डॉ राजेश सिंह के वाइस चांसलर रहते पूर्णिया यूनिवर्सिटी (Purnea University) में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के मामले में बिहार सरकार अपने स्तर से ऑडिट करा रही है।
ऑडिट पूरी होने के बाद ऑडिट रिपोर्ट लोकायुक्त, शिक्षा विभाग और राजभवन को सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर इस दिशा में ठोस कार्रवाई होगी।
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डॉ राजेश सिंह फिलहाल दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी (Deen Dayal Upadhyaya University) में वाइस चांसलर हैं। पूर्णिया यूनिवर्सिटी (Purnea University) के वर्तमान वाइस चांसलर प्रो. आरएन यादव हैं।
प्रो. आरएन यादव ने मैं मीडिया के साथ खास बातचीत में कहा, “विजिलेंस के लोकायुक्त ने अपनी जांच के दौरान कई दस्तावेज मांगे थे, जो तत्कालीन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मुहैया नहीं कराया था।”
“बाद में लोकायुक्त ने एक चिट्ठी भेजी थी और इस संबंध में कुछ दस्तावेज मांगे थे, तो हमने बिहार सरकार को आवेदन दिया कि वह अपने स्तर पर पूरे मामले की ऑडिट कराए,” उन्होंने कहा।
बताया जा रहा है कि बिहार सरकार ऑडिट करवा रही है और ऑडिट पूरी होने पर इसकी रिपोर्ट विश्वविद्यालय को दी जाएगी। इसके बाद विश्वविद्यालय ये रिपोर्ट शिक्षा विभाग, राजभवन और लोकायुक्त को देगा।
प्रो. यादव ने कहा, “सरकार से ऑडिट कराने की सिफारिश हमने इसलिए कराई कि किस तरह के संदेह की गुंजाइश न रह जाए।”
गौरतलब हो कि लोकायुक्त ने अपनी जांच में पाया था कि विश्वविद्यालय से अंगीभूत 12 कॉलेजों से 10-10 लाख रुपए विश्वविद्यालय के बैंक अकाउंट में डलवाया गया, लेकिन इस रुपए को लेकर कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया था और जांच में मालूम हुआ कि रुपए अकाउंट में पड़े हुए रहे, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हुआ। नियमानुसार रुपए लेने के लिए सिंडिकेट की बैठक का अनुमोदन किया जाता है। लेकिन, जांच में पता चला था कि इस मामले में रुपए ट्रांसफर होने के बाद खानापूर्ति करने के लिए सिंडिकेट की बैठक हुई।
लोकायुक्त ने अपनी जांच में ये भी पाया था कि विश्वविद्यालय ने शिक्षा विभाग से भी दो करोड़ रुपए निर्गत करवा लिया, लेकिन रुपए वापस नहीं किये गये। लोकायुक्त की रिपोर्ट में लैपटॉप बैग की खरीद में अनियमितता सामने आई है।
विश्वविद्यालय से अंगीभूत कॉलेजों से 10-10 लाख रुपए यूनिवर्सिटी के अकाउंट में डलवाने के बाद उसके खर्चे से लेकर शिक्षा विभाग से लिये गये दो करोड़ रुपए और लैपटॉप बैगों के वितरण तथा मुख्यमंत्री परिभ्रमण मद, मेडल मद, सफाई/मिट्टी भराई मद और यात्रा भत्ता के लिए रुपये की निकासी को लेकर कोई दस्तावेज लोकायुक्त को उपलब्ध नहीं कराया गया था।
बताया जाता है कि इन्हीं दस्तावेजों के लिए लोकायुक्त की तरफ से वर्तमान वाइस चांसलर को पत्र भेजा गया था, जिसके बाद ऑडिट की सिफारिश की गई।
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