भारत में वज्रपात यानी बिजली गिरना एक गंभीर प्राकृतिक आपदा के रूप में उभरा है, खासकर किसानों के लिए। Institute of Electrical and Electronics Engineers (IEEE) द्वारा 2024 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 1967 से 2020 के बीच देश में वज्रपात से 1,01,309 लोगों की मौत हुई है। 2023 में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा लोकसभा में दिए गए एक बयान के अनुसार, इन मौतों में से 96% ग्रामीण क्षेत्रों में होती हैं और इनमें से 77% मृतक, किसान या खेतिहर मजदूर होते हैं।
किसानों की जोखिम भरी स्थिति
खुले खेतों में काम करने के कारण किसान बिजली गिरने के जोखिम में होते हैं। शहरों के विपरीत, जहां लोग इमारतों में शरण ले सकते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के पास ऐसी कोई सुविधा नहीं होती, जिससे वे मौसम की आपदाओं के सीधे संपर्क में आ जाते हैं। उदाहरण के लिए, बिहार के अररिया जिले के रानीगंज क्षेत्र में सितंबर 2024 में तीन लोगों की बिजली गिरने से मौत हो गई। ये सभी खेतों में काम कर रहे थे, जब अचानक तेज बारिश और आकाशीय बिजली गिरने से उनकी मृत्यु हो गई।
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इस घटना में बचे एक किसान, रौशन, बताते हैं कि कैसे अचानक मौसम बिगड़ गया और बिजली ने उन्हें झटका देकर दूर फेंक दिया। वह कहते हैं, “मैं खेत में काम कर रहा था जब अचानक बिजली गिरी और मुझे दूर फेंक दिया। होश आने पर देखा कि तीन लोग मर चुके थे।”
जलवायु हॉटस्पॉट और जोखिम में वृद्धि
भारत के मध्य राज्य जैसे मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश बिजली गिरने के हॉटस्पॉट माने जाते हैं। Climate Resilient Observing Systems Promotion Council (CROPC) द्वारा जारी Annual Lightning Report 2023-24 के अनुसार, बिहार में बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। हालांकि राज्य की फ्लैश डेंसिटी (एक क्षेत्र में बिजली गिरने की संख्या) कम है, लेकिन इसके बावजूद राज्य में बिजली गिरने से मौतें अधिक हो रही हैं।
किसान पूरन राय बताते हैं, “हमें कोई चेतावनी नहीं मिलती। हमारे मोबाइल पर अलर्ट नहीं आता और घटना के बाद ही नेता आते हैं।”
रोकथाम के उपाय
भारतीय मौसम विभाग (IMD) तूफान और बिजली गिरने से जुड़ी घटनाओं का पूर्वानुमान करता है। ये चेतावनियाँ MEGHDOOT, MAUSAM और DAMINI जैसे मोबाइल ऐप्स के माध्यम से प्रसारित की जाती हैं, जो बिजली गिरने की घटनाओं को ट्रैक करती हैं और निकट भविष्य की भविष्यवाणी करती हैं। इसके अलावा, बिहार सरकार ने Indravajra नामक ऐप लॉन्च किया है, जो किसानों को अलर्ट देता है।
हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों में स्मार्टफोन की कमी और तकनीकी शिक्षा की कमी के कारण इन ऐप्स का उपयोग सीमित है। किसान रौशन बताते हैं, “हमारे पास मोबाइल नहीं है, इसलिए हमें मौसम की चेतावनी नहीं मिलती।”
जलवायु परिवर्तन की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बिजली गिरने की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। 2010 से 2020 के बीच 29,804 मौतें दर्ज की गईं, जो पिछले दशकों की तुलना में एक बड़ा उछाल है।
किसान दिलीप कुमार राय बताते हैं, “पहले बारिश होने और बिजली गिरने में समय लगता था, लेकिन अब सबकुछ अचानक हो जाता है और भागने का भी समय नहीं मिलता।”
बिजली गिरने से किसानों की बढ़ती मौतें दिखाती हैं कि उन्हें बचाने के लिए बेहतर चेतावनी प्रणालियाँ और मौसम जानकारी तक आसान पहुँच की आवश्यकता है। जब तक ये उपाय नहीं किए जाते, किसानों का जीवन बिजली प्रभावित क्षेत्रों में अत्यधिक जोखिम में रहेगा।
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