बिहार के अररिया ज़िला निवासी मंजरी खातून की साल 2016 में शादी हुई थी। उन्होंने एक अच्छा पति और खुशहाल परिवार का सपना देखा था, लेकिन पिछले सात साल से वह बिस्तर पर पड़ी हैं और इसका जिम्मेदार उनकी ससुराल के लोग हैं।
मामला अररिया ब्लॉक के रामपुर मोहनपुर पूर्वी पंचायत के माधोपड़ा गांव के वार्ड नंबर 12 का है। मंजरी खातून की शादी, उनके पिता मो. रफीक ने गांव के ही मोहम्मद इश्तियाक से 2016 में धूमधाम से की थी। शादी के शुरुआती दिनों तक सबकुछ ठीक था, लेकिन फिर धीरे धीरे स्थितियां बिगड़ती चली गईं।
मामला दहेज से शुरू हुआ। मंजरी के हाथों की मेहंदी का रंग अभी उतरा ही था कि उनकी ससुराल वाले दहेज की मांग करने लगे। दिन बीतते ही मामला मारपीट तक पहुंच गया।
पिता की गरीबी के कारण मंजरी ना तो ससुराल वालों को कुछ कह पा रही थी और ना ही अपने पिता को बता पा रही थी। उनके पति और ससुराल वालों ने दहेज के लिए मंजरी की इस कदर पिटाई की कि उनकी कमर की हड्डी टूट गई। जब मामला बिगड़ने लगा तो इश्तियाक ने किसी तरह से मंजरी को मायके पहुंचा दिया।
मो. रफीक, मंजरी को इलाज के लिए अररिया, पूर्णिया, भागलपुर और नेपाल तक ले गए। मो. रफीक बताते हैं, “इलाज में ना तो मंजरी के पति और ना ही उसकी ससुराल के अन्य लोगों ने कोई मदद की। मैंने किसी तरह से डेढ़ लाख अधिक रुपये उसके इलाज में खर्च किया। लेकिन अंत में डॉक्टरों ने बताया कि वह अब ठीक नहीं हो सकती है और उसकी जिंदगी बिस्तर पर ही कटेगी।”
पिता मजबूरी की हालत में अपाहिज बेटी को लेकर वापस अपने घर चले आए और आज दूसरे के सहारे बेटी की जिंदगी कट रही है।
कोर्ट के आदेश को भी दिखाया ठेंगा
मंजरी के मायके वालों ने ससुराल वालों पर खर्च देने का दबाव बनाने की कोशिश की, मगर उन लोगों ने सीधा पल्ला झाड़ लिया। तब पिता रफीक ने पंचायत बिठाई। पंचायत में पंचों ने फैसला किया की मंजरी के इलाज में जो रुपये खर्च हुए हैं, उसकी भरपाई इश्तियाक करेगा।
पंचायत में तो इश्तियाक राजी हो गया। लेकिन उसने बाद में पैसा देने से इनकार कर दिया। तब पीड़ित के पिता रफीक ने घरवालों से सलाह लेकर 2018 में अररिया न्यायालय में मोहम्मद इश्तियाक और ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया। कोर्ट में काफी दिनों से इसकी सुनवाई चल रही है।
इधर, इस शिकायत से गुस्साए इश्तियाक के परिवार वालों ने मंजरी के पिता, भाई, मां आदि पर इश्तियाक के अपहरण का झूठा केस दर्ज कराया। लेकिन, कोर्ट में मामला टिक नहीं पाया।
कोर्ट ने अपहरण मामले में बूढ़े मां-बाप को देखकर ये फैसला दिया कि उसने कोई ऐसा कार्य नहीं किया है और इस केस को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इश्तियाक के परिवार वालों को कड़ी फटकार भी लगाई।
मामला यहां भी खत्म नहीं हुआ। अब लड़की का बोझ उठाना मायके वालों के लिए काफी मुसीबत भरा था। गरीबी के कारण अब उसकी देखरेख नहीं हो पा रही थी। तब लोगों की सलाह पर पिता ने अपनी लड़की के भरण पोषण को लेकर फैमिली कोर्ट में मामला दायर करवाया।
मामला दर्ज होने के बाद पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने फैमिली कोर्ट से गुहार लगाई की मंजरी खातून के पास कोर्ट आने तक का पैसा नहीं है। इसपर कोर्ट ने इश्तियाक से कहा कि तत्काल केस लड़ने के लिए वह मंजरी को 10 हजार रुपये दे।
वहीं, मंजरी को कहा गया कि इन रुपयों से केस की पैरवी करे। काफी महीनों तक चले इस केस में फैमिली कोर्ट ने इश्तियाक को आदेश दिया कि वह प्रति माह दस हजार रुपये मंजरी को दे। लेकिन इश्तियाक ने इस आदेश की अवहेलना की, तो कोर्ट ने प्रावधान के अनुसार, इश्तियाक को एक महीने के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
जेल से बाहर आने के बाद इश्तियाक पर दर्ज दहेज उत्पीड़न के मामले में अररिया न्यायालय ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया। अब उसे हाईकोर्ट से जमानत लेनी थी। वह हर तरफ से घिर चुका था, तो उसने एक चाल चली।
