बिहार की नवादा सीट पर लोकसभा चुनाव-2024 में भारतीय जनता पार्टी के विवेक ठाकुर और राष्ट्रीय जनता दल के श्रवण कुशवाहा के बीच मुक़ाबला होगा। दोनों ही उम्मीदवार पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। विवेक वर्तमान में राज्यसभा के सांसद हैं, वहीं, श्रवण कुशवाहा ने अब तक कोई चुनाव नहीं जीता है।
नवादा सीट से राजद के बागी नेता विनोद यादव भी चुनावी मैदान में हैं। राजद से टिकट ना मिलने के कारण वह पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि नवादा सीट पर भाजपा, राजद और विनोद यादव के बीच त्रिकोणीय मुक़ाबला होगा।
पिछले तीन चुनाव से एनडीए का क़ब्ज़ा
2008 में हुए परिसीमन के बाद इस सीट पर लगातार एनडीए का क़ब्ज़ा रहा है। 2009 में यहां से बीजेपी के भोला सिंह ने लोक जनशक्ति पार्टी की वीणा देवी को हराया था।
2014 में भाजपा उम्मीदवार गिरिराज सिंह ने राजद के राज बल्लभ प्रसाद को शिकस्त दी। गिरिराज को 3,90,248 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे राजबल्लभ प्रसाद को 2,50,091 और तीसरे स्थान पर रहे जदयू के कौशल यादव को 1,68,217 वोट प्राप्त हुए।
2019 में लोक जनशक्ति पार्टी के चंदन सिंह सांसद चुने गये। उन्होंने राजद की विभा देवी को 1,48,072 वोटों से पराजित किया। चंदन सिंह को 4,95,684 वोट और विभा को 3,47,612 वोट प्राप्त हुए।
नवादा सीट के बारे में
नवादा लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा क्षेत्र बरबीघा, रजौली, हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर और वारिसलीगंज हैं। लोकसभा क्षेत्र अन्तर्गत आने वाली तीन विधानसभा सीटों पर राजद, एक-एक पर जदयू, कांग्रेस और भाजपा के एमएलए हैं।
बरबीघा से जदयू के सुदर्शन कुमार, रजौली से राजद के प्रकाश वीर, गोविन्दपुर से राजद के मो. कामरान, नवादा से राजद की विभा देवी, हिसुआ से कांग्रेस की नीतु कुमारी और वारिसलीगंज से भाजपा की अरूणा देवी विधायक हैं।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, नवादा लोकसभा क्षेत्र में वोटरों की तादाद 19,90,464 है, जिसमें पुरुष वोटर 10,38,054, महिला वोटर 9,52,258 और अन्य वोटरों की तादाद 152 है।
01.01.2024 को प्रस्तावित फाइनल रोल में वोटरों की संख्या | |||||
No. | Assembly Name | Male | Female | Third Gender | Total Voters |
170 | Barbigha | 121712 | 111228 | 1 | 232941 |
235 | Rajauli (SC) | 174316 | 161719 | 19 | 336054 |
236 | Hisua | 200604 | 183769 | 49 | 384422 |
237 | Nawada | 187176 | 172054 | 14 | 359244 |
238 | Gobindpur | 168409 | 154615 | 35 | 323059 |
239 | Warsaliganj | 185837 | 168873 | 34 | 354744 |
नवादा लोकसभा क्षेत्र में कुल वोटर | 1990464 |
नवादा सीट का इतिहास
1951 में कांग्रेस के ब्रजेश्वर प्रसाद और रामधनी दास यहां से सांसद निर्वाचित हुए। 1951 में इस सीट का नाम गया ईस्ट था। 1957 में नवादा एक नया लोकसभा क्षेत्र बना। 1957 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सत्यभामा देवी और रामधनी दास यहां से सांसद चुने गए।
दरअसल, 1951 और 1957 के चुनाव में कुछ सीटों पर दो-दो सांसदों के लिये चुनाव हुआ था। एक सांसद सामान्य और दूसरा आरक्षित श्रेणी का था।
1962 में कांग्रेस के रामधनी दास जनसंघ के अकलू मांझी को हराकर यहां से सांसद बने।
1967 में पहला गैर-कांग्रेसी सांसद
