किशनगंज नगरीय क्षेत्र के इंसान स्कूल रोड स्थित जिला जदयू कार्यालय में जदयू जिला अध्यक्ष मुजाहिद आलम ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता की। उन्होंने एएमयू किशनगंज सेन्टर के लिए फंड को लेकर जानकारी साझा की।
उन्होंने बताया कि किशनगंज के एएमयू सेंटर के फंड, शिक्षण और गैर शिक्षण पदों की बहाली पर रोक हटाने को लेकर उन्होंने और समाजसेवी दानिश अनवर ने 13 दिसंबर को सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका में एएमयू को हस्तांतरित 224.02 एकड़ जमीन पर निर्माण कार्य हटाने की भी अपील की गई है।
मुजाहिद आलम ने कहा कि अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कु किशनगंज शाखा के निर्माण के लिए बिहार सरकार ने एएमयू कि शर्तों के अनुसार 224.02 एकड़ जमीन किशनगंज के चकला और गोविंदपुर मौजा में 30 दिसंबर 2012 को हस्तांतरित की थी। इसके बाद 30 जनवरी 2014 को सोनिया गांधी ने 12वी पंचवर्षीय योजना के एएमयू कैम्पस का शिलान्यास किया था लेकिन यूपीए कार्यकाल में एक पैसा भी रिलीज़ नहीं किया गया।
कोचाधामन के पूर्व विधायक मुजाहिद आलम ने आगे कहा कि 3 दिसंबर 2015 को दस करोड़ रुपये आवंटित किये गये जिसे 224.02 एकड़ जमीन की चहारदीवारी और कर्मचारियों के वेतन में खर्च किये गये। बारहवी पंच वर्षीय योजना के खत्म होने के बाद 83.18 करोड़ रुपये की मांग रखी गई लेकिन बार-बार आग्रह करने के बावजूद भाजपा की केंद्र सरकार ने एएमयू किशनगंज शाखा के लिए फडं जारी नहीं किया।
“एएमयू किशनगंज शाखा के लिए 29 शिक्षक और 19 गैर शिक्षण कर्मचारियों की अभी तक यूजीसी से स्वीकृति नहीं दी गई है। परिणामस्वरूप किशनगंज का एएमयू सेंटर अतिथि शिक्षकों के सहारे चल रहा है। एनजीटी के फैसले के कारण बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग द्वारा निर्माणाधीन 44 करोड़ रुपये के बांध का काम भी रुका हुआ है,” मुजाहिद आलम ने कहा।
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