बिहार में मुसलमानों की आबादी करीब 17.70% है, इसमें से बड़ी आबादी किसी भी चुनाव में राजद या उसके सहयोगी दलों को वोट करती है। लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार की कुल 40 सीटों में से INDIA गठबंधन सहयोगी राजद ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा। 23 सीटों में से पार्टी ने सिर्फ दो सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किये थे, जो मुस्लिम आबादी का सिर्फ 8.69% है। 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी कुल 19 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से 5 प्रत्याशी मुस्लिम थे, जो 26.31% होता है।
2019 की तरह 2024 में भी राजद के सभी मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव हार गए। 2019 में सभी पांच प्रत्याशियों की हार का अंतर 1 लाख से लेकर करीब 5 लाख तक रहा, लेकिन इस बार राजद के दोनों मुस्लिम प्रत्याशियों ने न सिर्फ हार का अंतर कम किया, बल्कि अररिया में तो जीत के करीब भी पहुँच गया।
मधुबनी से राजद उम्मीदवार मो. अली अशरफ फातमी की इस बार 1,51,945 वोटों के अंतर से हार हुई, वहीं अररिया में पार्टी के प्रत्याशी शाहनवाज़ आलम एक करीबी मुक़ाबले में 20,094 वोटों के अंतर से हार गये। जबकि 2019 में राजद समर्थित उम्मीदवारों की मधुबनी व अररिया सीट पर क्रमशः 4,54,106 और 1,37,241 वोटों के मार्जिन से हार हुई थी।
अररिया में किस जाति के कितने वोट?
अररिया लोकसभा क्षेत्र में कुल 20,18,767 मतदाता हैं, जिसमें 12,52,560 वोट पड़े। अनुमानों के अनुसार यहाँ लगभग 40% मुस्लिम हैं, जिसमें मुख्यतः कुल्हैया, सेखड़ा, अंसारी, सुरजापुरी, शेरशाहबादी, सैयद, शेख, पठान जातियां शामिल हैं। अतिपिछड़ा हिन्दू (धानुक, केवट, केवर्त, खंगर, अमात, बिंद, नुनिया, गंगई, हलवाई आदि) आबादी करीब 28%, दलित-महादलित करीब 11%, यादव करीब 10%, बनिया 5%, स्वर्ण 5% और कुशवाहा-कोइरी 1% के करीब हैं।
राजद नेताओं की मानें, तो बूथ वार पड़े वोटों के आकड़ों से पता चलता है कि अररिया में राजद का MY समीकरण (मुस्लिम-यादव समीकरण) सफल रहा। 4.5 लाख के करीब मुस्लिम वोट, लगभग 85,000 यादव और बाकी अन्य जातियों का वोट इस बार राजद को मिलने का अनुमान है। इस तरह से पार्टी को कुल 5,80,052 मत हासिल हुए।
बसपा व निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार
अररिया लोकसभा क्षेत्र से इस बार कुल नौ उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिसमें शाहनवाज़ समेत छह प्रत्याशी मुस्लिम समाज से थे। इनमें बसपा के मो. ग़ौसुल आज़म और चार निर्दलीय मो. मोबिनुल हक़, मो. इस्माइल, मुश्ताक़ आलम और जावेद अख्तर शामिल थे। इन पांचों उम्मीदवारों को कुल 39,992 वोट हासिल हुए, जो राजद की हार के अंतर का लगभग दोगुना है।
इसमें कोई शक नहीं है कि बसपा के 12,690 वोटों में दलित समाज का भी वोट शामिल है। लेकिन मंडल समाज से आने वाले राजद के बागी निर्दलीय प्रत्याशी शत्रुघ्न प्रसाद सुमन को अतिपिछड़ी के साथ-साथ मुस्लिम वोट भी मिले हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में शत्रुघ्न सिकटी विधानसभा क्षेत्र से राजद के प्रत्याशी थे। 2015 में भी महागठबंधन ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था। उनके पिता मुरलीधर मंडल सिकटी के विधायक रह चुके हैं।
