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70वीं BPSC परीक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन का क्या है पूरा मामला

13 दिसंबर को बिहार के 912 परीक्षा केंद्रों पर 70वीं बिहार लोक सेवा आयोग की संयुक्त (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा ली गई। इसमें करीब 4 लाख 75 हज़ार अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
what is the whole matter of protest regarding 70th bpsc exam

“गोली चलवा दीजिए, आतंकवादी हैं हम लोग, गोली चलवा दीजिए!” पटना में 25 दिसंबर को बिहार लोक सेवा आयोग के कार्यालय पर धरना देने जा रहे कुछ प्रदर्शनकर्ताओं में से एक ने पुलिस से कहा।


पुलिस ने अनधिकृत रूप से कार्यालय का घेराव करने की मंशा का हवाला देकर प्रदर्शनकर्ताओं पर लाठियां बरसाईं। मामला उछला और विपक्ष के नेताओं ने लाठीचार्ज पर बिहार सरकार को घेरने की कोशिश की। उन नेताओं में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, प्रशांत किशोर और पप्पू यादव के नाम शामिल रहे।

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एक्स पर लाठीचार्ज की तस्वीरें साझा कर राहुल गांधी ने लिखा, “.. BPSC अभ्यार्थी पेपर लीक के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं और एग्जाम को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन NDA की सरकार अपनी नाकामी को छुपाने के लिए उल्टा छात्रों पर ही लाठीचार्ज करवा रही है। यह बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम उनके साथ हैं और उन्हें न्याय दिलाने के लिए लड़ेंगे।”


“ये जनता की सरकार है, लाठी-डंडों की सरकार है या भ्रष्ट अधिकारियों की सरकार है? अगर सरकार है तो इसको चला कौन रहा है ? ऐसा लग रहा है कि माननीय मुख्यमंत्री होश में नहीं हैं। बच्चे लाठी डंडा खा रहे हैं, घायल हैं, अस्पताल में भर्ती हैं ये देख कर मुख्यमंत्री जी की अंतरात्मा को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता,” 27 दिसंबर को तेजस्वी यादव ने मीडियाकर्मियों से कहा।

जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने छात्रों को 29 दिसंबर को पटना के गांधी मैदान में बुलाया। इससे पहले करीब दो हफ्तों से बीपीएससी अभ्यर्थी गर्दनीबाग में अनशन पर बैठे थे और लगातार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने की मांग कर रहे थे। रविवार को गांधी मैदान में बड़ी भीड़ इकट्ठा हुई, शाम होते होते भीड़ बेकाबू होती दिखी और प्रदर्शनकर्ता मुख्यमंत्री आवास की तरफ बढ़ने लगे।

प्रशासन ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए वाटर कैनन का उपयोग किया। इस दौरान पुलिस ने सड़कों से हटाने के लिए कई प्रदर्शनकारियों पर ताबरतोड़ लाठी चलाई।

“हमलोग का दोबारा एग्ज़ाम होगा तो कट ऑफ कैसे बनेगा। 2000 वैकेंसी है और 12,000 की दोबारा परीक्षा होगी उनके हिसाब से अगर कट ऑफ हाई हो जाएगा तो, हमलोग कहां जाएंगे ? हमलोग के साथ तो अन्याय हो जायेगा न,” प्रदर्शन स्थल पर मौजूद एक महिला अभ्यर्थी ने कहा।

पुलिस ने कहा कि कई बार समझाने के बावजूद उग्र भीड़ नहीं रुकी और धक्कामुक्की करने लगी जिसके बाद पुलिस ने मजबूरन लाठी-डंडे और वाटर कैनन का उपयोग किया। रविवार को इस घटना के बाद 21 नामजद समेत 600 अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। इनमें जन सुराज के प्रशांत किशोर और मनोज भारती के नाम भी शामिल रहे।