1967 के आम चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. महंत सूर्यप्रकाश नारायण पूरी ने कांग्रेस के उम्मीदवार जी.पी. सिन्हा को पराजित किया। 1971 में कांग्रेस के सुखदेव प्रसाद वर्मा ने निर्दलीय सूर्यप्रकाश नारायण पूरी को हराकर यह सीट फिर से कांग्रेस की झोली में डाल दी।
1977 में भारतीय लोकदल के नथुनी राम ने कांग्रेस उम्मीदवार महाबीर चौधरी को शिकस्त दी। 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की। कांग्रेस के कुंवर राम ने सीपीएम के प्रेम प्रदीप को हराकर इस सीट पर क़ब्ज़ा किया।
1984 में नवादा लोकसभा सीट पर एक बार फिर कांग्रेस के कुंवर राम और सीपीएम के प्रेम प्रदीप आमने-सामने थे। लेकिन, कांग्रेस के कुंवर राम ने प्रेम प्रदीप को हराकर अपनी जीत का सिलसिला जारी रखा।
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दो बार सीपीएम की जीत
आख़िरकार, 1989 में सीपीएम के टिकट पर प्रेम प्रदीप यहां से सांसद बने। उन्होंने बीजेपी के कामेश्वर पासवान को हराया। इस चुनाव में कांग्रेस के कुंवर राम तीसरे स्थान पर रहे।
1991 में सीपीएम के टिकट पर प्रेमचंद राम यहां के एमपी हुए। उन्होंने कांग्रेस के महावीर चौधरी को शिकस्त दी। बीजेपी के सत्यदेव नारायण आर्या तीसरे स्थान पर रहे।
1996 में खिला कमल
1996 में पहली बार इस सीट पर बीजेपी का कमल खिला। बीजेपी उम्मीदवार कामेश्वर पासवान, सीपीएम के प्रेमचंद राम को हराकर यहां से सांसद बने। हालांकि, अगले ही लोकसभा चुनाव (1998) में कामेश्वर पासवान को राजद की मालती देवी के सामने शिकस्त मिली।
1999 में बीजेपी के संजय पासवान ने राजद के विजय कुमार चौधरी को हरा कर इस सीट पर क़ब्ज़ा किया। लेकिन, 2004 में एक बार फिर यह सीट राजद की झोली में गई। इस चुनाव में राजद के वीरचंद्र पासवान ने संजय पासवान को पराजित किया।
2019 में विधानसभा वार मिले वोट
2019 के लोकसभा चुनाव में नवादा सीट के अन्तर्गत आने वाले सभी छह विधानसभा बरबीघा, रजौली, हिसुआ, नवादा, गोविंदपुर और वारिसलीगंज में लोजपा के चंदन सिंह पहले नंबर पर थे। वहीं, सभी सीटों पर विभा देवी दूसरे नंबर पर थीं।
बरबीघा में लोजपा को 69,697 और राजद को 28,493 वोट मिले। रजौली में लोजपा को 76,057 और राजद को 64,286 वोट, हिसुआ में लोजपा को 1,05,401 और राजद को 66,418 प्राप्त हुए।
नवादा विधानसभा में लोजपा को 73,851 और राजद को 73,452, गोविंदपुर में लोजपा को 72,849 और राजद को 56,490 तथा वारिसलीगंज विधानसभा में लोजपा उम्मीदवार को 94,101 और राजद उम्मीदवार को 55,595 वोट मिले थे।
RJD उम्मीदवार श्रवण कुशवाहा
नवादा लोकसभा सीट पर राजद ने श्रवण कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनका यह पहला लोकसभा चुनाव है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में श्रवण ने नवादा सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था।
चुनाव में उनको राजद की विभा देवी के सामने शिकस्त मिली थी। श्रवण 46,125 वोट लाकर दूसरे स्थान पर रहे थे। वहीं, तीसरे स्थान पर जदयू के कौशल यादव थे, जिनको 34,567 वोट मिले।
श्रवण ने 2020 में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर बिहार एमएलसी का चुनाव भी लड़ा, जिसमें निर्दलीय अशोक यादव के हाथों उन्हें हार मिली।
