भारत सरकार के वन्यजीव विशेषज्ञों ने जंगली हाथी के उत्पात से प्रभावित धनतोला क्षेत्र का दौरा किया।
इस दौरान उन्होंने धनतोला में अस्थाई रूप से कैम्प किये हुए वन कर्मियों के साथ नेपाल से आने वाले जंगली हाथियों के रास्ते डोरिया, पांचगाछी, कामत, बिहारटोला, सुरीभिट्ठा आदि जगहों पर जाकर लगातार हाथियों के आने का कारण जानने की कोशिश की।
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विशेषज्ञ ने स्थानीय ग्रामीणों व वन कर्मियों से क्षेत्र में हाथियों के आने का मौसम, सीमावर्ती क्षेत्र से जंगल की दूरी आदि की जानकारी ली। साथ ही हाथियों के मल मूत्र, पांव के निशान की जांच की।
विशेषज्ञों को बताया गया कि जंगल में भोजन की कमी के बाद जनवरी से फरवरी माह में सीमावर्ती क्षेत्र में मक्के के पौधे के बड़े होते ही हाथियों का आगमन तेज हो जाता है।
इस पर उन्होंने संतुष्टि जाहिर करते हुए हाथियों के रोकने के उपाय की बात कही। वन्यजीव विशेषज्ञ के दौरे की जानकारी देते हुए वनों के क्षेत्र पदाधिकारी उमा नाथ दुबे ने बताया कि पिछले दिनों बिहार के चीफ वर्ल्डलाइफ वार्डन पी. के. गुप्ता का किशनगंज दौरा हुआ था। उनसे सीमावर्ती क्षेत्र में हर वर्ष मक्के के सीजन में लगातार हाथियों के उत्पात की जानकारी देते हुए हाथियों के उत्पात को कम करने के लिए कोई ठोस उपाय करने का अनुरोध किया गया था।
उन्होंने कहा कि इसी को लेकर भारत सरकार के वन्यजीव विशेषज्ञ ने धनतोला का दौरा किया। उन्होंने कहा, “विशेषज्ञों को एनिडर्स मशीन के अलावा कई और उपाय बताए गये हैं। उम्मीद है इस पर जल्द सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी, ताकि जंगली हाथियों के लगातार आगमन पर अंकुश लगे और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के साथ सीमावर्ती किसानों के फसलों की भी रक्षा हो सके।”
दिघलबैंक में हाथी के उत्पात, फसल और घरों की तबाही को लेकर मार्च में ‘मैं मीडिया’ ने ग्राउंड रिपोर्ट किया था।
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