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क्यों बाबा बागेश्वर का बिहार दौरा धार्मिक नहीं राजनीतिक भी है

धीरेंद्र शास्त्री के पटना आगमन को लेकर राजनीतिक बयानबाजियां खूब हुईं। बिहार में राजद नेता व पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्री तेज प्रताप यादव ने धीरेंद्र शास्त्री के बिहार आने से पहले कहा था कि वह धीरेंद्र शास्त्री को बिहार में आने नहीं देंगे।

Reported By Umesh Kumar Ray |
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विवादित कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर की बिहार की राजधानी पटना के नौबतपुर कस्बे में हनुमान कथा चल रही है। यह कथा 17 मई तक चलेगी।

इसे सुनने के लिए दूर-दराज से भारी संख्या में लोग जुटे हैं। दावा है कि तीन लाख की क्षमता वाले शामियाने में क्षमता से दोगुना लोग रोजाना इस कथा को देखने-सुनने के लिए जुट रहे हैं।

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कथा के अलावा धीरेंद्र शास्त्री दिव्य दरबार भी लगाते हैं, जिसमें लोगों की पर्ची निकाली जाती है और दावा है कि बिना पूर्व जानकारी जुटाए धीरेंद्र शास्त्री उक्त व्यक्ति के बारे में निजी जानकारियां देते हैं और उसकी समस्या जान लेते हैं। वह समस्या का सामाधान भी बताते हैं।


14 मई को कथा कार्यक्रम में इतनी भारी भीड़ जुट गई थी कि गर्मी के कारण कई लोग बेहोश हो गये थे। भारी भीड़ के मद्देनजर 15 मई को लगने वाले दिव्य दरबार को स्थगित करने की घोषणा करनी पड़ी, लेकिन बाद में दिव्य दरबार लगाया गया और दूर गांवों से आये गरीब लोगों की पर्ची निकाल कर उन्हें समस्या के समाधान के सब्जबाग दिखाये गये।

crowd at dhirendra shashtri programme in patna

भारी भीड़ के चलते धीरेंद्र शास्त्री ने खुद भी लोगों से अपील की है कि वे ज्यादा संख्या में नौबतपुर न आएं और मोबाइल फोन या टीवी पर ही कथा सुनें।

राजनीतिक बयानबाजियां

धीरेंद्र शास्त्री के पटना आगमन को लेकर राजनीतिक बयानबाजियां खूब हुईं। बिहार में राजद नेता व पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन मंत्री तेज प्रताप यादव ने धीरेंद्र शास्त्री के बिहार आने से पहले कहा था कि वह धीरेंद्र शास्त्री को बिहार में आने नहीं देंगे।

वहीं, बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने कहा था, “अगर कथित बाबा साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली बातें कहेंगे, तो मैं उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि यहां लाल कृष्ण आडवाणी तक को गिरफ्तार किया गया था।” उल्लेखनीय हो कि साल 1992 में लाल कृष्ण आडवाणी ने आयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली थी, जिसे बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने समस्तीपुर में ही रोक दिया था और आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया था।

तेज प्रताप यादव के बयान पर भाजपा नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बहाने संतों का अपमान करने वालों के मुंह पर जनता कालिख पोतेगी।

वहीं, भाजपा विधायक जीवेश मिश्रा ने कहा था कि राजद और जदयू सिर्फ एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिए सारा प्रपंच रह रही है।

पटना स्थित भाजपा के कार्यालय के बाहर धीरेंद्र शास्त्री के समर्थन में पोस्टर लगाये गये। एक पोस्टर में लिखा गया है, “बागेश्वर सरकार का विरोध करने वाले को पागलखाने और पाकिस्तान चले जाना चाहिए। बाबा और हिन्दू धर्म का विरोध करने वाले को बिहार की जनता 2024-2025 में क्लीन बोल्ड करेगी।”

दूसरे पोस्टर में अखंड बिहार और हिन्दू राष्ट्र की बात कही गई है और तो एक अन्य पोस्टर, जिसे भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री नवाब अली ने लगाया है, में लिखा गया है, “विपक्षियों की गली में मची है खलबली, बजरंगबली जी के समर्थन में खड़ा है नवाब अली।”

जदयू ने इस पर शुरुआती चुप्पी के बाद राजद को दोटूक लहजे में कहा कि किसी भी धर्म या सम्प्रदाय का व्यक्ति भारत में कोई भी कहीं भी अपने कार्यक्रम का आयोजन कर सकता है।

