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Fake News: फेक, फ़ेक… क्या है ये फ़ेक न्यूज़?

फेक न्यूज को एक मनगढ़ंत कहानी की तरह समझें। हो सकता है कि सामने वाला आपका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए ऐसा कर रहा हो, या आप को बेवक़ूफ़ बना कर किसी ऐसी चीज़ पर विश्वास करवाना चाहता है जो वास्तविक नहीं है।

Ariba Khan Reported By Ariba Khan |
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फेक न्यूज़ का मतलब है ऐसी ख़बरें या जानकारी जो ग़लत या भ्रामक हैं, और सच्चाई से मेल नहीं खाती हैं।

फेक न्यूज को एक मनगढ़ंत कहानी की तरह समझें। हो सकता है कि सामने वाला आपका ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए ऐसा कर रहा हो, या आप को बेवक़ूफ़ बना कर किसी ऐसी चीज़ पर विश्वास करवाना चाहता है जो वास्तविक नहीं है।

गाँव में अक्सर बच्चा चोरी की अफवाहें फैलती रहती हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसी कई घटनाएं सामने आईं, जहाँ बच्चा चोरी के आरोप में किसी की के साथ मारपीट की गई और भीड़ ने पीट पीटकर उसकी जान ले ली, लेकिन बाद में वह महज़ एक अफवाह निकली।


इसी तरह कोरोना महामारी के दौरान बचाव के लिए टीके लगने लगे तो टीके को लेकर भी कई तरह की फेक यूज फैलाई गई, मसलन कोरोना के टीके से पुरुष नपुंसक हो जाते हैं, कोरोना की सूई देने से लोगों की मौतें हो रहीं आदि। ये सभी फेक न्यूज़ थे।

आपने सुना होगा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी नेहरू परिवार से होने के बावजूद महात्मा गांधी का ‘गांधी’ सरनेम इस्तेमाल करते हैं या उनका परिवार पहले मुस्लिम था। ये एक फेक न्यूज़ है। राहुल गांधी के दादा यानी इंदिरा गांधी के पति का नाम फ़िरोज़ जहांगीर गांधी था, जो एक पारसी समुदाय से आते थे। चूंकि राहुल गांधी के दादा, परदादा सबका सरनेम गांधी ही था, इसीलिए उनका परिवार गांधी सरनेम का इस्तेमाल करता है।

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फेक न्यूज़ अक्सर उलटे-पलटे तथ्यों, भ्रांतियों और ख़तरनाक अनुमान का प्रचार करती है। इसकी वजह से लोग सच्चाई की जगह ग़लत जानकारी पर विश्वास कर लेते हैं और फिर इसे दूसरे लोगों तक भी पहुँचाते हैं, जिसका असर कई बार सामाजिक व धार्मिक भेदभाव के साथ साथ चुनाव पर भी पड़ता है।

इसलिए इंटरनेट के इस दौर में हमें सावधान रहने की ज़रूरत है। आप जो कुछ भी सुनते हैं या देखते हैं उस पर विश्वास करने में जल्दबाजी न करें, खासकर जो चीज़ आप ऑनलाइन देखते या पढ़ते हैं उसको पहले जांच लें कि वह सच है भी या नहीं। साथ ही ऐसी ख़बरें व्हाट्सप्प पर फॉरवर्ड करने या फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर शेयर करने से पहले भी सतर्क रहने की ज़रूरत है।

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अरीबा खान जामिया मिलिया इस्लामिया में एम ए डेवलपमेंट कम्युनिकेशन की छात्रा हैं। 2021 में NFI fellow रही हैं। ‘मैं मीडिया’ से बतौर एंकर और वॉइस ओवर आर्टिस्ट जुड़ी हैं। महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर खबरें लिखती हैं।

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