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अररिया में क्यों भरभरा कर गिर गया निर्माणाधीन पुल- ग्राउंड रिपोर्ट

आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 से लेकर अब तक बिहार में एक दर्जन से अधिक निर्माणाधीन पुल गिर चुके हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि ये हादसे तब हुए जब पुलों को आम जनता के लिए खोला नहीं गया था, वरना बड़ी दुर्घटना हो जाती।

Tanzil Asif is founder and CEO of Main Media Reported By Tanzil Asif |
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why did the under construction bridge collapse in araria

बिहार जैसे पिछड़े प्रदेश में एक पुल के लिए कई बार ग्रामीणों को लंबी लड़ाई लड़नी पड़ती है और दशकों इंतज़ार करना पड़ता है। पिछले दिनों ऐसा ही कुछ अररिया ज़िले में हुआ। दशकों की मशक्कत के बाद सिकटी-कुर्साकांटा के बीच बकरा नदी के परड़िया घाट पर पुल का सपना पूरा होने के करीब पहुंचा, लेकिन एप्रोच रोड बनने से पहले ही ग्रामीणों के सामने उनका ख्वाब भरभरा कर नदी में समा गया।


मंगलवार को दोपहर बाद निर्माणाधीन परड़िया पुल के दो पिलर और उस पर लगे स्लैब ज़मींदोज़ हो गए।

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स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है इस पुल के निर्माण में निम्न स्तरीय मटेरियल का इस्तेमाल किया जा रहा था और लोग इसपर आपत्ति न कर पाएं इसलिए रात के अंधेरे में काम होता था। यहाँ तक कि निर्माण में इस्तेमाल होने वाला बालू भी उसी नदी से उठा लिया जाता था। ग्रामीणों ने कभी बालू का ट्रक नहीं आते देखा। पुल के क्षतिग्रस्त हिस्से में साफ़ देखा जा सकता है कि पिलर और स्लैब में पतली सरिया के इस्तेमाल किया गया है। ग्रामीण बताते हैं कि मिट्टी से सनी गिट्टी का इस्तेमाल कर ही निर्माण कार्य किया जा रहा था।


खराब मटेरियल को लेकर हुई थी शिकायत

स्थानीय ग्रामीण अरविंद झा ने बार-बार वीडियो बना कर ख़राब गुणवत्ता वाली सामग्री इस्तेमाल होने की सूचना प्रशासन तक पहुंचाई। उन्होंने कहा कि रात को साइट पर जा कर कई बार आगाह किया और काम बंद करवाया लेकिन, कभी कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई और लीपापोती कर काम चालु रखा गया। जिसका नतीजा आज ये ध्वस्त पुल है।

स्थानीय ठेंगापुर पिपरा ग्राम पंचायत के मुखिया प्रदीप कुमार झा बताते हैं कि कुछ दिनों पहले नदी को चीर कर पुल के नीचे लाया गया था। इसके लिए अर्थमूवर का इस्तेमाल कर पिलर के आसपास की मिट्टी हटाई गई थी। लेकिन ये काम किसी इंजीनियर की निगरानी में नहीं हुआ। ऐसे में आशंका है कि पिलर की गहराई कम रही होगी, जिस वजह से मिट्टी हटने से ये धंस गए।

भ्रष्टाचार का आरोप

ग्रामीणों ने पूरे प्रोजेक्ट में भारी भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है, जिसमें अधिकारियों से लेकर स्थानीय जन प्रतिनिधि शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इसी वजह से पुल निर्माण कार्य को ज़बरदस्ती लंबा खींचा जा रहा है, ताकि कमीशनखोरी निरंतर चलती रहे।

स्थानीय मज़दूर हब्लू राय को संदेह है कि नदी में पानी बढ़ने के बाद पुल का बाकी हिस्सा भी गिर सकता है, इसलिए ग्रामीण इसकी भी जांच की मांग कर रहे हैं, ताकि आगे कोई अनहोनी न हो।

तीन इंजीनियर सस्पेंड, ठेकेदार पर एफआईआर

ग्रामीण कार्य विभाग की शुरुआती जांच में पाया गया है कि पुल का निर्माण कार्य गुणवत्तापूर्ण नहीं हुआ था। जांच में ठेकेदारों और इंजीनियरों की लापरवाही भी सामने आई है। इसलिए तत्कालीन एग्जीक्यूटिव इंजीनियर अंजनी कुमार, जूनियर इंजीनियर वीरेंद्र प्रसाद और मनीष कुमार को निलंबित किया गया है।

साथ ही ठेकेदार सिराजुर रहमान पर एफआईआर दर्ज कर उनकी कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने का आदेश दिया गया है। हादसे की उच्चस्तरीय जांच शुरू हो गई है।

घटनास्थल का जायज़ा लेने अररिया डीएम इनायत खान और जल निस्सरण व आरईओ विभाग की टीम बुधवार को पड़रिया घाट पहुंची।

डीएम ने कहा कि घटना की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है।

भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर हमने स्थानीय भाजपा विधायक विजय कुमार मंडल से बात करने की कोशिश की। लेकिन उन्होंने ये कह कर हमसे बात करने से इंकार कर दिया कि वे केवल नेशनल मीडिया को बाइट देते हैं।

दो साल में 10 से ज्यादा पुल गिरे

आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2022 से लेकर अब तक बिहार में एक दर्जन से अधिक निर्माणाधीन पुल गिर चुके हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि ये हादसे तब हुए जब पुलों को आम जनता के लिए खोला नहीं गया था, वरना बड़ी दुर्घटना हो जाती।

इसी साल सुपौल में कोसी नदी पर बन रहा पुल गिर गया था जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।

इसी तरह, पिछ्ले साल 4 जून को सुलतानगंज-अगुवानी गंगा घाट पर 1700 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे पुल का हिस्सा गिर गया था। ये पुल साल 2022 में भी गिरा था। पिछले ही साल पटना और पूर्णिया में भी निर्माणाधीन पुल गिर गए थे।

लगातार गिरते पुलों के बावजूद सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है, ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर लोगों की जान के साथ सरकार खिलवाड़ क्यों कर रही है?

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तंजील आसिफ एक मल्टीमीडिया पत्रकार-सह-उद्यमी हैं। वह 'मैं मीडिया' के संस्थापक और सीईओ हैं। समय-समय पर अन्य प्रकाशनों के लिए भी सीमांचल से ख़बरें लिखते रहे हैं। उनकी ख़बरें The Wire, The Quint, Outlook Magazine, Two Circles, the Milli Gazette आदि में छप चुकी हैं। तंज़ील एक Josh Talks स्पीकर, एक इंजीनियर और एक पार्ट टाइम कवि भी हैं। उन्होंने दिल्ली के भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) से मीडिया की पढ़ाई और जामिआ मिलिया इस्लामिआ से B.Tech की पढ़ाई की है।

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