जदयू सांसद अजय मंडल ने कहा था, “अगर मुझे आमंत्रण आता है, तो मैं उनसे मिलने जरूर जाऊंगा। बिहार ही क्या देश के किसी भी कोने में किसी भी बाबा को आने-जाने से कोई रोक नहीं हो सकता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यहां किसी को भी किसी भी कोने में जाने से रोका नहीं जा सकता है।”

उन्होंने आगे कहा था, “न मैं बाबा का विरोध करता हूं और न ही उनका समर्थन करता हूं। मैं जिस धर्म को मानता हूं, बाबा भी उसी धर्म को मानते हैं। हम सभी धर्मों के प्रति शद्धा रखते हैं।”

आगवानी में जुटे रहे भाजपा के कद्दावर नेता

धीरेंद्र शास्त्री को लेकर एक खास किस्म का क्रेज नजर आ रहा है। पटना के जिस होटल में शास्त्री का ठिकाना है, वहां भी खूब भीड़ जुट रही है। जिस रास्ते से उनका काफिला नौबतपुर जाता है, उस रास्ते में भी भीड़ नजर आती है। यह भीड़ धीरेंद्र शास्त्री को एक नजर देख लेना चाहती है, छू लेना चाहती है।

Dhirendra Shastri of Bageshwardham

हालांकि, इस तरह की धार्मिक कथाएं बिहार के गांव कस्बों में अक्सर होती रहती हैं, लेकिन धीरेंद्र शास्त्री को लेकर जो हलचल नजर आ रही है, वह अप्रत्याशित है। इसके पीछे एक वजह सोशल मीडिया पर धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता है। लेकिन, दूसरी अहम वजह धीरेंद्र शास्त्री के वे आपत्तिजनक बयान हैं, जो उनकी विचाराधारा को भाजपा और आरएसएस की विचारधारा के करीब लाते हैं। धीरेंद्र शास्त्री ने कई मौकों पर मुसलमानों को लेकर नफरती भाषण दिये और भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की बात कही है।

नौबतपुर में भी धीरेंद्र शास्त्री ने अपनी कथा के दौरान कहा कि भारत, हिन्दू राष्ट्र तो बना हुआ है, बस घोषणा होना बाकी है और भारत में जल्दी ही हिन्दू राष्ट्र की घोषणा भी हो जाएगी।

वह धर्मांतरण के खिलाफ भी बोलते हैं और धर्मांतरित लोगों को दोबारा हिन्दू धर्म में लाने के लिए कार्यक्रम भी किया करता है। साथ ही वह राष्ट्रवाद की भी बात करते हैं। ये सारे मुद्दे भाजपा के भी कोर मुद्दे हैं, जिन्हें आगे रखकर दक्षिणपंथी पार्टी वोट मांगा करती है।

धीरेंद्र शास्त्री के विवादित इतिहास के बावजूद यह एक निहायत ही धार्मिक कार्यक्रम रहता, अगर भाजपा की अतिसक्रियता न दिखती। भाजपा के बड़े नेताओं की अतिसक्रियता बताती है कि यह एक धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक कार्यक्रम है।

यही वजह है कि धीरेंद्र शास्त्री का जब पटना एयरपोर्ट पर आगमन हुआ, तो भाजपा के पांच सांसद मनोत तिवारी, गिरिराज सिंह, राम कृपाल यादव, अश्विनी चौबे, रविशंकर प्रसाद समेत बिहार भाजपा के अध्यक्ष सम्राट चौधरी, नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा व कई अन्य नेता आगवानी करने एयरपोर्ट पर पहुंच गये।

मनोज तिवारी खुद गाड़ी ड्राइव धीरेंद्र शास्त्री को होटल तक ले गये। अगले दिन नौबतपुर में हुए कार्यक्रम में भी लम्बे समय तक ये सभी सांसद व नेता मौजूद रहे।

भाजपा और धीरेंद्र शास्त्री के कोर इश्यू एक

पटना के पत्रकार दीपक मिश्रा ‘मैं मीडिया’ के साथ बातचीत में कहते हैं, “तेज प्रताप यादव ने इस मामले में गलत कार्ड खेल दिया और इसी वजह से धीरेंद्र शास्त्री को इतना फुटेज मिला। अगर उन्होंने ऐसी बयानबाजी नहीं की होती, तो वह आते और चले जाते, मगर इतनी चर्चा नहीं होती।”

दीपक मिश्रा मानते हैं कि धीरेंद्र शास्त्री का दौरा केवल धार्मिक नहीं राजनीतिक भी है।

