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जहानाबाद के सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में क्यों मची भगदड़

सोमवार तड़के मंदिर में जल चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट गई थी, तभी भगदड़ मच गई, जिसमें 8 लोगों की मृत्यु की खबर है वहीं, तीन दर्जन लोग घायल हो गये हैं। मृतकों में अधिकतर महिलाएं हैं।

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :
why was there a stampede in siddheshwarnath temple of jehanabad
भगदड़ में ज़ख्मी बच्ची के साथ परिजन

जहानाबाद जिले की बराबर पहाड़ी पर स्थित सिद्धेश्वरनाथ मंदिर परिसर में भगदड़ मचने से सोमवार तड़के 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और दो दर्जन से अधिक लोग जख्मी हो गये।


मृतकों में मुख्य रूप से महिलाएं शामिल हैं, जिनकी उम्र 20 साल से लेकर 45 साल तक है। ये सभी जहानाबाद, नालंदा और पटना के ग्रामीण इलाकों के रहने वाले थे। घायलों में भी महिलाएं ही अधिक हैं।

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस हादसे पर दुख प्रकट करते हुए मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है।


कहां है मंदिर

सिद्धेश्वरनाथ मंदिर, जहानाबाद जिले के मख्दुमपुर प्रखंड स्थित एक प्रख्यात मंदिर है, जहां सावन के मौके पर आसपास के जिलों के श्रद्धालु जल चढ़ाने के लिए जुटते हैं। ये मंदिर बराबर पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी पर स्थित है। बताया जाता है कि ये मंदिर हजारों वर्ष पुराना है।

मंदिर परिसर तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक रास्ते की सीढ़ियां खड़ी-खड़ी हैं, जिस कारण वहां से कम श्रद्धालु जाते हैं। दूसरे रास्ते से ज्यादा श्रद्धालुओं का जाना होता है क्योंकि वहां से सीढ़ियों की चढ़ाई सुगम है। दोनों रास्ते मंदिर परिसर से करीब 200 फीट पहले एक दूसरे से मिल जाते हैं और वहां से एक ही रास्ता मंदिर तक जाता है। पूरा मंदिर परिसर दो से तीन कट्ठे में ही सिमटा हुआ है और इसी परिसर में बहुत सारी दुकानें हैं, जो स्थानीय लोग चलाते हैं। इस बार वहां भीड़ कई गुना ज्यादा थी।

भगदड़ की इस घटना को लेकर पुलिस प्रशासन की तैयारियों पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों व स्थानीय लोगों का आरोप है कि श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए मौके पर महज एक दर्जन पुलिस कर्मचारी मौजूद थे और भीड़ संभालने का जिम्मा एनसीसी के कैडरों को दे दिया गया था, जिस कारण इतना बड़ा हादसा हो गया।

एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि रविवार की शाम से ही यहां दूर-दराज से श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था और देर रात तक भीड़ काफी बढ़ गई थी।

एक प्रत्यक्षदर्शी ने ‘मैं मीडिया’ को फोन पर बताया कि भगदड़ मंदिर परिसर में मची थी जिसके चलते अनियंत्रित लोग गिर गये और भीड़ ने उन्हें कुचल दिया।

वह कहते हैं, “आधी रात तक मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा था। मंदिर परिसर में ही फूल व अन्य पूजा सामग्री बेचने वाले बैठते हैं। चूंकि भीड़ अधिक थी, तो श्रद्धालु फूल व पूजा सामग्री बेचने वालों की दुकान की तरफ झुक जाते थे, जिसको लेकर दुकानदार नाराज हो जाते थे।”

ऐसा ही हुआ, तो दुकानदार और श्रद्धालुओं के बीच बहस हो गई। “बहस इतनी बढ़ गई कि दुकानदार ने श्रद्धालुओं के साथ मारपीट शुरू कर दी। इससे वहां भगदड़ मच गई,” उन्होंने कहा।

एक अन्य श्रद्धालु ने बताया कि भक्तों और दुकानदार के बीच मारपीट को शांत करने के लिए मौके पर प्रशासन मौजूद नहीं था, जिससे हालात बेकाबू हो गये। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जिस दुकानदार पर मारपीट करने और डंडा चलाने का आरोप लगा है, उसकी तलाश की जा रही है।

