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World Menstrual Hygiene Day Special: इस स्कूल की छात्राएं माहवारी स्वच्छता पर फैला रहीं जागरूकता

28 मई को विश्व भर में मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं को माहवारी से जुड़ी जानकारी दी जाती है और माहवारी स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
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28 मई को विश्व भर में मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इस दिन महिलाओं को माहवारी से जुड़ी जानकारी दी जाती है और माहवारी स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैलाई जाती है। ऐसी एक अनोखी पहल किशनगंज के सिंघिया में भी शुरू की गई है। किशनगंज मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्लस टू हाई स्कूल सिंघिया की छात्राएं सामाजिक रूढ़ीवाद को चुनौती देकर माहवारी स्वच्छता को लेकर जागरूकता फैला रही हैं।

हाई स्कूल की ये छात्राएं माहवारी को समझने और समझाने में सहज हैं। इस स्कूल में किशोरी मंच नाम से एक ख़ास कार्यक्रम शुरू किया गया है जिसमें छात्राएं आपस में माहवारी स्वच्छता पर खुल कर बात करती हैं।

प्लस टू हाई स्कूल सिंघिया में कार्यरत अंग्रेज़ी की शिक्षिका कुमारी गुड्डी ने कुछ वर्षों पहले इस पहल की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया कि शुरुआत में माहवारी स्वच्छता पर बात करना उतना आसान नहीं था लेकिन धीरे धीरे बच्चियां इस बारे में बातचीत करने में सहज हुईं और अब न केवल आपस में बल्कि घर पड़ोस में भी जागरूकता फैला रही हैं।


चंदना कुमारी दसवीं कक्षा की छात्रा है। उसने कहा कि वह नौवीं कक्षा से इस स्कूल में पढ़ रही है। इस स्कूल में आने के बाद उसे माहवारी स्वच्छता के बारे में बताया गया जिससे उसके व्यक्तिगत सेहत को भी लाभ पहुंचा। चंदना मानती है कि माहवारी महिलाओं के जीवन की एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिस पर बिना किसी झिझक के बात करने की ज़रूरत है।

स्कूल में नोबा जीएसआर नामक एक संस्था ने सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन भी लगायी है, जिसमें छात्राएं एक सिक्का डालकर पैड ले पाती हैं। शिक्षिका कुमारी गुड्डी बताती हैं कि पहले पीरियड्स होने पर छात्राएं स्कूल आने से परहेज़ करती थी, इसलिए उन्होंने पैड बैंक की शुरुआत की, जहाँ से छात्राएं पैड ले कर आॕनेस्टी बॉक्स में कोई भी छोटी सी टोकन राशि डाल सकती हैं। उन्होंने कहा कि सेनेटरी वेंडिंग मशीन आने से छात्राओं का जीवन सरल हुआ है।

प्लस टू हाई स्कूल सिंघिया की दसवीं की छात्रा फरहत आरा ने बताया कि माहवारी कोई छुआछूत जैसी चीज़ नहीं है। यह एक सामान्य प्रकृति है। इसमें झिझकने की कोई बात नहीं है। फरहत के अनुसार, उसके घर वाले और खासकर उसकी मां भी स्कूल में शुरू हुई इस पहल से काफी खुश हैं।

वेंडिंग मशीन के साथ साथ स्कूल में पैड जलाने का यंत्र भी लगाया गया है जिसमें इस्तेमाल किए गए पैडों को जला दिया जाता है। दसवीं की छात्रा इशरत ने बताया कि इस यंत्र के इस्तेमाल से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचता और पैड डिस्पोज़ करने में छात्राओं को भी काफी आसानी होती है।

स्कूल की छात्राएं माहवारी स्वच्छता पर चित्रकला, कविता और लेखन के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करती रहती हैं। स्कूल के स्मार्ट क्लास में माहवारी स्वच्छता और महिला समस्या से जुड़े विषयों पर बनी फ़िल्में या जानकारीपूर्ण वीडियो भी प्रदर्शित किए जाते हैं जिसे छात्राओं के साथ साथ स्कूल के छात्र भी देखते हैं और जागरूक होते हैं।

