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किशनगंज रेलवे स्टेशन पर दुकानदारों की मनमानी, आवंटित जगह पर नहीं लगाते स्टॉल

स्टेशन प्रबंधक ने सूचना के अधिकार के तहत पूछे गये सवालों के लिखित जवाब में कहा कि रेलवे स्टेशनों पर स्टॉल लगाना और उनका स्थान बदलना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, और इसलिये ये प्रश्न कटिहार रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक को भेजा जा चुका है।

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बिहार के किशनगंज रेलवे स्टेशन पर दुकान (स्टॉल) लगाने के लिये दुकानदारों द्वारा नियमों की खुले तौर पर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दरअसल, रेलवे स्टेशन के एक और दो नंबर प्लेटफार्म पर कई ऐसी दुकानें हैं, जिनका वास्तविक कैटरिंग स्टॉल संचालित करने वाले नहीं मिलेंगे। यानी नियम और कानून को ताक पर रखकर स्टॉल वेंडर ने अपने स्टॉल को किराए पर दे रखा है। दूसरी तरफ, प्लेटफॉर्म पर कई स्टॉल अपने मूल स्थान से दूसरे स्थान पर संचालित किये जा रहे हैं।

बताते चलें कि देश के बाकी हिस्सों को उत्तर-पूर्वी राज्यों से जोड़ने वाला रेलवे मार्ग किशनगंज से ही गुज़रता है, जिस वजह से रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की अच्छी खासी भीड़ रहती है। ऐसे में दुकानदारों की मनमानी से यात्रियों को भी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ता है।

‘मैं मीडिया’ने आवंटित जगह पर स्टॉल नहीं लगाने वाले कई दुकानदारों से बात की। स्टॉल सही जगह पर न लगाने के सवाल पर ये दुकानदार कुछ भी बताने से बचते नज़र आए। प्लेटफॉर्म संख्या-1 के पिलर संख्या 6 के पास स्थित दुकान में मौजूद रवि कुमार ने बताया कि वह यहां नये आये हैं और जब से वह काम कर रहे हैं तब से यह दुकान पिलर संख्या 6 के पास पर ही लगती है।


उल्लेखनीय है कि इस दुकान का लाइसेंस बीबी मैरून के नाम से प्राप्त है। रवि कुमार ने बताया कि फिलहाल यह दुकान कोई मंटू नाम के व्यक्ति चला रहे हैं। पिलर संख्या 6 के पास मौजूद इस दुकान को पिलर संख्या 15-16 के बीच की जगह आवंटित की गई है।

“स्टॉल मंटू भैया चला रहा है अभी। अभी पिलर नंबर 6 के पास है दुकान। जब से हम यहां काम कर रहे हैं तब से यह दुकान यहीं पर है। हमको 10 दिन हो गया काम-काम करते हुए। यहां दुकान कब आया हमको इसकी जानकारी नहीं है,” उन्होंने कहा।

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एक अन्य दुकान जिसको पिलर संख्या 19-20 के बीच की जगह आवंटित की गई है, वह भी अब पिलर संख्या 5 के पास अपना स्टॉल लगाता है। दुकान पर मौजूद मो. हसनैन से जब इस बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने भी वही बहाना दोहराया।

उन्होंने ‘मैं मीडिया’को बताया कि उन्होंने एक सप्ताह पहले से ही इस दुकान पर काम करना शुरू किया है, इसलिये उनको ज्यादा जानकारी नहीं है। इस सवाल पर कि किस अधिकारी के आदेश पर स्टॉल की जगह बदली गई है, मो. हसनैन कहते हैं कि सभी अधिकारी उनकी दुकान पर अक्सर आते रहते हैं।

एक और दुकानदार जिसको प्लेटफॉर्म संख्या-1 के पिलर संख्या 19 के पास की जगह आवंटित की गई थी, वो भी अब पिलर संख्या 5 के करीब अपना स्टाल लगाता है। पूछने पर दुकान में मौजूद टिंकू कुमार ने बताया कि करीब ढाई महीने पहले उन्होंने पिलर संख्या 19 के पास से अपनी दुकान हटाकर यहां शिफ्ट किया है।

“ढाई महीने पहले (पिलर संख्या) 5-6 के बीच में आया है। पहले दुकान कहां थी, मुझे कुछ पता नहीं है। यहां पर ख़ाली था यहां पर पहले ठेला लगता था एक। वह ठेला आगे चला गया है। हमको पता नहीं है कि कितना नंबर पिलर पर था। जब से खुला है यहीं पर है,” उन्होंने कहा।

स्टॉल हटाने को लेकर क्या किसी तरह का प्रावधान है, के सवाल पर टिंकू कुमार कहते हैं कि उन्हें इस तरह के प्रावधानों की कोई जानकारी नहीं है।

