मैट्रिक की परीक्षा (Bihar Board Matric Exams) के पहले दिन किशनगंज (Kishanganj News) में बिहार बोर्ड (BSEB) की चूक के चलते एक छात्रा का एक साल बर्बाद हो सकता है। बताया जा रहा है कि उक्त छात्रा की गणित विषय की परीक्षा ली जानी चाहिए थी, लेकिन उसे गृह विज्ञान का पेपर दे दिया गया। मामला किशनगंज के सरस्वती विद्या मंदिर सेंटर का है।
छात्रा कुरैशी फातिमा किशनगंज जिले के बहादुरगंज गर्ल्स हाई स्कूल (Bahadurganj News) में पढ़ती है। बिहार में 17 फरवरी से दसवीं की परीक्षा शुरू हुई है। परीक्षा के पहले दिन आम छात्र छात्राओं की गणित की परीक्षा होनी थी और दृष्टिबाधित छात्रों की गृह विज्ञान की परीक्षा थी। कुरैशी फातिमा जब किशनगंज के सरस्वती विद्या मंदिर परीक्षा केंद्र में पहुंची, तो उसे गणित की जगह गृह विज्ञान का पेपर दे दिया गया। छात्रा ने इसकी जानकारी वीक्षक को दी, लेकिन आरोप है कि वीक्षक ने उत्तरपुस्तिका के अनुसार ही परीक्षा देने को कहा। परीक्षा खत्म होने के बाद छात्रा ने परीक्षा कंट्रोलर और जिला शिक्षा पदाधिकारी को आवेदन देकर इससे अवगत करवाया।
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परीक्षार्थी के आरोप पर सरस्वती विद्या मंदिर के केंद्राधीक्षक शंभु शरण तिवारी से ने कुछ भी कहने से मना कर दिया।
छात्रा के आरोपों से साफ है कि लापरवाही बिहार बोर्ड की तरफ से हुई है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी से साफ है कि वह छात्रा की शिकायत पर गंभीर नहीं है। जानकारों का कहना है कि तीन महीने बाद होने वाली सप्लिमेंटरी परीक्षा लेकर छात्रा का एक साल बर्बाद होने से बचाता जा सकता है। लेकिन, अगर बिहार बोर्ड ऐसा नहीं करता है, तो छात्रा को अगले साल दोबारा परीक्षा देनी होगी। यानी कि बोर्ड की लापरवाही की कीमत छात्रा को एक साल का कीमती वक्त बर्बाद कर चुकानी होगी।
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