“भीड़ नियंत्रित करने की व्यवस्था नहीं थी”

राजद के स्थानीय विधायक कुमार कृष्ण मोहन ने मंदिर में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम होते, तो भगदड़ मचने से लोगों की मौत नहीं होती। “ये प्रशासन की लापरवाही है। आने वाले दिनों में ऐसा दोबारा न हो इसके लिए प्रशासन को पुख्ता तैयारी करनी चाहिए,” उन्होंने कहा।

भाकपा (माले)-लिबरेशन की जांच टीम ने घटना के बाद घटनास्थल का दौरा किया और पीड़ितों से बातचीत की। पार्टी नेताओं ने कहा कि रात में भीड़ काफी ज्यादा हो गई थी, जिस कारण मंदिर परिसर में व्यवधान उत्पन्न हुआ, लेकिन पुलिस प्रशासन के नहीं रहने से विवाद बढ़ गया जिससे भगदड़ मच गई।

जांच टीम ने पाया कि मंदिर परिसर की चारों ओर की रेलिंग मजबूत नहीं है और जगह भी बहुत ही कम है, जिस कारण अधिक भीड़ होने से अफरातफरी मच गई।

जांच टीम ने सरकार से मांग की है कि घटना की उच्चस्तरीय जांच की जाए और घटना के दोषियों पर कार्रवाई हो। टीम ने सिद्धेश्वरनाथ मंदिर में बुनियादी सुविधाएं विकसित करने और मंदिर तक जाने के लिए सुरक्षित और सुगम रास्ता बनाने को कहा है।

जांच टीम में शामिल अरवल विधायक महानंद सिंह ने कहा, “प्रशासन ने धूमधाम से धार्मिक स्थल का प्रचार किया। धूमधाम से उद्घाटन किया, लेकिन उनकी सुरक्षा का प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किया।” “सावन को लेकर वहां भारी भीड़ जुटती है और कुछ भी अनहोनी होने की आशंका बनी रहती है, लेकिन प्रशासन पूरी तरह लापरवाह रहा,” उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, “पूरे सावन भर वहां मोबाइल अस्पताल का संचालन होना चाहिए था ताकि कुछ अनहोनी होने पर लोगों को तत्काल इलाज मिल पाता। लेकिन वहां न कोई मेडिकल टीम थी और न ही कोई एम्बुलेंस। अगर ये व्यवस्था रहती, तो कुछ श्रद्धालुओं को बचाया जा सकता था। इस हादसे से प्रशासन को सीख लेनी चाहिए। अगर वह ऐसी व्यवस्था नहीं करेगा, तो भविष्य में ऐसा घटना और हो सकती है।”

पुलिस प्रशासन ने क्या कहा

हालांकि, जिला प्रशासन ने लापरवाही के आरोपों से इनकार किया है। मीडिया के साथ बातचीत में जहानाबाद की डीएम अलंकृता पांडेय ने कहा, “प्राथमिक जांच में पता चला है कि कांवरियों में किसी चीज को लेकर विवाद हो गया था, जिसके बाद हाथापाई हुई और फिर भगदड़ मच गई।”

जिले के एसपी अरविंद प्रताप सिंह ने कहा कि मारपीट के बीच किसी व्यक्ति ने डंडे चला दिए, जिससे अफरातफरी का माहौल बन गया और श्रद्धालु पीछे हटने लगे, जिससे अनियंत्रित होकर वे गिर पड़े।

जिला प्रशासन ने इस हादसे की जांच के लिए जांच कमेटी का गठन किया है, जो तीन दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। डीएम ने कहा कि इस कमेटी का नेतृत्व एडीएम करेंगे और जांच रिपोर्ट में तीन दिन में जमा की जाएगी, रिपोर्ट के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी।

उल्लेखनीय हो कि एक हफ्ते पहले वैशाली जिले में करंट लगने से 9 कांवरियों की मौत हो गई थी। वे लोग जिले के पहलेजा घाट से पानी लेकर हरिहरनाथ जलाभिषेक करने जा रहे थे, तभी ट्राली पर लगा डीजे वाहन करंट की चपेट में आ गया था।

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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