प्रशांत किशोर घटनास्थल से लाठीचार्ज से पहले वापस लौट आए थे। इससे पहले उन्होंने मीडियाकर्मी से बातचीत में कहा “आधे दिन सब लोग संघर्ष कर रहे थे, उसमें मैं भी शामिल था। उसका परिणाम यह है कि पहली बार मुख्य सचिव अभी मिल रहे हैं। निर्णय अगर नहीं होगा तो कल फिर से हमलोग इस पर बैठकर बात करेंगे।”

बहरहाल, 30 दिसंबर को प्रदर्शनकर्ताओं का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्य सचिव से मिला। सोमवार को छात्रों के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा से मुलाकात की, जहां अनियमितता की जांच, अभ्यर्थियों पर मुकदमे वापस लेने और मुआवजे जैसी मांगें रखी गईं। बातचीत बेनतीजा रहने के चलते छात्रों ने धरना जारी रखने का फैसला किया है और 4 जनवरी को होने वाली परीक्षा स्थगित कर दोबारा पूरे राज्य में परीक्षा कराने की मांग उठाई। वहीं मुख्य सचिव ने प्रतिनिधि मंडल को उनकी मांगों पर आधारित एक विस्तृत रिपोर्ट जमा करने को कहा है।

prashant kishor during the protest

क्यों हो रहा है विरोध प्रदर्शन

13 दिसंबर को बिहार के 912 परीक्षा केंद्रों पर 70वीं बिहार लोक सेवा आयोग की संयुक्त (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा ली गई। इसमें करीब 4 लाख 75 हज़ार अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया। 912 केंद्रों में से एक केंद्र पटना का बापू परीक्षा परिसर भी था। यहां करीब 12,000 परीक्षार्थियों के बैठने का प्रबंध किया गया था। परीक्षा के दौरान बापू परीक्षा परिसर में कुछ अभ्यर्थियों ने दूसरे कमरों में जाकर परीक्षार्थियों के प्रश्न पत्र हवा में उछाले और परिसर में खूब हंगामा किया। उन्होंने पेपर लीक और प्रश्न पत्र बांटने में गड़बड़ी का आरोप लगाया और परीक्षा का बहिष्कार किया।

हंगामे के बीच बापू परीक्षा परिसर के केंद्राधीक्षक को दिल का दौरा पड़ा और उनकी मौत हो गई। आरोप है कि परिसर में हंगामा कर रहे कुछ अभ्यर्थियों ने रास्ते में अवरोध पैदा किया हुआ था और बीमार केंद्राधीक्षक को अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका जिससे उनकी मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने हंगामा करने वाले कुछ अभ्यर्थियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया।

मामले ने तूल पकड़ा और पटना के गर्दनीबाग में आधे दर्जन से अधिक लोग अनशन पर बैठ गए जिसमें एक कोचिंग संचालक रमांशु मिश्रा का भी नाम शामिल है। इस धरना प्रदर्शन को ‘शिक्षा सत्याग्रह’ का नाम दिया गया है। प्रदर्शनकारी पुनर्परीक्षा की मांग पर अड़े हुए हैं और खबर लिखे जाने तक अनशन जारी है।

बापू परीक्षा परिसर के परीक्षारती ने क्या बताया

“हमारे रूम का शीशा तोड़ा गया। हमारे रूम में कोई अंदर तो नहीं आया लेकिन रूम के कुछ अभ्यर्थी बाहर गए, करीब 15 बच्चे बाहर गए,” परीक्षार्थी आदित्य आनंद ने ‘मैं मीडिया’ से कहा। 13 दिसंबर को आदित्य ने पहली बार बिहार लोक सेवा आयोग (प्रीलिम्स) की परीक्षा दी। उनका परीक्षा केंद्र पटना के बापू परीक्षा परिसर में था जहां ये सारा विवाद हुआ।

आदित्य ने बताया कि परीक्षा वाले दिन बापू परीक्षा परिसर ब्लॉक ए के हॉल नंबर 2 से शोर उठा। वह उसी फ्लोर के हॉल नंबर 1 में थे। “मेरे हॉल में प्रश्न पत्र और ओ.एम.आर दोनों एक साथ दिए गए जिसपर कुछ बच्चों ने आपत्ति जताई कि ओ.एम.आर कम से कम 10 मिनट पहले मिल जाना चाहिए था। प्रश्न 11.55 बजे आया हमारे हॉल में,” आदित्य ने कहा।

