कोसी नदी फिर से उफान पर है। बिहार के सहरसा जिले में दर्जनों परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। मेहसी प्रखंड का घोघसम क्षेत्र बुरी तरह से बाढ़ का शिकार है। सालों की मेहनत और पाई-पाई जोड़कर बनाए घर बाढ़ और कटाव की भेंट चढ़ चुके हैं।
तटबंध मरम्मत में देरी और बुनियादी सुविधाओं की कमी ने पीड़ितों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं। राहत सामग्री से वंचित और पुनर्निवास योजना ढंग से न लागू होने से पीड़ित ग्रामीण सरकार से निराश हैं।
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स्थानीय लोगों ने बताया कि यह गांव हर साल बाढ़ और कटाव की मार झेलता है। इस बार गांव में अब तक 50 से अधिक घर पानी में बह चुके हैं। बेघर हो चुके परिवारों को सरकार की तरफ से रहने और खाने पीने की कोई सुविधा नहीं दी गई है। ग्रामीण खुले में जीवन बसर कर रहे हैं और भूख की मार झेलने पर मजबूर हैं।
स्थानीय ग्रामीण शकुन देवी उन दर्जनों महिलाओं में से एक हैं जो सरकार से मदद की आस में भूखे प्यासे जीने को मजबूर हैं। न खाने को खाना है और न पीने को साफ़ पानी। शकुन देवी की तरह रतन देवी भी सरकार से फौरी मदद चाहती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से एक प्लास्टिक तक तक नहीं दी गई। जनप्रतिनिधि चुनाव के समय बड़े बड़े वादे करते हैं मगर दोबारा नज़र नहीं आते।
सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र के इस इलाके में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जिसपर 25 से 30 गांवों के लोग निर्भर हैं। ग्रामीणों ने बताया कि बाढ़ जैसे हालात में यह केंद्र पूरी तरह से बेअसर हो जाता है। यहां प्रसव के अलावा कोई खास सुविधा नहीं है। सर्दी-बुखार के अलावा दूसरी बीमारियों का इलाज नहीं हो पाता है। हाल ही में एक व्यक्ति को सांप ने डस लिया और फिर शहर ले जाते-ले जाते उसकी की मौत हो गई।
सिमरी बख्तियारपुर के पूर्व विधायक ज़फ़र आलम बाढ़ पीड़ितों से मिलने पहुंचे। उन्होंने बताया कि घोंघसम इलाके में हो रहे कटाव को लेकर उन्होंने जिलाधिकारी और एसडीओ से बात की है। उनका प्रयास है कि जल्द से जल्द पीड़ितों को खाना, पानी, प्लास्टिक की शीट जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।
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