उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय (University of North Bengal) का बीते एक-सवा साल से बड़ा बुरा हाल है। एक तो स्थायी वाइस चांसलर (वीसी) की नियुक्ति नहीं हो रही है, दूसरे रजिस्ट्रार और फाइनेंस आफिसर के पद भी खाली हैं। इन सर्वोच्च पदों के साथ ही साथ प्रोफेसरों, शिक्षक कर्मचारियों व गैर-शिक्षक कर्मचारियों के भी अनेक पद रिक्त पड़े हैं। अनेक पदों पर अस्थायी शिक्षक कर्मचारियों व गैर-शिक्षक कर्मचारियों द्वारा जो काम चलाया जा रहा है वह भी पर्याप्त नहीं है।
ऐसे में शिक्षा व्यवस्था से लेकर प्रबंधन व प्रशासनिक व्यवस्था, सब कुछ चरमरा कर रह गई है। इसे लेकर उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों, यहां तक कि आम लोगों, सब में गहरा रोष व्याप्त है।
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उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय की ऐसी दयनीय दशा इसके इतिहास में पहले कभी नहीं रही। इस राजकीय विश्वविद्यालय की वर्तमान लचर अवस्था के विरुद्ध खुद राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस समर्थित तृणमूल छात्र परिषद ने आंदोलन भी शुरू कर दिया है।
राज्य सरकार व राज्यपाल में रार बनी मुसीबत
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस शासन में है और राज्यपाल उस केंद्र सरकार के प्रतिनिधि हैं जिसे भाजपा चलाती है। ऐसे में स्वाभाविक रूप में राज्य सरकार व राज्यपाल के बीच बड़ी रार है। इसी रार की वजह से राज्य के अन्य कई विश्वविद्यालयों की भांति उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय भी बुरी तरह प्रभावित होकर रह गया है।
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीते सवा साल यानी 15 महीनों से यहां स्थायी वाइस चांसलर (वीसी) की नियुक्ति नहीं हो रही है। अस्थायी वाइस चांसलर जो नियुक्त हो रहे हैं वह भी मात्र महीने, दो महीने व तीन महीने में ही बदल दिए जा रहे हैं। गत 15 महीनों में ही यहां नियुक्त अस्थायी वाइस चांसलरों की संख्या छह हो गई है।
जबकि, इसका इतिहास देखें तो, इसकी स्थापना के वर्ष 1962 से 1922 तक 60 वर्षों में यहां कार्यवाहक वाइस चांसलरों की संख्या मात्र दो ही रही थी और बाकी सभी ने स्थायी वाइस चांसलर के रूप में लगभग तीन-चार साल का कार्यकाल पूरा किया था। इधर, मात्र 15 महीने में ही वाइस चांसलरों की संख्या छह हो गई है।
गत 60 वर्षों में यहां 15 वाइस चांसलर हुए और इधर मात्र सवा साल में छह वाइस चांसलर वह भी सब के सब अस्थायी ही। इनमें शुरुआती एक अस्थायी वाइस चांसलर को एक के बाद एक तीन कार्यकाल के लिए राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग ने नियुक्त किया। वहीं, बाकी के तीन अस्थायी वाइस चांसलर राज्यपाल द्वारा नियुक्त किए गए जो कि राज्यपाल होने के नाते राज्य के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों की भांति उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के भी चांसलर हैं। राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच राजनीतिक द्वंद्व में उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय चक्करघिन्नी बनकर रह गया है।
वाइस चांसलर हुए गिरफ्तार तो मचा हाहाकार
उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के अंतिम स्थायी वाइस चांसलर डॉ. सुबीरेश भट्टाचार्य रहे। उनका कार्यकाल पूरे चार साल का, 2018 से 2022 तक रहा। मगर, 19 सितंबर 2022 को उन्हें गिरफ्तार कर सीबीआई ले गई। वह राज्य के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति घोटाले में अभियुक्त ठहराए गए। उन पर पूर्व में राज्य के स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) के चेयरमैन रहते राज्य में बड़े पैमाने पर हुए शिक्षक नियुक्ति घोटाले में संलिप्त रहने का आरोप है। उसी मामले में वह गिरफ्तार किए गए और मुकदमा झेल रहे हैं।
