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लोकसभा चुनाव-2024: दार्जिलिंग में उठती ‘भूमिपुत्र’ की मांगों के बीच टीएमसी ने भूमिपुत्र गोपाल लामा कौन हैं?

गोपाल लामा का जन्म दार्जिलिंग जिले के दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के कर्सियांग महकमा में टुंग के पास गैरीगांव में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र से ही पूरी की। फिर, सेना के स्कूल से उच्च शिक्षा पूरी की।

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पिछले तीन लोकसभा चुनावों (2009, 2014 और 2019) से भाजपा के कब्जे में रह रही दार्जिलिंग लोकसभा सीट से इस बार के लोकसभा चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस ने ‘भूमिपुत्र’ की मांगों के बीच भूमिपुत्र गोपाल लामा पर दांव लगाया है।

तृणमूल कांग्रेस ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है। इसकी घोषणा 10 मार्च को कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की जनसभा के दौरान हुई। उसके बाद 12 मार्च को गोपाल लामा राजधानी कोलकाता से सिलीगुड़ी लौटे।

उनके बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंचते ही वहां पहले से सैकड़ों की संख्या में जुटे तृणमूल कांग्रेस और भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) समर्थकों ने उनका भव्य स्वागत किया। उन्हें सन-रूफ कार में सवार कर रोड-शो हुआ। मोटर कार, मोटर साइकिल आदि का एक लंबा काफिला उनके पीछे-पीछे साथ-साथ एयरपोर्ट से बाहर सड़क पर निकला।


उनके इस भव्य स्वागत में दार्जिलिंग जिला (समतल) तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष पापिया घोष और तृणमूल कांग्रेस के सहयोगी बीजीपीएम अध्यक्ष व गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के मुख्य कार्यकारी अनित थापा भी पेश-पेश रहे।

इस अवसर पर गोपाल लामा ने कहा कि, ‘मुझे दो पार्टियों का समर्थन है। सो, मुझे पूरा यकीन है कि सभी के सहयोग से मैं चुनाव जीतूंगा। मैं पहाड़ का रहने वाला हूं और गोरखाओं की समस्याओं से भलीभांति अवगत हूं। मैंने पहाड़ी और मैदानी, दोनों इलाकों में सेवा की है। इसलिए मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र को अच्छी तरह से जानता हूं।

उन्होंने आगे कहा, “मैं दोनों पार्टियों के नेताओं से चर्चा के बाद अपने चुनाव अभियान को और गति दूंगा। पहाड़ और समतल दोनों को मिलकर लड़ाई लड़नी होगी। फिर, हमारी ही जीत होगी। एकता में ही जीत है। यह हम पहाड़ और समतल वासी सिद्ध करके दिखाएंगे।”

कौन हैं गोपाल लामा?

70 साल के गोपाल लामा सिलीगुड़ी व दार्जिलिंग में लंबे समय तक प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं। उनका पहले राजनीति से उतना नाता नहीं रहा, लेकिन अब वह इसमें कदम रख चुके हैं। अभी हाल ही में, बीते फरवरी महीने की शुरुआत में उन्होंने भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) का दामन थामा।‌ बीजीपीएम अध्यक्ष अनित थापा ने उन्हें बीजीपीएम की केंद्रीय कमेटी का सलाहकार नियुक्त किया। अब तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने उन्हें लोकसभा चुनाव 2024 के लिए दार्जिलिंग लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।

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गोपाल लामा का जन्म दार्जिलिंग जिले के दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के कर्सियांग महकमा में टुंग के पास गैरीगांव में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र से ही पूरी की। फिर, सेना के स्कूल से उच्च शिक्षा पूरी की।

उन्होंने कुछ समय के लिए सिक्किम में एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम किया। वर्ष 1985 में वेस्ट बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन की सिविल सर्विसेज (डब्ल्यूबीसीएस) की परीक्षा उत्तीर्ण कर वह पुरुलिया में पदस्थापित हुए। उसके बाद सिलीगुड़ी महकमा और कूचबिहार जिले के विभिन्न प्रखंडों में बीडीओ रहे।

2008-09 में वह सिलीगुड़ी महकमा के एसडीओ हुए। फिर, पर्यटन विभाग में संयुक्त निदेशक हो गए। जीटीए के पर्यटन विभाग में भी अधिकारी रहे। भूमि व भूमि सुधार विभाग में भी उच्च पद पर रहे। फिर, दार्जिलिंग के एडीएम बने और 2014 में इसी पद से रिटायर हुए।

रिटायर होने के बाद भी उन्हें गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) का ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) बनाया गया जिस पद पर वह 2017 तक आसीन रहे। इधर, वह सिलीगुड़ी में बस गए हैं। अब तक सेवानिवृत्त जीवनयापन कर रहे थे। इस बीच कई भाषा, संस्कृति, साहित्य और समाज सेवा की संस्थाओं संग जुड़ कर वह इन सब गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि, इधर लगभग डेढ़ महीने पहले खबर आई थी कि ममता बनर्जी ने गोपाल लामा से बातचीत की है और वही इस बार दार्जिलिंग सीट से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार भी होंगे। उस अटकल पर अब आधिकारिक मुहर लग गई है।

क्या कहता है बीजीपीएम?