एक राजद नेता ने बताया, “इन निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवारों को सभी चुनावों में लड़वा जाता है। पहले उनका प्रभाव कम होता था, लेकिन इस बार सब ने मिला कर 40 हज़ार वोट काट लिए, इसलिए हमारी हार हुई।”
राजद प्रत्याशी शाहनवाज़ ने भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है, “बसपा व निर्दलीय मुस्लिम प्रत्याशियों को साज़िशन चुनाव लड़वाया गया था।”
भाई-भाई की लड़ाई
पहले अररिया लोकसभा क्षेत्र आरक्षित हुआ करता था। 2009 में जब इसे सामान्य किया गया, तो भाजपा के प्रदीप सिंह ने राजद समर्थित लोजपा उम्मीदवार ज़ाकिर हुसैन खान को सिर्फ 22,502 वोटों से हराया था। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार शकील अहमद खान को करीब 49,649 वोट मिले थे।
2014 के चुनाव में प्रदीप सिंह का सामना राजद के कद्दावर नेता मोहम्मद तस्लीमुद्दीन से हुआ था। तस्लीमुद्दीन ने प्रदीप को 1,46,505 वोटों से हरा दिया। हालांकि इस चुनाव में राजद की बड़ी जीत का मुख्य कारण जदयू प्रत्याशी विजय कुमार मंडल रहे, जिन्हें 2,21,769 मत मिले।
सितंबर 2017 में मोहम्मद तस्लीमुद्दीन का निधन हो गया। अगले साल 2018 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे सरफ़राज़ आलम ने चुनाव लड़ा और 61,788 वोटों के अंतर से चुनाव जीत गए। लेकिन 2019 का लोकसभा चुनाव सरफ़राज़ आलम 1,37,241 वोटों के बड़े अंतर से हार गए।
2018 में जब सरफ़राज़ आलम ने अररिया लोकसभा उपचुनाव जीता, तब वह जोकीहाट से विधायक थे। उनके सांसद बनने से जोकीहाट विधानसभा सीट खाली ही गई थी, जिस पर उपचुनाव हुआ और इस चुनाव में तस्लीमुद्दीन के छोटे बेटे शाहनवाज़ की जीत हुई।
लेकिन, 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद सरफ़राज़ आलम वापस 2020 विधानसभा चुनाव लड़ने जोकीहाट आ गए। राजद ने शाहनवाज़ का टिकट काट कर सरफ़राज़ को उम्मीदवार बनाया। ऐसे में शाहनवाज़ ने बग़ावत कर दी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM से भाई के खिलाफ चुनाव लड़ा। इस चुनाव में शाहनवाज़ ने 7,383 वोटों के अंतर से अपने बड़े भाई को हरा दिया।
2022 आते-आते शाहनवाज़ वापस राजद में चले गए और राजद-जदयू-कांग्रेस-माले की महागठबंधन सरकार में मंत्री बनाये गए। डेढ़ साल में ही यह सरकार गिर गई।
2024 के लोकसभा चुनाव में राजद ने सरफराज की जगह छोटे भाई शाहनवाज़ को टिकट दिया। इससे नाराज सरफ़राज़ आलम ने अररिया में एक सभा का आयोजन किया जिसमें उनके समर्थकों ने राजद, लालू प्रसाद यादव व तेजस्वी यादव के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस सभा में “राजद मुर्दाबाद, लालू यादव मुर्दाबाद, तेजस्वी यादव मुर्दाबाद, तस्लीमुद्दीन का वारिस कौन है? सरफ़राज़ आलम!” जैसे नारे लगे। हालांकि, उस सभा के बाद सरफ़राज़ आलम ने खुल कर बगावत नहीं की, लेकिन उनके समर्थकों में राजद के विरोध में जाने का संदेश चला गया था।
पप्पू यादव फैक्टर