आदित्य की मानें तो बापू परीक्षा परिसर में बायोमेट्रिक की जगह मैन्युअल रूप से अभ्यर्थियों की उपस्थिति दर्ज की गई। कई अभियर्थियों के बुकलेट और ओएमआर के मेल न खाने से गुस्साए परीक्षार्थियों ने परीक्षा का बहिष्कार किया और बाहर चले गए।

आदित्य आगे कहते हैं, “मेरे एग्ज़ाम हॉल में परीक्षक कंफ्यूज लग रहे थे कि किसे किस पंक्ति से हाज़री बनानी है। प्रश्न आया तो यह तय करने में उन्होंने लगभग आधा घंटा लगा दिया कि किस पंक्ति में कौन प्रश्न पत्र जाएगा। हमें 12 बजे की जगह 12.25 बजे प्रश्न पत्र मिला। मेरे कमरे में जो बच्चे परीक्षा से अनुपस्तिथ थे उनके प्रश्न पत्र भी डेस्क पर नहीं रखे गए थे। मैन्युअल रूप से अटेंडेंस बनाया गया, मैन्युअली हाज़री तो कहीं से भी बनाया जा सकता है।”

“कुछ बच्चे फटे हुए सील वाले प्रश्न पत्र लेकर बाहर आए और उन्होंने आरोप लगया कि प्रश्न लीक हुआ है। ये उनका कहना था मैं नहीं कह रहा हूँ। सील फटा हुआ था उसका वीडियो इनटरनेट पर उपलब्ध है।”

प्राप्त जानकारी के अनुसार हर हॉल में 273 अभ्यर्थियों के बैठने का प्रबंध था और प्रश्न पत्र के पैकेट में 192 प्रश्न होते हैं, इसके कारण भी प्रश्न बांटने में थोड़ी देरी होने की बात सामने आई। जब एक हॉल में दूसरे पैकेट के प्रश्न पत्र बंटे तो जो बचा फिर उन पत्रों को दूसरे हॉल में भेजा गया। इस प्रकिया में देरी हुई।

हमने आदित्य से पूछा कि 64वीं बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षा में औरंगाबाद में परीक्षा रद्द की गई थी। इसके बाद दोबारा परीक्षा ली गई थी हालांकि तब पूरे राज्य में पुनर्परीक्षा नहीं हुई थी।

इस पर आदित्य ने कहा, “600 (औरंगाबाद के अभ्यर्थी) और 12,000 अभ्यर्थियों को एक माणक पर नहीं रखा जा सकता है। 4 तारीख को मैं भी परीक्षा दूंगा लेकिन मैं इस प्रोटेस्ट के साथ हूँ, यह री-एग्ज़ाम होना चाहिए। ये आप भरोसा नहीं जीत रहे हैं, जैसे परीक्षा करवा रहे हैं। यह आयोग भरोसेमंद नहीं है।”

बीपीएससी ने कहा – आधारहीन है री-एग्ज़ाम की मांग

19 दिसंबर को जारी एक सूचनापत्र में बिहार लोक सेवा आयोग ने 13 दिसंबर को हुई एकीकृत 70वीं संयुक्त (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा के दौरान पटना के बापू परीक्षा परिसर में हुई परीक्षा को रद्द करते हुए दोबारा परीक्षा कराने का एलान कर दिया। परीक्षा की नई तारीख 4 जनवरी 2025 रखी गई।

इसके बाद 24 दिसंबर को आयोग ने एक और प्रेस विज्ञप्ति जारी की। 13 दिसंबर को हुई परीक्षा के बारे में आयोग ने साफ़ किया कि बापू परीक्षा परिसर के अलावा बाकी 911 परीक्षा केंद्रों से किसी तरह की कोई गड़बड़ी की शिकायत नहीं आई है इसलिए पूरे राज्य में दोबारा से परीक्षा कराने का कोई विचार नहीं है।