“भाजपा की सेंट्रल थीम ही हिन्दुत्व है और धीरेंद्र शास्त्री उनके अनुकूल बयान देता रहता है, तो उन्हें इसमें कूदना ही था। जिस तरह भाजपा नेताओं की इसमें सक्रियता दिखी, उससे कहा जा सकता है कि यह एक शक्तिशाली राजनीतिक कार्यक्रम भी है,” उन्होंने कहा।

धार्मिक बाबाओं के देश में करोड़ों समर्थक हैं और वे इन बाबाओं की बातों को तरजीह देते हैं। यही वजह है कि दक्षिणपंथी पार्टी भाजपा चुनावों में इन बाबाओं की मदद लेती रही है।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की थी कि चुनाव में भाजपा डेरा सच्चा सौदा का समर्थन लेगी। खट्टर ने कहा था, “हमारा समाज विभिन्न विश्वासों व आस्थाओं से प्रभावित है। हरियाणा में बहुत सारे डेरे हैं और हमारी पार्टी डेरा सच्चा सौदा समेत अन्य डेरों से संपर्क करेगी और हमें भरोसा है कि उनका समर्थन मिलेगा।”

डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम पर बलात्कार के आरोप लगे थे और साल 2017 में कोर्ट ने उन्हें बलात्कार का दोषी पाया था व 20 साल की सजा सुनाई थी।

योगगुरु रामदेव तो खुलेआम भाजपा का समर्थन करते रहे हैं। साल 2019 के आम चुनाव में भी भाजपा ने रामदेव से समर्थन मांगा था। रामदेव से मुलाकात के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने कहा था, “अगर हमें बाबा रामदेव की मदद मिलती है, तो हम उनके करोड़ों अनुयायियों तक पहुंच सकते हैं।”

साल 2018 में अमित शाह ने हरिद्वार स्थित अखिल भारतीय गायत्री परिवार के मुख्यालय शांति कुंज के पदाधिकारियों से भी मुलाकात कर चुनाव में उनसे समर्थन मांगा था। इसके अलावा उन्होंने भारत माता मंदिर में पूर्व शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद महाराज से भी मुलाकात कर चुनाव में उनका समर्थन मांगा था।

ऐसे में लोकसभा चुनाव से ठीक एक साल पहले धीरेंद्र शास्त्री जैसे विवादित कथावाचक का बिहार में आना और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं उनकी आगवानी करना बताता है कि धीरेंद्र शास्त्री से भाजपा चुनावी फायदा लेना चाहती है।

जातीय चेतना पर धार्मिक चेतना हावी करने की कोशिश!

‘मैं मीडिया’ के साथ बातचीत में राजनीतिक विश्लेषक व पत्रकार चंदन कहते हैं कि धीरेंद्र शास्त्री धार्मिक प्रवचन देते हैं और भाजपा की राजनीति का केंद्र भी धर्म है, इसलिए भाजपा इसमें बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही है।

“अगर भाजपा इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है, तो निश्चित तौर पर चुनावी फायदा उसका स्वार्थ है, अन्यथा वह इसमें इतना समय और संसाधन बर्बाद नहीं करेगी,” चंदन ने कहा।

भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने ‘मैं मीडिया’ से कहा, “भाजपा सनातन संस्कृति की पक्षधर है, इसलिए हमलोग धीरेंद्र शास्त्री जी के साथ हैं। सनातन संस्कृति मजबूत होगी, तो देश मजबूत होगा। अगर यह राजनीतिक फायदा लेना है, तो राजद भी आए और राजनीतिक फायदा ले ले। लेकिन, राजद तुष्टिकरण की राजनीति करता है, इसलिए वह इससे किनारा किये हुए है।”

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार में जातीय चेतना अब भी धार्मिक चेतना से मजबूत है। ऐसे में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के माध्यम से भाजपा उस जातीय चेतना पर धार्मिक चेतना को हावी करना चाहती है, ताकि आने वाले चुनावों में उसे फायदा मिल सके।

“बिहार सामाजिक न्याय की भूमि रही है और जातीय चेतना यहां ज्यादा मजबूत है। भाजपा के लिए इस चेतना को कमजोर कर पाना मुश्किल है, इसलिए वह धार्मिक गोलबंदी करना चाहती है और चूंकि धार्मिक गुरुओं की बातों को उनके शद्धालु गंभीरता से लेते हैं, तो भाजपा को लगता है कि धार्मिक गुरुओं की मदद से उस जातीय चेतना को कमजोर किया जा सकता है,” चंदन कहते हैं।

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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