यूक्रेन और रूस (Ukraine and Russia) में हो रहे सैन्य संघर्ष से वहां रह रहे भारतीय छात्र बेतरह भयभीत हैं और उन्हें हर पल अनहोनी की चिंता सता रही है।
मैट्रिक की परीक्षा (Bihar Board Matric Exams) के पहले दिन किशनगंज में बिहार बोर्ड (BSEB) की चूक के चलते एक छात्रा का एक साल बर्बाद हो सकता है।
बिहार में एक फरवरी से शुरू हुई इंटरमीडिएट की परीक्षा को लेकर सख्त नियम कई छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है। कुछ मिनट लेट होने पर परीक्षा केंद्र में छात्रों को इंट्री नहीं मिल रही है, जिस कारण छात्र परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं।
शराबबंदी कानून के बावजूद बिहार में जहरीली शराब पीकर मरने का सिलसिला जारी है। इन घटनाओं को लेकर लगातार नीतीश सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। चौतरफा आलोचनाओं से घिरी बिहार सरकार ने अब एक अजीबोगरीब आदेश जारी किया है। बिहार सरकार अब शराबबंदी को सूबे में सफल बनाने के लिए शिक्षकों को काम पर लगाने जा रही है।
AMU के लिए फंड जारी करने को लेकर 27 जनवरी की सुबह 11 बजे से #FundForAMUKishanganj हैशटैग के साथ दो लाख से ज़्यादा ट्वीट हुए।
AMU के VC प्रोफेसर तारिक मंसूर ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार के किशनगंज केंद्र में अल्पसंख्यक बालिका छात्रावास की आधारशिला रखी।
लोकायुक्त ने अपनी जांच में ये भी पाया था कि विश्वविद्यालय ने शिक्षा विभाग से भी दो करोड़ रुपए निर्गत करवा लिया, लेकिन रुपए वापस नहीं किये गये। लोकायुक्त की रिपोर्ट में लैपटॉप बैग की खरीद में अनियमितता सामने आई है।
[सीमांचल के चार जिलों किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार के छात्रों की सहूलियत के लिए साल 2018 में पूर्णिया विश्वविद्यालय (Purnea University) शुरू हुआ। लेकिन, दुर्भाग्य से ये विश्वविद्यालय शिक्षा की जगह दूसरी वजहों से सुर्खियों में आ गया। यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी, जो अभी दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी में हैं, उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के संगीन […]
“एसपी लोकायुक्त विजिलेंस ने मौजूद दस्तावेजों के अध्ययन में प्रथम दृष्ट्या पाया कि पूर्णिया विश्वविद्यालय के वीसी ने वित्तीय शक्तियों का दुरुपयोग किया है। कई खर्चों का हिसाब नहीं है और इसको लेकर कोई दस्तावेज भी मुहैया नहीं करवाया गया।” ये तीखी टिप्पणी 12 जनवरी 2021 को दी गई लोकायुक्त की रिपोर्ट में पूर्णिया विश्वविद्यालय […]
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला शिक्षा प्रोत्साहन के मद्देनजर एक और अहम फैसला लिया है। अब बिहार के मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के नामांकन में न्यूनतम एक तिहाई यानि 33 फीसदी सीटें छात्राओं के लिए आरक्षित की जाएंगी।