श्रवण के ख़िलाफ मारपीट, आदर्श आचार संहिता उल्लंघन, खनन विभाग में राजस्व से संबंधित 6 मामले दर्ज हैं। उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की है।
करोड़पति हैं श्रवण कुशवाहा
उनके पास लगभग पौने दो करोड़ रुपये की चल संपत्ति है, जिसमें नग़दी, एलआईसी इंश्योरेंस, 300 ग्राम सोना, चार लग्ज़री कार, एक पोकलेन (गड्ढे खोदने वाली मशीन) और एक पिस्टल शामिल हैं। वहीं, उनकी पत्नी के पास 57 लाख 70 हजार रुपये की चल संपत्ति है जिनमें नगदी, एलआईसी इंश्योरेंस, 500 ग्राम सोना, एक किलोग्राम चांदी, एक लग्ज़री कार और एक ट्रैक्टर शामिल हैं।
अचल संपत्ति के रूप में श्रवण कुशवाहा के नाम 1.5 करोड़ रुपये की कीमत की 9 एकड़ और पत्नी के नाम 1 करोड़ 55 लाख रुपये की कीमत की 4 एकड़ खेती करने योग्य भूमि है। दोनों के नाम पर एक मकान है, जिसकी कीमत एक करोड़ रुपये है।
विभिन्न बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से उन्होंने 1 करोड़ 92 लाख रुपये और उनकी पत्नी ने 52 लाख रुपये का कर्ज ले रखा है।
बीजेपी उम्मीदवार विवेक ठाकुर
विवेक ठाकुर वर्तमान में भाजपा के टिकट पर राज्यसभा सांसद हैं। यह उनका पहला लोकसभा चुनाव है। मई 2013 से मई 2014 के बीच वह बिहार विधान परिषद के सदस्य भी रहे। उन्होंने बिहार विधान परिषद का उप चुनाव जीता था।
वह पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. चंद्रेश्वर प्रसाद ठाकुर (सीपी ठाकुर) के पुत्र हैं। सीपी ठाकुर 1984, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनाव में पटना सीट से सांसद चुने गये। वह 1989 और 2004 का लोकसभा चुनाव भी पटना सीट से लड़े, मगर उनकी हार हुई।
सीपी ठाकुर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री और लघु उद्योग व पूर्वोत्तर विकास मंत्री भी रहे। साथ-साथ वह राज्यसभा सांसद भी रहे।
बीजेपी की टिकट पर विवेक ठाकुर दो बार हारे चुनाव
विवेक ठाकुर बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर दो बार विधानसभा का चुनाव लड़े चुके हैं, लेकिन, दोनों ही चुनावों में उनको हार का सामना करना पड़ा।
वह 2005 और 2015 में भाजपा के टिकट पर बक्सर जिले के ब्रहम्पुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े। 2005 में राजद के अजीत चौधरी और 2015 में राजद के ही शंभुनाथ यादव ने उनको हराया।
विवेक के खिलाफ कोई मुक़दमा नहीं
अपने हलफनामें में विवेक ठाकुर ने बताया है कि उनके खिलाफ कोई मुक़दमा दर्ज नहीं है। उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया है।
उनके पास तक़रीबन 93 लाख रुपये की चल संपत्ति है, जिसमें नगद, बैंकों में जमा, एक टोयोटा फॉर्च्यूनर कार, 90 ग्राम सोना, हीरे की अंगूठी और डेढ़ किलोग्राम चांदी शामिल हैं। वहीं, उनकी पत्नी के पास लगभग 70 लाख रुपये की चल संपत्ति है, जिसमें एक हुंडई क्रेटा कार, 450 ग्राम सोना, हीरे की अंगूठी, 1.2 किलोग्राम चांदी शामिल हैं। विवेक ने विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से क़रीब 71 लाख रुपये का क़र्ज़ ले रखा है।
विवेक ठाकुर के नाम पर 3 एकड़ 48 डिस्मिल कृषि भूमि है, जिसकी कीमत 1 करोड़ 20 लाख रुपये से अधिक है, और उनकी पत्नी के नाम पर 0.58 एकड़ कृषि भूमि रजिस्टर्ड है, जिसकी कीमत लगभग 20 लाख रुपये है। दोनों के नाम पर संयुक्त रूप से हरियाणा के गुरूग्राम में एक फ्लैट भी है, जिसका मूल्य लगभग 73 लाख रुपये है।
विनोद यादव बिगाड़ेंगे राजद का खेल?
