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फिजिकल टेस्ट की तैयारी छोड़ कांस्टेबल अभ्यर्थी क्यों कर रहे हैं प्रदर्शन?

बिहार पुलिस की तैयारी कराने वाले गुरु रहमान कहते हैं, “पर्षद साफ तौर पर बैक डेट का एनसीएल सर्टिफिकेट चाह रहा है, जो संभव नहीं है।”

Reported By Umesh Kumar Ray |
Published On :
why are the constable candidates protesting instead of preparing for the physical test in bihar

अंकित कुमार ने पिछले साल निकली बिहार पुलिस कांस्टेबल (सिपाही) की वैकेंसी भरी थी और लिखित परीक्षा पास कर ली। अब उनकी शारीरिक सक्षमता परीक्षा (फिजिकल एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी पीईटी) होना बाकी है। इसमें पास हो जाने पर वह सरकारी कर्मचारी हो जाएंगे, मगर इस बीच एक पेंच आ गया है।


नाई जाति, जो अति पिछड़ा वर्ग में आती है, से ताल्लुक रखने वाले अंकित को जाति प्रमाण पत्र के साथ साथ वैकेंसी की अधिसूचना से पहले का नॉन क्रीमीलेयर (एनसीएल) सर्टिफिकेट अनिवार्य रूप से जमा करना है, अन्यथा वे छंट जायेंगे।

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नाॅन क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट, अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के उन परिवारों को जारी किया जाता है, जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपये से कम है। इन सर्टिफिकेट धारकों को ही ओबीसी और ईबीसी आरक्षण का लाभ मिल सकता है।


बिहार सरकार ने पुलिस कांस्टेबल के 21,391 पदों के लिए पिछले साल वैकेंसी निकाली थी। इन 21,391 पदों में से पिछड़ा वर्ग के लिए 2570, पिछड़ा वर्ग महिला के लिए 655, अति पिछड़ा वर्ग के लिए 3842 और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए 2140 पद आरक्षित थे।

इन 21391 पदों के लिए 18,33,387 अभ्यर्थियों ने आवेदन भरे थे, जिनमें से 17,87,720 अभ्यर्थियों के आवेदन वैध पाए गए थे। इनमें से लगभग 70 प्रतिशत यानी 11,95,101 अभ्यर्थियों ने इस साल अगस्त में छह चरणों में लिखित परीक्षा दी थी।

नवम्बर में परीक्षा परिणाम आया था, जिसमें कुल 1,06,955 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए थे। इनमें से ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षित पदों के लिए 10,700 अभ्यर्थियों का चयन पीईटी के लिए हुआ। वहीं, ईबीसी के लिए आरक्षित पदों के लिए 19210 अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इसी तरह, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए (पुरुषों के लिए) आरक्षित पदों के लिए 12850 अभ्यर्थियों और इसी वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित पदों के लिए 3275 अभ्यर्थियों का चयन पीईटी के लिए किया गया।

पीईटी के संदर्भ में 21 नवम्बर को केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती), बिहार की तरफ से एक सूचना प्रकाशित की गई, जिसमें बताया गया कि शारीरिक सक्षमता परीक्षा के दिन ही अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों का भी सत्यापन किया जाएगा। केंद्रीय चयन पर्षद ने सूचना में बताया कि ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के लिए आरक्षित पदों पर चयनित होने वाले अभ्यर्थियों को ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट और ओबीसी तथा ईबीसी के लिए आरक्षित पदों पर चयनित होने वाले अभ्यर्थियों को नॉन-क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट देना होगा।

इन दोनों सर्टिफिकेट के जारी होने की जो अवधि तय की गई है, उसी को लेकर पूरा विवाद है और आंकड़े बताते हैं कि इस नये फरमान से लगभग 46 हजार अभ्यर्थियों पर असर पड़ेगा।

केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) की तरफ से जारी सूचना में एनसीएल सर्टिफिकेट को लेकर किसी निर्धारित तिथि का जिक्र नहीं किया गया है। पर्षद का कहना है कि अभ्यर्थियों को एनसीएल सर्टिफिकेट देना होगा और अगर सर्टिफिकेट, वैकेंसी की अधिसूचना जारी होने से एक वर्ष और उससे भी पहले का है, तो अभ्यर्थी को घोषणा पत्र भी संलग्न करना अनिवार्य होगा।

