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BPSC के नोटिस का जवाब नहीं देना पड़ा भारी, अभ्यर्थियों पर लगा 1-4 साल तक का प्रतिबंध

आयोग द्वारा निर्गत आवश्यक सूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि जिन अभ्यर्थियों को आयोग द्वारा प्रकाशित परीक्षाफल पर यदि आपत्ति है, तो शपथ पत्र व साक्ष्य के साथ अपनी आपत्ति दर्ज करेंगे। आयोग के आदेश का अवहेलना करते हुए इन 741 अभ्यर्थियों द्वारा बिना शपथ पत्र के अपनी-अपनी आपति दर्ज करायी गयी।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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बिहार लोक सेवा आयोग ने अपने नोटिस (स्पष्टीकरण) का जवाब नहीं देने की वजह से 413 शिक्षक अभ्यर्थियों पर आयोग के किसी भी परीक्षा में भाग लेने पर चार साल का प्रतिबंध लगाया है। इन अभ्यर्थियों पर आयोग की छवि धूमिल करने का आरोप लगा था। आयोग ने इन सभी अभ्यर्थियों की सूची अपने आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की है।

दरअसल, प्रथम चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा के परिणाम प्रकाशन के उपरांत कई अभ्यार्थियों द्वारा दूरभाष पर व आयोग में व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर बताया गया था कि प्रकाशित परीक्षाफल के कट-ऑफ से उनका प्राप्तांक अधिक होने के बाद भी उनका नाम चयन सूची में नही है।

आयोग के संज्ञान में इस तरह के मामले आने के उपरांत आयोग ने सूचना के माध्यम से 29 अक्टूबर से 12 दिसंबर के बीच अभ्यार्थियों से शपथ पत्र (साक्ष्य के साथ) और ऑनलाइन आपत्ति की माँग की गई। निर्धारित अवधि तक कुल 1,756 अभ्यर्थियों ने ऑनलाइन आपत्ति दर्ज की। आयोग ने जाँचोपरांत पाया कि उन 1,756 आवेदन पत्रों में 741 आवेदन पत्र बिना शपथ पत्र के समर्पित किया गया था।


आयोग द्वारा निर्गत आवश्यक सूचना में स्पष्ट रूप से उल्लेखित था कि जिन अभ्यर्थियों को आयोग द्वारा प्रकाशित परीक्षाफल पर यदि आपत्ति है, तो शपथ पत्र व साक्ष्य के साथ अपनी आपत्ति दर्ज करेंगे। आयोग के आदेश का अवहेलना करते हुए इन 741 अभ्यर्थियों द्वारा बिना शपथ पत्र के अपनी-अपनी आपति दर्ज करायी गयी।

आयोग ने इसे गंभीरता से लेते हुए वैसे सभी अभ्यर्थियों से स्पष्टीकरण की मांग की, जिन्होंने बिना शपथ-पत्र व साक्ष्य के आपत्ति दर्ज की थी। निर्धारित तिथि यानी कि 30 नवंबर तक कुल 171 अभ्यर्थियों द्वारा अपना स्पष्टीकरण आयोग को समर्पित किया गया।

वैसे अभ्यर्थी जिन्होंने निर्धारित अवधि तक अपने बचाव में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत नहीं किया है, उन 413 शिक्षक अभ्यर्थियों को आयोग की आगामी चार साल की परीक्षा में भाग लेने पर प्रतिबंधित किया गया है।

आयोग के अनुसार, इन अभ्यर्थियों द्वारा आयोग के कृत्यों पर ग़लत ढंग से तथ्यविहीन, भ्रामक आरोप लगाये गये तथा आयोग द्वारा उनकी अपनी समस्या रखने के लिये समुचित अवधि देने के बाद भी बिना शपथ पत्र के आपत्ति दर्ज करायी गयी।

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इन अभ्यर्थियों ने बिना शपथ पत्र के आपत्ति दर्ज कराने के बाद बचाव में स्पष्टीकरण मांगने के बावजूद अपना स्पष्टीकरण समर्पित नहीं किया। आयोग ने बताया कि इससे स्पष्ट हो रहा है कि इन सभी अभ्यर्थियों द्वारा अपनी असफलता को छुपाने और आयोग के छवि को धूमिल करने की चेष्टा की गयी है, जो किसी प्रतियोगी परीक्षार्थी के आचरण के प्रतिकूल है।

171 अभ्यर्थियों पर एक साल का प्रतिबंध

आयोग द्वारा भेजे गये नोटिस (स्पष्टीकरण) का जवाब देने की निर्धारित तिथि यानी कि 30 नवंबर तक कुल 171 अभ्यर्थियों द्वारा अपना स्पष्टीकरण आयोग को समर्पित किया गया। इसमें उन्होंने उल्लेख किया कि उनसे अनजाने में गलती हो गई तथा परीक्षा में अनुतीर्ण होने के कारण अत्याधिक दबाब व घबड़ाहट में शपथ-पत्र नहीं दे सका और भूलवश शपथ पत्र पोर्टल पर अप्लोड नहीं कर सका।

आयोग की मानें तो इन अभ्यर्थियों ने गलत ढंग से आयोग पर दोषारोपण किया जो किसी प्रतियोगी परीक्षार्थी के लिये सही नहीं है।

आयोग ने इन अभ्यर्थियों के स्पष्टीकरण को समुचित नहीं मानते हुए आयोग के संबंध में भ्रमक सूचना फैलाने आयोग के छवि को धूमिल करने तथा अपने कमी को छुपाने और आयोग के बहुमुल्य समय को बर्बाद करने के प्रयास के आरोप में इन अभ्यर्थियों पर एक साल (31 दिसंबर 2024 तक) तक की आगमी परीक्षा में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया है।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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