नवादा से विनोद यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। जैसे ही राजद ने श्रवण कुशवाहा के नाम का ऐलान किया तो पार्टी के प्रदेश महासचिव विनोद यादव ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। दरअसल, वह टिकट ना मिलने से नाराज थे। विनोद यादव नवादा से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रहे थे।
विनोद राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव के भाई हैं। राजबल्लभ की पत्नी विभा देवी वर्तमान में नवादा की विधायक हैं।
अपने हलफनामे में विनोद ने बताया है कि उनके ऊपर कोई भी मुक़दमा दर्ज नहीं है। उन्होंने इंटरमीडियट तक पढ़ाई की है।
उनके पास क़रीब 78 लाख रुपये और उनकी पत्नी के पास करीब दो लाख रुपये की चल संपत्ति है। विनोद के नाम पर 48.2 एकड़ कृषि योग्य भूमि है। उनके नाम पर एक मकान है, जिसकी क़ीमत 20 लाख रुपये और उनकी पत्नी के नाम पर भी एक मकान है, जिसकी क़ीमत 55 लाख रुपये है। विभिन्न बैंकों से विनोद ने 1 करोड़ 28 लाख रुपये का क़र्ज़ ले रखा है।
परिवार का बग़ावत से है पुरान नाता
विनोद यादव के बड़े भाई कृष्ण प्रसाद नवादा सीट पर 1990 में भाजपा की टिकट पर विधायक बने। कुछ समय बाद ही वह बीजेपी से बग़ावत कर कुछ एमएलए के साथ जनता दल में शामिल हो गये। 1994 में कृष्ण प्रसाद की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनकी पत्नी को जनता दल ने विधान परिषद भेजा।
कृष्ण प्रसाद यादव की मृत्यु के बाद उनके भाई राजबल्लभ यादव ने राजनीतिक विरासत को संभाला।
1995 में राजद ने नवादा सीट पर राजबल्लभ यादव को टिकट नहीं दिया तो, वह बाग़ी बनकर निर्दलीय ही मैदान में कूद गये और जीत भी हासिल की। इसके बाद 2000 में नवादा से राजद ने राजबल्लभ को टिकट दिया, जिसमें उनकी एक बार फिर जीत हुई। जिसके बाद वह बिहार सरकार में मंत्री भी बनाये गये।
2005 का दोनों (फरवरी तथा अक्टूबर) विधानसभा चुनाव और 2010 का विधानसभा चुनाव वह राजद के टिकट पर नवादा सीट से लड़े, लेकिन ये चुनाव वह हार गये थे। हालांकि, 2015 में महागठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर एक बार फिर वह नवादा के विधायक चुने गये। 2018 में एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में अदालत ने उनको उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसके बाद से वह जेल में बंद हैं।
2022 के बिहार विधान परिषद चुनाव में कृष्ण प्रसाद के बेटे अशोक कुमार राजद से टिकट की आस लगाये हुए थे। लेकिन राजद ने श्रवण कुमार को टिकट दे दिया, जिससे नाराज होकर अशोक यादव ने निर्दलीय ही एमएलसी चुनाव लड़ा। चुनाव में उनकी जीत हुई।
अब, एक बार फिर उसी परिवार से विनोद यादव राजद से बग़ावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं।
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