पुलिस भर्ती परीक्षा की तैयारी कराने वाले शिक्षकों का कहना है कि केंद्रीय चयन पर्षद के शब्दों से साफ है कि वैकेंसी की अधिसूचना जारी होने से पहले का सर्टिफिकेट मांगा जा रहा है।

बिहार पुलिस की तैयारी कराने वाले गुरु रहमान कहते हैं, “पर्षद साफ तौर पर बैक डेट का एनसीएल सर्टिफिकेट चाह रहा है, जो संभव नहीं है।”

वहीं, ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट के संबंध में पर्षद ने साफ कहा है कि ये सर्टिफिकेट वित्तीय वर्ष 2022-2023 यानी एक अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2023 के बीच निर्गत होना चाहिए।

अभ्यर्थियों का कहना है कि पूर्व में बिहार पुलिस की जो भी वैकेंसी निकली थी, उनमें इस तरह के प्रावधान नहीं रखे गये थे। सिर्फ इस बार सरकार ने ऐसी व्यावहारिक मांग अभ्यर्थियों के सामने रख दी है, जिसे पूरा करना लगभग नामुमकिन है क्योंकि सब कुछ ऑनलाइन होने के चलते पूर्व की तिथि में ये सर्टिफिकेट जारी नहीं कराये जा सकते हैं।

खुले आसमान के नीचे बीत रहीं सर्द रातें

पर्षद की शर्तों के खिलाफ पिछले एक हफ्ते से भी ज्यादा समय से अभ्यर्थी पटना के गर्दनीबाग में धरना पर बैठे हुए हैं। मंगलवार को धरने
आ पर बैठी कुछ महिला अभ्यर्थी अपनी मांगों लेकर केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती), बिहार के हार्डिंग रोड स्थित दफ्तर के गेट तक पहुंच गई थीं, तो वहां मौजूद पुलिस कर्मचारियों ने कथित तौर पर उनसे दुर्व्यवहार किया और जबरन उन्हें वापस गर्दनीबाग धरनास्थल पर भेज दिया।

महिला अभ्यर्थियों ने इस दुर्व्यवहार की शिकायत की, तो अन्य अभ्यर्थी गुस्से में आ गये और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बिहार पुलिस के खिलाफ उत्तेजक प्रदर्शन किया और कुछ समय के लिए माहौल संगीन हो गया। बाद में गुस्साये अभ्यर्थियों को शांत कराकर वापस धरनास्थल पर लाया गया।

मौके पर मौजूद मजिस्ट्रेट ने कहा कि अभ्यर्थियों को सोमवार तक ही धरना देने की अनुमति मिली थी, लेकिन वे मंगलवार को भी धरनास्थल पर मौजूद थे, जो गैरकानूनी है।

धरनास्थल पर अभ्यर्थियों के साथ पिछले चार दिनों से अंकित कुमार भी मौजूद हैं। वह मुंगेर से धरनास्थल पर पहुंचे हैं और सर्द रातें खुले आसमान के नीचे बिता रहे हैं।

वह कहते हैं, “रात में मच्छर काटते हैं, खाने को जेब में पैसा नहीं है। मोबाइल की बैटरी खत्म हो गयी है। मगर हमलोग धरना तब तक खत्म नहीं करेंगे, जब तक सरकार हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है।”

“अगर वैकेंसी निकालते वक्त ही सरकार यह कह देती कि इस तारीख से इस तारीख के बीच का नॉन क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट चाहिए, तो हमलोग पहले से बना लेते। फिर कोई झंझट ही नहीं रहता। लेकिन अब जब लिखित परीक्षा का परिणाम आ चुका है और लोग फिजिकल टेस्ट की तैयारी में लग गये हैं, तो सरकार ने नये नियम की घोषणा कर दी है,” उन्होंने कहा।

“सरकार पहले ही साफ-साफ कह देती, तो अभ्यर्थी बनवा लेते, लेकिन अब सरकार पहले के सर्टिफिकेट मांग रही है। ये भला कैसे संभव है? अभी सबकुछ ऑनलाइन हो गया है। ऑनलाइन में बैक डेट का सर्टिफिकेट कैसे बन सकता है? इसलिए बच्चे परेशान हैं,” अंकित ने कहा।