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वह मंजरी को बहला-फुसला कर अपने घर ले गया और कहा कि अब वह उसकी ठीक से देखरेख करेगा। इसी दौरान अररिया न्यायालय ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी, तो इश्तियाक ने तब जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील दायर की।
कोर्ट ने जमानत की बात कबूल की और उसे पटना बुलाया गया। इस मामले में पत्नी की सहमति भी जरूरी थी, इसलिए इश्तियाक मंजरी को ट्राई साइकिल पर लेकर जमानत के लिए पटना हाईकोर्ट पहुंच गया। मंजरी को सब कुछ सामान्य होता दिख रहा था, सो उन्होंने जमानत की सहमति दे दी।
अब इश्तियाक अपने आप को आजाद महसूस करने लगा और वह पत्नी को लेकर वापस गांव आ गया।
भीख मांगने पर किया मजबूर
गांव लाने के बाद एक-दो दिन उसने मंजरी को सही तरीके से रखा। फिर उसने ऐसा काम कराना शुरू कर दिया, जिसे सुनकर लोगों के अंदर इश्तियाक के प्रति गुस्सा और नफरत भर गया।
उसने मंजरी से भीख मंगवाने का काम शुरू कर दिया। मंजरी कहती हैं, “मुझे ट्राई साइकिल पर बैठाकर भीख मंगवाने लगा। लोग मुझे अपाहिज समझ कर भीख भी देने लगे, जिससे इश्तियाक को काफी फायदा पहुंचने लगा।”
वह आगे कहती हैं, “भीख में मिले अनाज को मेरे पैर के ऊपर रख दिया जाता था। उस अनाज का भारी वजन रखने के कारण मेरे पैर में और दर्द शुरू हो गया। मैंने पति से ऐसा नहीं करने की अपील की, लेकिन उसने एक न सुनी।”
भीख मंगवाने की जानकारी मायके वालों को हुई तो उन्होंने इसका विरोध किया। तब इश्तियाक ने मंजरी को रात के 12 बजे ससुराल के करीब एक मस्जिद के पास सड़क पर फेंक दिया। जब कुत्ते मंजरी को नोचने लगे, तो उसकी चिल्लाहट सुनकर आसपास के लोग वहां पहुंचे। उन्होंने देखा कि वह औरत तो मंजरी है, तो स्थानीय लोगों ने तुरंत इसकी सूचना उनके मां बाप को दी। उनके परिजन मौके पर पहुंचे और उन्हें किसी तरह उठाकर अपने घर लाया।
“मेरे चलने का एकमात्र सहारा ट्राई साइकिल था। उस सहारे को भी पति ने छीन लिया और मुझे भीख मंगवा कर मुझे रास्ते पर फेंक दिया,” उन्होंने कहा।
मायके में वही पैसे की दिक्कत फिर आने लगी, तो कोर्ट के आदेश का हवाला देकर उनके परिजन इश्तियाक से आर्थिक मुआवजा मांगने लगे। लेकिन इश्तियाक ने कोर्ट के आदेश को ठेंगा दिखाया और कमाने के लिए दूसरे राज्य भाग गया।
इधर, इश्तियाक के गांव वालों ने बताया है कि इश्तियाक ने वहां संभवतः दूसरी शादी कर ली है।
इश्तियाक पर बतौर मुआवजा मंजरी का 5 लाख 60 हजार रुपये बनता है, लेकिन इश्तियाक पैसा देने को बिल्कुल तैयार नहीं। फिलहाल, मंजरी किसी तरह मायके में रह रही है।
क्या कहते हैं वकील
मंजरी खातून के अधिवक्ता एलपी नायक ने बताया, “मैंने अपने कार्यकाल में कई लोगों की पैरवी की है। लेकिन, मंजरी जैसा केस मेरे लिए नया और मार्मिक है। मंजरी की ओर से ससुराल वालों पर दहेज उत्पीड़न का मामला पहले दर्ज किया गया। साल 2018 से अभी तक 50 से अधिक बार न्यायालय में सुनवाई हो चुकी है।”
मंजरी की हालत इतनी खराब है कि उसे टांग कर कोर्ट लाया जाता था। इसपर कोर्ट ने भी संज्ञान लिया और इश्तियाक की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। लेकिन, मंजरी को बहला फुसला कर इश्तियाक ने पटना पटना हाईकोर्ट लाया जमानत ले ली।
फैमिली कोर्ट में प्रावधान है कि अगर कोई भरणपोषण की राशि नहीं देता है, तो उसे सिर्फ एक महीने की सजा मिलती है।
“ऐसा फैमिली कोर्ट द्वारा किया गया और इश्तियाक को एक महीने की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। वहां से छूटने के बाद इश्तियाक अब आजाद हो गया है। दहेज उत्पीड़न का मामला अभी तक न्यायालय में चल रहा है,” उन्होंने कहा।
यह मामला सिर्फ दहेज के लिए अमानवीय प्रताड़ना का नहीं है। यह मामला कोर्ट के आदेश को खुलेआम धज्जियां उड़ाने का भी है। इस मामले में कोर्ट ने न्याय किया, लेकिन मंजरी को इंसाफ आज तक नहीं मिल पाया। वह अब भी बिस्तर पर पड़ी हुई जिंदगी और मौत के बीच झूल रही है।
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