उनके हटने के बाद से उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में अस्थायी वाइस चांसलरों की नियुक्ति का जो सिलसिला शुरू हुआ वह थमने का नाम ही नहीं ले रहा है।
एक साल में छह वाइस चांसलर
अंतिम स्थायी वाइस चांसलर डॉ. सुबीरेश भट्टाचार्य की गिरफ्तारी के बाद 20 सितंबर 2022 से 2 अक्टूबर 2023 तक यानी मात्र साल भर में ही उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में एक-दो नहीं बल्कि छह अस्थायी वाइस चांसलर नियुक्त किए जा चुके हैं।
सबसे पहले, सितंबर 2022 में राज्य सरकार की ओर से जादवपुर विश्वविद्यालय (कोलकाता) के अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा अंतरिम वाइस चांसलर बनाए गए। वह एक-दो-तीन महीनों के तीन कार्यकाल के लिए सितंबर 2022 से मई 2023 तक तीन बार अस्थायी वाइस चांसलर रहे।
हालांकि, उसी दरम्यान 29 जनवरी 2023 से 20 मार्च 2023 तक उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय बिना वाइस चांसलर के ही रहा। न तो स्थायी वाइस चांसलर और न ही अस्थायी।
डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा के बाद उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के ही अर्थशास्त्र विभाग की प्राेफेसर संचारी राय मुखर्जी 21 मई 2023 को अपने ही विश्वविद्यालय की कार्यवाहक वाइस चांसलर नियुक्त की गईं। मगर, लगभग ढाई महीने में ही 17 जुलाई को उन्हें वाइस चांसलर पद से विदा कर दिया गया। उनकी नियुक्ति और विदाई, दोनों ही, उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के चांसलर राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने ही की।
राज्यपाल ने अपने ही द्वारा नियुक्त की गई प्रोफेसर संचारी राय मुखर्जी को हटा कर उनकी जगह उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के ही मानिवकी, वाणिज्य एवं विधि संकाय के डीन प्रोफेसर रथिन बनर्जी को 17 जुलाई 2023 काे उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय का अंतरिम वाइस चांसलर नियुक्त किया। वह भी लगभग ढाई महीने में ही बदल दिए गए। उनकी जगह राज्यपाल ने अपने मित्र एक रिटायर्ड आइपीएस अधिकारी सी.एम. रवींद्रन को उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय का नया अंतरिम वाइस चांसलर नियुक्त किया। वह अक्टूबर 2023 से अब तक, लगभग साढ़े तीन महीने से उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय के अस्थायी वाइस चांसलर हैं। अब जल्द ही उनके भी बदले जाने की खबर है।
5 वर्षों से दीक्षांत समारोह भी बंद
उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में विडंबना यह भी है कि, पिछले 5 वर्षों से दीक्षांत समारोह भी नहीं हो रहा है। इस दौरान मानविकी, वाणिज्य और विज्ञान संकाय के विभिन्न पाठ्यक्रमों के हजारों विद्यार्थी स्नातकोत्तर व पीएचडी उत्तीर्ण हो चुके हैं। मगर, हर साल चांसलर यानी राज्यपाल समेत कई बड़ी हस्तियों की मौजूदगी में जो दीक्षांत समारोह होता है और डिग्रियां मिलती हैं, वह बीते 5 वर्षों से नहीं हो पा रहा है।
अंतिम बार वर्ष 2019 में 49वां दीक्षांत समारोह हुआ था। उसके बाद से अब तक यह बंद है। विद्यार्थी दीक्षांत समारोह की बाट ही जोहने को मजबूर हैं। इसे लेकर विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों यहां तक कि विश्वविद्यालय के शिक्षकों में भी रोष व्याप्त है।
उत्तर बंगाल के शिक्षाविदों में गहरा रोष
