बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की तरफ से जारी कम्प्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की परीक्षा के रिज़ल्ट में सीमांचल के लाल ज़ोहेब हसन ने टॉप किया है। ज़ोहेब पूर्णिया ज़िले के रौटा के रहने वाले हैं। ज़ोहेब की कामयाबी से उनके परिवार और घर में खुशी का माहौल है।
उल्लेखनीय है कि BPSC ने गुरुवार को कम्प्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिये 208 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया है, जिसमें सबसे अधिक नंबर जोहेब को प्राप्त हुए हैं।
जोहेब ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि उनकी शुरुआती पढ़ाई पूर्णिया स्थित बेलौरी के एक स्कूल से हुई थी। 10वीं उन्होंने पूर्णिया के बिजेंद्रा पब्लिक स्कूल से की। उसके बाद 12वीं की पढ़ाई जोहेब ने दिल्ली स्थित हमदर्द पब्लिक स्कूल से पूरी की।
12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली स्थित जामिया हमदर्द विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग में स्नातक (बीटेक) और एमटेक की पढ़ाई की।
पढ़ाई खत्म करने के बाद उनका चयन दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर हुआ। लेकिन, चयन नियमित नहीं था और वह सिर्फ कांट्रेक्ट के आधार पर वहां बहाल किये गये थे।
जोहेब ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा आयोजित पहले चरण की शिक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हुए और सफल भी हो गये। उन्होंने किशनगंज के कोचाधामन स्थित निसंदरा उच्च विद्यालय में शिक्षक के तौर पर योगदान भी दिया था।
इसी बीच, बिहार लोक सेवा आयोग ने राज्य के इंजीनियरिंग कॉलेजों में पढ़ाने के लिये विभिन्न विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों के लिए विज्ञापन निकाला, जिसमें कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग की रिक्तियां भी शामिल थीं।
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ज़ोहेब ने इन पदों के लिये आवेदन दिया और लिखित परीक्षा में कामयाब हुए, जिनके बाद उनको साक्षात्कार के लिये आमंत्रित किया गया।
साक्षात्कार को याद करते हुए ज़ोहेब कहते हैं कि साक्षात्कार परीक्षा में उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया था, जिसके बाद उनको महसूस हो गया था कि वह इस परिणाम में टॉप कर सकते हैं।
“इंटरव्यू के बाद मुझे लगा था और कई लोगों को मैंने बोला भी था कि शायद मैं इस बार टॉप कर जाऊं। लेकिन, पूरे कांफिडेंस के साथ तो नहीं कह सकता था। जब रिजल्ट आया तो पता चला कि मैंने ही टॉप किया है,” उन्होंने कहा।
ज़ोहेब शादीशुदा हैं और उसके दो छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। नौकरी, परिवार और परीक्षा की तैयारी में संतुलन बनाने के सवाल पर जोहेब मुस्कुराते हुए कहते हैं कि शुरू में तो मुश्किल होती है, लेकिन आदमी चाह ले तो फिर आसानी से कर सकता है।
“असल में हमारा कॉलेज का समय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक होता था, जिसमें हर वक़्त क्लास नहीं होती है। जो ख़ाली समय होता था क्लास लेने के बीच में, उसको मैं अच्छे से इस्तेमाल करता था और उस दौरान पढ़ाई करता था,” उन्होंने कहा।
युवाओं को संदेश देते हुए ज़ोहेब कहते हैं कि युवाओं को समझना होगा कि कामयाबी हासिल करने का कोई शार्ट-कट नहीं है और लगातार अपनी मेहनत जारी रखते हुए कोई भी व्यक्ति कामयाबी के शिखर पर पहुंच सकता है।
“सीमांचल के बच्चों में काफी टैलेंट है…आप भी बड़े-बड़े ओहदे पर, चाहे यूपीएससी हो बीपीएससी हो और भी जो परीक्षा हो, उसमें बड़ा लक्ष्य लें और कामयाबी हासिल करें,” उन्होंने कहा।
ज़ोहेब ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों को दिया। उन्होंने कहा कि उनकी कामयाबी में सबका योगदान है और खासतौर पर दिल्ली में पढ़ाई के दौरान उनकी बहन और जीजा का बहुत अधिक योगदान रहा।
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