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क्या गंगा कटान में उजड़ जाएगा कटिहार का बबलाबन्ना गाँव?

बिहार के कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड अंतर्गत भवानीपुर खट्‌टी पंचायत के बबला बन्ना गांव पिछले 5 साल में आधा से ज़्यादा गंगा कटान में समा चुका है।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif and Shah Faisal and Ariba Khan | Katihar |
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Land erosion by Ganga river in Katihar

बिहार के सीमांचल के जिलों में हर साल आने वाली बाढ़ और उससे होने वाली तबाही का जिक्र हम और आप लगातार सुनते रहते हैं। हर साल हजारों घर बाढ़ और मिट्टी कटान के कारण नदी में विलीन हो रहे हैं। लोगों की रोजी रोटी का जरिया खत्म हो रहा है। बच्चों की पढ़ाई खत्म हो रही है, यानी कुल मिलाकर हर साल लाखों जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं। हम सुनने और देखने वालों के लिए शायद अब यह एक आम बात हो गई हो, लेकिन जो लोग इस तबाही से गुजर रहे हैं उनके लिए यह एक भयानक रात का ख्वाब जैसा है, जो उनके जिंदगी में आने वाली सुबह को रोके हुए है।


आज हम आपको बिहार के कटिहार जिले के अमदाबाद प्रखंड अंतर्गत भवानीपुर खट्‌टी पंचायत के बबला बन्ना गांव के हालात दिखा रहे हैं। जहां पिछले 5 साल में आधा से ज़्यादा गांव गंगा कटान में समा चुका है। जो मस्जिद पहले गांव के बीचो बीच हुआ करती थी वो अब गंगा नदी के किनारे है। बात करें इस साल की, तो पिछले चार-पांच महीनों में ही गांव के लगभग 500 घर और सैकड़ों बीघा खेती की जमीन नदी में समा चुके हैं।

इसी गांव के मैनुल हक बताते हैं कि 4 महीने पहले ही उनका घर नदी कटान में चला गया था इसीलिए वह अब दूसरे गांव में विस्थापन कर चुके हैं। वहां उन्होंने नए घर के नाम पर मिट्टी और फूस की झोपड़ी बना ली है।


इसी गांव के बाबर अली की इसी साल पांच 6 बीघा खेती की जमीन और उनका घर नदी में कटकर विलीन हो गये। वह बताते हैं कि पूरे गांव की लगभग 300 एकड़ जमीन इसी साल नदी में कट गई है।

स्थानीय ग्रामीण लाल मोहम्मद बताते हैं कि कटान के कारण यहां के 4 स्कूल नदी में समा चुके हैं, जिसमें पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे आज घर पर बैठे हैं। चार पांच बच्चे पढ़ भी रहे हैं तो उन्हें 3 किलोमीटर दूर का सफर तय कर दूसरे गांव के स्कूल में जाना पड़ता है।

आगे लाल मोहम्मद बताते हैं कि गांव की लगभग 10-12 मस्जिदें कट चुकी हैं। सिर्फ जुम्मा की नमाज पढ़ने वाली एक मस्जिद बची हुई है, जो फिलहाल नदी के मुहाने पर है।

इसी गांव के रहने वाले युवक मोहम्मद यूसुफ बताते हैं कि यहां पहले गांव वालों ने ही कटान विरोधी कार्य की पहल की थी फिर उसके बाद थोड़ा सा काम सरकार द्वारा भी करवाया गया। अगर सरकार इस गांव को बचाने के लिए कुछ काम करती है, तो शायद यह गांव बच जाए, वरना आने वाले 1 साल में इस गांव का नामोनिशान नहीं बचेगा।

स्थानीय मनिहारी विधायक मनोहर प्रसाद सिंह बताते हैं कि साल 2020 में गंगा नदी से कटान को रोकने के लिए मेघु टोला में 13 करोड़ का काम हुआ, फिर भी बबला बन्ना गाँव के 165 घर कट गए। बीते छह दिसंबर को खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गंगा कटान का निरीक्षण कर गए हैं। अब आने वाला वक़्त बताएगा कि बबला बन्ना गाँव का अस्तित्व बच पायेगा या नहीं।

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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