इस परीक्षा में निजी कोचिंग संस्थान के मॉडल पेपर से प्रश्नों के मेल खाने की बात निकल कर आई थी। आयोग ने इस बात को खारिज करते हुए इसे सोची समझी साज़िश और पेपर लीक के आरोपों को निराधार बताया।

“कुछ अवांछित तत्त्वों द्वारा यह अफवाह फैलाई जा रही है कि उक्त परीक्षा के प्रश्न-पत्र में कुछ प्रश्न किसी कोचिंग संस्थान के मॉडल प्रश्न-पत्र से लिये गये हैं। यह पूरी तरह अभ्यर्थियों को दिग्भ्रमित कर भड़काने की सोची-समझी साजिश है,” बीपीएससी की प्रेस विज्ञप्ति में लिखा गया।

आयोग के अनुसार बापू परीक्षा परिसर में कुछ ‘उपद्रवी तत्त्वों’ ने OMR शीट फाड़कर परीक्षार्थियों को भ्रमित करने और परीक्षा का बहिष्कार करने के लिए उकसाया। इसके बावजूद लगभग 5,200 परीक्षार्थियों ने शांतिपूर्ण तरीके से परीक्षा पूरी की और उत्तर-पुस्तिका जमा की।

27 दिसंबर को बिहार लोक सेवा आयोग ने एक और प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि एकीकृत 70वीं संयुक्त (प्रा.) प्रतियोगिता परीक्षा को राज्य भर में दोबारा से करा पाना संभव नहीं है। बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक राजेश कुमार सिंह ने स्पष्ट किया कि बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षाओं के आयोजन के लिए प्रतिबद्ध संवैधानिक संस्था है इसलिए वो तथ्यहीन आरोपों के आधार पर दोबारा परीक्षा कराने का निर्णय नहीं ले सकता।

आयोग का कहना है कि अभ्यर्थी जिन आरोपों के तहत परीक्षा रद्द करने की बात कर रहे हैं उनका प्रमाण उनसे कई बार मांगा गया है लेकिन वे किसी तरह का साक्ष्य पेश करने में असफल रहे हैं। राज्य के बाकी परीक्षा केंद्रों के अभ्यर्थियों की तरफ से लगातार परीक्षा रद्द न कराने का अनुरोध किया जा रहा है। आयोग को दर्जनों मेल प्राप्त हुए हैं जहां अभ्यर्थियों ने 13 दिसंबर को शांतिपूर्वक परीक्षा होने की बात की है और दोबारा परीक्षा न लेने का अनुरोध किया है।

नॉर्मलाइज़ेशन करने से किया इनकार

पुनः परीक्षा की मांग कर रहे बीपीएससी अभ्यर्थियों का तर्क है कि दो 4 जनवरी को होने वाली परीक्षा के बाद जब अंतिम परिणाम निकाले जाएंगे तो आयोग नॉर्मलाइज़ेशन की प्रक्रिया अपनाएगा क्योंकि दो अलग अलग प्रश्न पत्र से ली गई परीक्षाओं में ये प्रक्रिया अपनाई जाती है। आयोग लगातार नॉर्मलाइज़ेशन प्रक्रिया न अपनाने की बात कर रहा है।

एक निजी न्यूज़ चैनल से बात करते हुए बीपीएससी के परीक्षा नियंत्रक राजेश कुमार सिंह ने नॉर्मलाइज़ेशन पर कहा कि यह प्रक्रिया लागू नहीं होगी। नॉर्मलाइज़ेशन के लिए वेटेज का भी आधार होता है। जहां 3 लाख 28 हज़ार अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी है वहां 12 हज़ार के साथ नॉर्मलाइज़ेशन किया जाना संभव नहीं है। उन्होंने 64वीं बीपीएससी परीक्षा का हवाला देते हुए कहा कि औरंगाबाद की परीक्षा रद्द हुई थी तब केवल औरंगाबाद में ही दोबारा परीक्षा ली गई थी। इसी तरह इस बार भी होगा और नॉर्मलाइज़ेशन पर विचार भी नहीं किया जाएगा।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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