लिखित परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों के लिए अभी फिजिकल टेस्ट के लिए तैयारी करने का वक्त है क्योंकि फिजिकल टेस्ट काफी कठिन होता है। इसमें 1.5 किलोमीटर की दौड़, पांच फीट हाई जंप और गोला फेंक शामिल हैं। बेहतर प्रदर्शन पर इन टेस्ट्स में अच्छे अंक मिलते हैं।

मगर, फिजिकल टेस्ट की तैयारी छोड़कर अभ्यर्थी धरने में शामिल हैं, इससे उनके प्रदर्शन पर भी असर पड़ सकता है।

सीतामढ़ी से धरना में शामिल होने आये 24 वर्षीय अरविंद कुमार यादव का यह तीसरा प्रयास है और उनकी भी लिखित परीक्षा निकल चुकी है।

पूर्व की नियुक्तियों का जिक्र करते हुए वह कहते हैं, “पहले जितनी भी वैकेंसी आई, उनमें नया-पुराना सभी तरह का सर्टिफिकेट मान्य होता था। इस बार 21391 पदों के लिए वैकेंसी निकालते वक्त सरकार ने ईडब्ल्यूएस और एनसीएल सर्टिफिकेट कब का होना चाहिए, इसका कोई जिक्र नहीं किया था। अब अचानक नया अड़ंगा डाल दिया है।”

फिजिकल टेस्ट की तैयारी पर असर

अरविंद, अन्य पिछड़ा वर्ग में आते हैं और उन्हें नॉन क्रीमीलेयर सर्टिफिकेट जमा करना है। “हमलोगों को अभी मैदान में फिजिकल टेस्ट के लिए पसीना बहाना चाहिए था लेकिन धरनास्थल पर भूखे-प्यासे बैठे हुए हैं। फिजिकल टेस्ट की अब कितनी ही मेहनत कर लें। 100 में से 100 अंक भी ले आएं, तो क्या फायदा होगा? दस्तावेज सत्यापन में ईडब्ल्यूएस या एनसीएल नहीं होने पर छंट ही जाना है,” निराश होकर अरविंद कहते हैं।

बिहार पुलिस में कॉन्स्टेबल का पद सबसे नीचे होता है। ऐसे में जो परिवार आर्थिक तौर पर कमजोर होते हैं, उनके ही बच्चे इस पद के लिए आवेदन भरते हैं। धरनास्थल पर मौजूद अभ्यर्थियों में से अधिकांश के पिता या तो किसान हैं या फिर मजदूरी करते हैं। ऐसे में ये नौकरी उनके लिए बहुत जरूरी है।

अंकित कहते हैं, “हमलोग किसान, मजदूर परिवार से आते हैं। रिक्शा चलाने वालों के परिवार से आते हैं। अगर ये नौकरी नहीं मिली, तो हमारे जीवन पर, हमारे करियर पर बहुत असर पड़ेगा। एक तो बिहार पुलिस की परीक्षा में धांधली खूब होती है। इस बार साफ-सुथरी परीक्षा हुई, तो इस में सर्टिफिकेट का लोचा लगा दिया है।”

अंकित का आरोप है कि सरकार ने जानबूझकर ऐसी शर्त लगा दी है कि बहुत सारे अभ्यर्थी छंट जाएंगे और पद खाली रह जाएंगे। “इन खाली पदों में कुछ और पद जोड़कर सरकार अगले साल चुनाव के समय फिर वैकेंसी निकालेगी और बड़े पैमाने पर नौकरियां देने का दावा करेगी, इसलिए ऐसा किया गया है,” उन्होंने कहा।

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Umesh Kumar Ray started journalism from Kolkata and later came to Patna via Delhi. He received a fellowship from National Foundation for India in 2019 to study the effects of climate change in the Sundarbans. He has bylines in Down To Earth, Newslaundry, The Wire, The Quint, Caravan, Newsclick, Outlook Magazine, Gaon Connection, Madhyamam, BOOMLive, India Spend, EPW etc.

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