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स्कूल में इस पहल की शुरुआत करने वाली कुमारी गुड्डी ने कहा कि शुरुआती दिनों में छात्राओं को सहज करने के लिए उन्हें सहेली बनाना पड़ा था, अब वे छात्राएं किशोर मंच से जुड़कर उनकी टीम का हिस्सा बन चुकी हैं और माहवारी स्वच्छता पर खुल कर बात करती हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि शुरुआत में सैनिटेरी पैड न खरीद पाना इस इलाके की गंभीर समस्या थी जिसके बाद उन्होंने स्कूल की छात्राओं के लिए पैड बैंक की शुरुआत की और बच्चियों के साथ साथ घर-घर जा कर जागरूकता फैलाना शुरू किया, जिसके बाद उन्हें लोगों से काफी अच्छी प्रतिक्रियाएं मिलीं।

माहवारी स्वच्छता दिवस अभियान से इन देशों में आ रहे बदलाव

‘मेंस्ट्रुल हाइजीन डे’ की आधिकारिक वेबसाइट में दिए आंकड़ों के अनुसार विश्व भर में 50 करोड़ से अधिक महिलाओं को माहवारी स्वच्छता की बुनियादी सहूलियात मयस्सर नहीं हैं। पिछले कुछ सालों में मासिक धर्म दिवस पूरे विश्व भर में बड़ी तेज़ी से प्रचलित हुआ है। 2022 के मासिक धर्म दिवस अभियान से करीब 70 करोड़ लोग विश्व भर से जुड़े थे।

2023 में यह आंकड़ा और अधिक बढ़ने का अनुमान है। विश्व भर में कई देश महिलाओं से जुड़े रूढ़िवादी विचारों के विरुद्ध अभियान में आगे आये हैं और अहम कदम उठा रहे हैं। न्यूज़ीलैंड , ज़ाम्बिया, यूएसए, कनाडा जैसे देशों में स्कूलों में मुफ्त माहवारी उत्पाद देने की शुरुआत हो चुकी है।

इसी वर्ष भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारत सरकार से देश भर के स्कूलों में छात्राओं के लिए माहवारी स्वच्छता पर नई नीतियां बनाने को कहा है। 2023 में ही यूरोप कनाडा और स्पेन में महिला कर्मचारियों के लिए माहवारी अवकाश का प्रावधान शुरू हो सकेगा।

माहवारी स्वच्छता दिवस से जुड़े कुछ अहम तथ्य

हर महीने, करीब 4 हफ्ते के समय चक्र पर रजोनिवृत्ति (Menopause) से पहले महिलाओं के गर्भाशय से रक्त और उत्तक (tissue) आते हैं जिससे मानसिक और शारीरिक तौर पर महिलाएं उन दिनों कई संघर्ष से गुज़रती हैं। महिलाओं के अलावा ट्रांसजेंडर, और ”नॉन-बाइनरी” लोगों को माहवारी के खून आते हैं। इस रक्त के बहाव से जुड़े स्वच्छता कार्यों और इन दिनों महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 28 मई को विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस मनाया जाता है।

लड़कियों में आम तौर पर 11 से 13 वर्ष में माहवारी आना शुरू होती है। रजोनिवृत्त (Menopause) महिलाओं में 44-45 की आयु में शुरू होती है तब माहवारी आना बंद हो जाती है।

माहवारी स्वच्छता में सेनिटरी पैड के इस्तेमाल से जुडी जानकारी सबसे मुख्य रूप से आती है। इसके अलावा इस दिन महिलाओं की सेहत और माहवारी के दिनों में उनकी मानसिक संगर्ष पर जागरूकता फैलाई जाती है।

UNICEF के आंकड़ों के अनुसार हर महीने विश्व भर में 1.8 अरब लोग माहवारी से गुज़रते हैं।

28 मई को ही क्यों मनाया जाता है माहवारी स्वछता दिवस

विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस की शुरुआत 2013 में जर्मनी के “वॉश यूनाइटेड” नामक एक संस्था ने की थी। 28 मई को इस लिए चुना गया क्योंकि माहवारी आम तौर पर 28 दिन के समय चक्र (साइकिल) में होती है जो अमूमन 5 दिनों तक रहती है। मई साल का पांचवां महीना होता है इसलिए विश्व माहवारी स्वच्छता दिवस मनाने के लिए 28 मई की तारीख तय की गई।

इस साल की थीम क्या है ?

हर साल माहवारी स्वच्छता दिवस की एक ख़ास थीम होती है। थीम के तौर पर एक लक्ष्य तय किया जाता है। इस साल की थीम है – वर्ष 2030 तक माहवारी को जीवन का सामान्य तथ्य बनाना।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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