो पाई थी। जगरनाथ महतो शुरुवात में नौवीं तक की पढ़ाई करके स्कूल ड्रॉपआउट हो गए थे। फिर उन्होंने 28 वर्ष की आयु में मैट्रिक की परीक्षा दिया।
झारखंड सरकार में शिक्षा मंत्री बनने के बाद लोगों ने उनके पढ़ाई को लेकर बयानबाजी शुरू कर दिया जिस कारण उन्होंने 53 वर्ष की आयु में इंटर में नामांकन करवाया। उनका नामांकन बोकारो स्थित देवी महतो स्मारक इंटर महाविद्यालय नवाडीह में हुआ जिसकी स्थापना विधायक रहते हुए जगरनाथ महतो ने खुद किया था। उनके अनुसार बिनोद बिहारी का नारा ‘पढ़ो व लड़ो’ से आगे पढ़ने की प्रेरणा मिली।
शीर्ष नेताओं ने जताया शोक
जगरनाथ महतो के निधन पर राजनीति गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है। सीएम हेमंत सोरेन, बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी समेत अनेक नेताओं ने शोक व्यक्त किया है।
बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट किया कि ‘झारखंड सरकार के मंत्री श्री जगरनाथ महतो जी के चेन्नई के अस्पताल में निधन की बेहद दुखद सूचना मिली है। लंबे समय से बीमारी को हराते हुए योद्धा की भांति डंटे रहने वाले जगरनाथ जी का चले जाना पूरे झारखंड के लिए दुखदायी है। राजनीतिक भिन्नताओं के बावजूद व्यक्तिगत रूप से उनकी जीवटता का मैं सदैव प्रशंसक रहा हूं।”
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