अररिया के पास की ही सीट पूर्णिया से चुनाव लड़ने के इरादे से राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ने अपनी जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) का चुनाव से पहले कांग्रेस में विलय कर लिया। लेकिन, राजद यह सीट गठबंधन में कांग्रेस को देने को तैयार नहीं हुआ। यह राजद को मिली और राजद ने जदयू से बगावत कर पार्टी में शामिल हुई बीमा भारती को पूर्णिया से उम्मीदवार बना दिया। इससे ठगा महसूस कर रहे पप्पू यादव ने निर्दलीय नामांकन किया। पप्पू यादव की पहचान सीमांचल-कोसी क्षेत्र के बड़े नेताओं में होती है।
पूर्णिया से पप्पू यादव को हराने के लिए तेजस्वी यादव ने कई सभाएं कीं। पप्पू यादव और तेजस्वी यादव में तीखी ज़ुबानी जंग भी हुई। पूर्णिया सीट कांग्रेस को नहीं मिलने का पूरा दोष पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव के सिर मढ़ दिया। इसका असर ये हुआ कि पूर्णिया के आसपास की सीटों पर भी पप्पू यादव के समर्थकों ने राजद उम्मीदवारों का विरोध किया।
अररिया के एक राजद नेता बताते हैं, “पप्पू यादव समर्थकों के विरोध के कारण कम से कम 10 हज़ार यादव वोट और 3-4 हज़ार मुस्लिम वोटों का नुकसान हुआ है।”
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राजद के वोट में बढ़ोतरी
पिछले कुछ चुनावों के आकड़े देखें तो अररिया में जीत या हार के बावजूद राजद सिर्फ दो ही विधानसभा क्षेत्र जोकीहाट और अररिया में बढ़त ले पाती है। इस बार भी वही हुआ है, लेकिन 2019 के मुक़ाबले राजद का वोट सभी छः विधानसभा क्षेत्रों में बढ़ा है, जबकि भाजपा का वोट नरपतगंज, रानीगंज और सिकटी विधानसभा क्षेत्रों में घटा है। वहीं जोकीहाट और फॉरबिसगंज विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का वोट एक-एक हज़ार बढ़ा है।
राजद का कुल वोट शेयर 2019 में 41.14% था,जो बढ़ कर 46.31% हुआ है। वहीं भाजपा का वोट 52.87% से घट कर 47.91% पर आ गया है।
राजद ने इस बार जोकीहाट में 1,21,794 और अररिया विधानसभा क्षेत्र में 1,22,933 वोट हासिल कर बढ़त बनायी। भाजपा को जोकीहाट और अररिया में क्रमशः 56,826 और 74,655 वोट मिले।
भाजपा ने फॉरबिसगंज, रानीगंज, नरपतगंज और सिकटी विधानसभा क्षेत्रों में क्रमशः 126457, 122421, 106300 और 112459 वोट लाकर बढ़त बनायी, वहीं राजद को इन इलाकों में 87254, 83647, 88069 और 75207 वोट मिले।
2019 के लोकसभा चुनाव में अररिया विधानसभा में राजद को 1,07,418, भाजपा को 77,226 तथा जोकीहाट में राजद को 1,10,065, भाजपा को 55,645 और सिकटी में भाजपा को 1,19,132 और राजद को 60,813 वोट प्राप्त हुए थे।
नरपतगंज में भाजपा के प्रदीप सिंह 1,30,200 और राजद के सरफराज आलम 61,366 वोट लाने में सफल रहे थे। वहीं रानीगंज में भाजपा को 1,09,949 और राजद को 67,298 वोट मिले। फारबिसगंज में भाजपा को 1,25,852 तथा राजद को 74,160 वोट मिले थे।
2019 और 2024 में भाजपा व राजद को मिले विधानसभावार वोट
विधानसभा क्षेत्र | भाजपा | राजद | |
अररिया | 2024 | 74,655 | 1,22,933 |
2019 | 77,226 | 1,07,418 | |
जोकीहाट | 2024 | 56,826 | 1,21,794 |
2019 | 55,645 | 1,10,065 | |
फॉरबिसगंज | 2024 | 1,26,457 | 87254 |
2019 | 1,25,852 | 74160 | |
रानीगंज | 2024 | 1,22,421 | 83647 |
2019 | 1,09,949 | 67298 | |
नरपतगंज | 2024 | 1,06,300 | 88069 |
2019 | 1,30,200 | 61366 | |
सिकटी | 2024 | 1,12,459 | 75207 |
2019 | 1,19,132 | 60,813 | |
पोस्टल वोट | 2024 | 1,028 | 1,148 |
2019 | 430 | 73 |
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