वाइस चांसलर नियुक्ति मामले में उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय की वर्तमान दयनीय परिस्थिति को लेकर उत्तर बंगाल के शिक्षाविदों में गहरा रोष व्याप्त है। उनका कहना है कि उत्तर बंगाल का सबसे पहला और वर्ष 2008 तक यहां का इकलौता विश्वविद्यालय रहा उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय इन दिनों जैसी दयनीय दशा से गुजर रहा है वैसी दयनीय दशा इसके पूरे इतिहास में कभी नहीं रही।
यह ऐतिहासिक शिक्षण संस्थान उत्तर बंगाल के लिए एक बहुत ही प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान है। इससे देश-दुनिया में फैले इसके लाखों विद्यार्थियों व हजारों प्राध्यापकों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। इसलिए अब और इसकी प्रतिष्ठा से खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए। इसे राज्य सरकार और राज्य के विश्वविद्यालयों के चांसलर यानी राज्यपाल के बीच उपजे विवाद का शिकार नहीं बनाया जाना चाहिए। यह राजनीति की प्रयोगशाला न बने बल्कि उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान ही रहे।
‘अस्थायी’ व ‘कार्यवाहक’ की जकड़न दूर कर यहां सब कुछ स्थायी किया जाना चाहिए। नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी एल्यूमनी एसोसिएशन (एनबीयूएए) की ओर से अध्यक्ष डॉ. तापस कुमार चटर्जी और सचिव फजलुर्रहमान कई बार शासन-प्रशासन के समक्ष ये मांगें उठा चुके हैं। एनबीयू टीचर्स काउंसिल के अध्यक्ष प्रोफेसर समर विश्वास भी उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय को राजनीति का अखाड़ा बनाए जाने को ले बार-बार गहरा रोष व्यक्त कर चुके हैं और इसके समाधान की मांग करते आ रहे हैं।
तृणमूल छात्र परिषद ने शुरू किया आंदोलन
उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय की दयनीय दशा के विरुद्ध राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस समर्थित तृणमूल छात्र परिषद ने भी आंदोलन शुरू कर दिया है। दो दिन पहले भी विश्वविद्यालय परिसर में तृणमूल छात्र परिषद की स्थानीय इकाई की ओर से प्रतिवाद सभा की गई।
तृणमूल छात्र परिषद के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष तृणांकुर भट्टाचार्य भी उसमें सम्मिलित हुए। उन्होंने राज्यपाल पर चांसलर होने के नाते राज्य के विश्वविद्यालयों में समानांतर सरकार चलाने और शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह चौपट कर देने का आरोप लगाया।
एक पूर्व आईपीएस अधिकारी को उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में अंतरिम वाइस चांसलर नियुक्त किए जाने पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अकादमिक जगत से बाहर के व्यक्ति को विश्वविद्यालय जैसी शिक्षा की सर्वोच्च संस्था का प्रधान बनाए जाने की ऐसी नजीर पश्चिम बंगाल में पहले कभी नहीं रही। यह सब राज्य की शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस किए जाने की साजिश है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके विरुद्ध तृणमूल कांग्रेस व तृणमूल छात्र परिषद का आंदोलन लगातार जारी रहेगा।
इधर, उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय की वर्तमान अस्थिर परिस्थिति के चलते शिक्षा, दीक्षा से लेकर सब कुछ अस्त-व्यस्त हो कर रह गया है। इसके विरुद्ध रोष बढ़ने लगा है। अब चहुंओर से यह आवाज उठने लगी है – इससे पहले कि विश्वविद्यालय की धूमिल होती जा रही प्रतिष्ठा पूरी तरह से धूमिल हो जाए, तमाम अस्थिरता को दूर कर अविलंब उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय में सब कुछ स्थिर व बेहतर किया जाना चाहिए।
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