वहीं, रेलवे स्टेशन पर कुछ ऐसी दुकानें भी हैं, जो अपनी आवंटित जगह पर मौजूद हैं। इन्हीं में दुकानदार दीपक कुमार भी शामिल हैं। चाय की स्टॉल चला रहे दीपक कुमार साह ने बताया कि बिक्री नहीं होने का हवाला देकर दूसरे दुकानदार अपनी स्टॉल को उठाकर दूसरी जगह पर शिफ्ट किये हैं।

हालांकि, बातचीत के दौरान दीपक कुमार ने कहा कि जिस जगह पर उनकी दुकान मौजूद है, वहां भी अच्छी बिक्री होती है, ऐसे में अन्य दुकानदार यहां से दुकान लेकर क्यों चले गए उसको समझ में नहीं आया।

“जो स्टॉल यहां पर था, अब बरगद के पेड़ के पास लगता है। लगभग चार पांच महीना हो गया है। उसका यहां नहीं चल रहा था, इसलिये यहां से उठाकर वहां ले गया। स्टॉल हटाने के प्रावधान को लेकर मुझे ज्यादा जानकारी नहीं है। रेलवे के नियम-क़ानून के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है,” उन्होंने कहा।

दुकानदार दीपक कुमार ने आगे बताया, “जब से यह स्टॉल लगा है तब से यह यहीं पर हैं। यहां से कभी इधर-उधर गये नहीं हैं। मेरा यहां पर मिला-जुला कर ठीक-ठाक चल रहा है। जब मेरा यहां सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है तो किसलिये इधर-उधर जायेंगे। हम तो कहीं नहीं गए हैं, हम यहां स्थाई तौर पर हैं।”

रेलवे स्टेशन की आवंटित जगहों पर दुकानदारों द्वारा स्टॉल नहीं लगाने को लेकर सूचना के अधिकार के तहत रेलवे स्टेशन प्रबंधक से सवाल भी पूछा गया है। किशनगंज के स्थानीय सूचना के अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता मृत्युंजय कुमार ने किशनगंज रेलवे स्टेशन प्रबंधक से सूचना के अधिकार के तहत स्टॉल की जगह बदलने को लेकर जवाब मांगा तो उनको संतोषजनक जवाब नहीं मिला।

स्टेशन प्रबंधक ने सूचना के अधिकार के तहत पूछे गये सवालों के लिखित जवाब में कहा कि रेलवे स्टेशनों पर स्टॉल लगाना और उनका स्थान बदलना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है, और इसलिये ये प्रश्न कटिहार रेल मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक को भेजा जा चुका है।

इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता मृत्युंजय कुमार ने ‘मैं मीडिया’ को बताया कि स्टेशन पर स्टॉल लगाने में दुकानदारों द्वारा खुलेआम मनमानी की जाती है और जिसको जो जगह आवंटित की गई है, वो वहां पर वह स्टॉल नहीं लगाता है।

“रेलवे स्टेशन पर जो भी स्टॉल लगा हुआ है, वह अपनी मनमानी कर रहे हैं। जहां जिस स्टॉल को जगह आवंटित किया गय है वो स्टॉल वहां पर नहीं रह रहा है। दुकानदार ये अपनी मनमर्ज़ी से कर रहे हैं या कुछ भ्रष्टाचारी कुछ पैसे लेकर ये काम कर रहा है, इस संबंध में मैंने आरटीआई डाला था,” उन्होंने कहा।

मृत्युंजय कुमार ने आगे कहा, “मुझे आरटीआई में संतोषजनक जवाब नहीं मिला है। मेरी रेलवे डीआरएम से मांग है कि इसपर अच्छे से जांच की जाये। जांच के बाद यदि पता चलता है कि कोई गलत कर रहा है तो उसपर कार्रवाई की जाये।”

मृत्युंजय को आगे की जानकारी के लिए कटिहार मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक से संपर्क करने के लिये कह दिया गया है। ख़बर लिखे जाने तक मृत्युंजय को अबतक कटिहार मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक की तरफ से कोई जवाब प्राप्त नहीं हुआ है।

रेलवे स्टेशन पर दुकानदारों की खुली मनमानी से रेलवे के अधिकारी बेख़बर हैं या जानबूझकर उन दुकानदारों के स्टॉल की जगहों को बदला गया है, यह जांच का विषय है।

वहीं, किसी अन्य के लाइसेंस पर किसी दूसरे की दुकान चलाने और स्टॉल की जगह पर न होने को लेकर किशनगंज रेलवे स्टेशन मास्टर दीपक कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया।

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Amit Kumar Singh, a native of Kishanganj, Bihar, holds a remarkable 20-year tenure as a senior reporter. His extensive field reporting background encompasses prestigious media organizations, including Doordarshan, Mahua News, Prabhat Khabar, Sanmarg, ETV Bihar, Zee News, ANI, and PTI. Notably, he specializes in covering stories within the Kishanganj district and the neighboring region of Uttar Dinajpur in West Bengal.

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