दार्जिलिंग लोकसभा सीट से पूर्व प्रशासनिक अधिकारी गोपाल लामा को तृणमूल कांग्रेस का उम्मीदवार बनाए जाने पर तृणमूल कांग्रेस का सहयोगी भारतीय गोरखा प्रजातांत्रिक मोर्चा (बीजीपीएम) बहुत खुश है। इसके अध्यक्ष व जीटीए के मुख्य कार्यकारी अनित थापा ने दिली खुशी का इजहार किया है।‌

“हम बहुत खुश हैं। दार्जिलिंग का उम्मीदवार दार्जिलिंग की मिट्टी का ही चुना गया है। गोपाल लामा के पास व्यापक प्रशासनिक अनुभव है। वह केवल गोरखा नहीं बल्कि पूरे दार्जिलिंग जिले से गहरे जुड़े हुए हैं। समाज में विभिन्न स्तर पर उनकी पहचान भी बहुत खूब है। हमें पूरी उम्मीद है कि इस बार हम जीतेंगे। दार्जिलिंग पहाड़ पर पहले माहौल अलग था, अब अलग है। सिलीगुड़ी समतल क्षेत्र में भी स्थिति बिल्कुल अलग है। सिलीगुड़ी नगर निगम के शहरी क्षेत्र व सिलीगुड़ी महकमा परिषद के ग्रामीण क्षेत्र, सर्वत्र तृणमूल कांग्रेस सत्ता में है,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “इधर, गत पंचायत चुनाव में भी हमारी लड़ाई भाजपा और क्षेत्रीय पार्टियों से थी जिसमें हम जीते और अब लोकसभा चुनाव में भी वैसा ही होगा। भाजपा ने पिछले 15 वर्षों से लगातार दार्जिलिंग पहाड़ और पहाड़वासी गोरखाओं को केवल छलने का ही काम किया है। अब उसका पूरा हिसाब होगा। गोपाल लामा को जिताना हमारी जिम्मेदारी है। अगर हम हार गए तो गोरखा हार जाएंगे और हम इसकी अनुमति नहीं दे सकते हैं।”

तृणमूल कांग्रेस ने क्या कहा?

दार्जिलिंग जिला (समतल) तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष पापिया घोष ने भी दार्जिलिंग लोकसभा सीट से गोपाल लामा को तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार बनाए जाने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा है कि सिलीगुड़ी नगर निगम और सिलीगुड़ी महकमा परिषद जीतने के बाद अब उनका लक्ष्य लोकसभा चुनाव है और इस‌ बार वह दार्जिलिंग सीट जीतेंगे।

बताते चलें कि दार्जिलिंग सीट से अभी तक भाजपा उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हुई है। जबकि, आगामी कल शनिवार 16 मार्च को केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव-2024 की तिथियों की घोषणा होने जा रही है।

इधर, हफ्ते भर पहले केंद्र की सत्तारूढ़ भाजपा ने 195 लोकसभा चुनाव उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, उसमें पश्चिम बंगाल के भी 20 उम्मीदवार हैं, जिनमें पांच उत्तर बंगाल से हैं। दो-तीन दिन पहले भाजपा उम्मीदवारों की देश भर के लिए दूसरी सूची जो जारी हुई है, उसमें भी दार्जिलिंग तो दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल का कोई और उम्मीदवार घोषित नहीं हुआ है।

दार्जिलिंग का मामला अभी भी अधर में ही लटका हुआ है। वैसे ही जैसे यहां 11 जनजातियों को मान्यता, स्वायत्तता, स्थायी राजनीतिक समाधान आदि का मुद्दा अधर में है। यह कोई पहली बार नहीं हुआ है कि भाजपा के लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली सूची में दार्जिलिंग का नाम नहीं है। ऐसा पहले भी होता रहा है।

2009, 2014 व 2019, तीनों लोकसभा चुनाव में अंतिम घड़ी में ही भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की थी।

वैसे इस बार उत्तर बंगाल के कूचबिहार, मालदा उत्तर व मालदा दक्षिण, बालूरघाट और अलीपुरद्वार सीटों के लिए भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। मगर, रायगंज, जलपाईगुड़ी, और दार्जिलिंग के लिए अभी घोषणा होनी बाकी है।

इन सब के बीच सबसे ज्यादा चर्चा दार्जिलिंग को लेकर ही है। यहां भाजपा के वर्तमान सांसद राजू बिष्ट और भारत सरकार के पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की उम्मीदवारी भाजपा की ओर से ही होने को लेकर खूब चर्चा है।

यूं तो दार्जिलिंग सीट से जीत की हैट्रिक लगाने वाली भाजपा ने कभी भी इस सीट से अपने उम्मीदवार को दोहराया नहीं है। मगर दार्जिलिंग से वर्तमान भाजपा सांसद राजू बिष्ट का दावा है कि वह परंपरा इस बार टूटने जा रही है।

हालांकि, धरातल पर वास्तविकता यह भी है कि गत 15 वर्षों की तुलना में इस बार दार्जिलिंग पहाड़ी क्षेत्र में भाजपा को चुनौती ज्यादा है। वहीं, कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाममोर्चा की बात करें, तो दोनों यहां अब तक के इतिहास में सबसे लचर अवस्था में हैं।

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