बुधवार की दोपहर गोलियों की तड़तड़ाहट से जब नौरंगा गांव गूंज उठा, तो एक आपात फोन कॉल अशोक तांती के पास पहुंचा, जो उस वक्त मोकामा में मजदूरी कर रहे थे। फोन कॉल उनके नौरंगा स्थित घर से आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि गांव में दो गुटों में गैंगवार चल रहा है।
“फोन आते ही मुझे चिंता हुई। मैंने उन्हें कहा कि सभी बच्चों को घर के अंदर बुलाकर घर का दरवाजा भीतर से बंद कर लें,” अशोक तांती ने कहा।
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अशोक तांती अतिपिछड़ा वर्ग में आते हैं, जिनकी संख्या नौरंगा गांव में कम है और इस पूरे गैंगवार में इस जाति की कोई भूमिका नहीं है। वह कहते हैं, “ये तो बड़ी जातियों की आपसी लड़ाई है, इससे हमें कोई लेना-देना नहीं है। इस गैंगवार से हमें कोई खतरा भी नहीं, लेकिन एक स्वाभाविक डर तो है ही, इसलिए परिवार को कह दिया है कि अगले कुछ रोज तक सतर्क रहें। गैंगवार जिस तरफ हुआ है उस तरफ न जाएं और घर को बंद रखें।”
नौरंगा गांव में हुए इस गैंगवार में मुख्य रूप से दो किरदार हैं – सोनू-मोनू द्वय और पूर्व विधायक अनंत सिंह। लेकिन, इसके पीछे कई वजहें बताई जा रही हैं।
बुधवार को हुआ क्या था
इस पूरे गैंगवार के पीछे तात्कालिक वजह हेमजा गांव का रहने वाला मुकेश है, जिसके मकान की तालाबंदी कर दी गई थी।
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, नौरंगा गांव की रहने वाली नौरंगा-जलालपुर पंचायत की मुखिया उर्मिला सिन्हा का लखीसराय जिले के खुटहा गांव में एक ईंट भट्टा चलता है, जिसकी देखरेख उनके दो बेटे सोनू व मोनू करते हैं। इस ईंट भट्टा में मुकेश बतौर कैशियर काम करता है। आरोप है कि मुकेश ने ईंट भट्टे के 65 लाख रुपये गबन कर लिये थे, हालांकि पुलिस का कहना है कि 35 लाख रुपये के गबन का मामला है।
गबन की राशि उगाहने के लिए सोनू-मोनू ने मुकेश के घर में ताले जड़ दिये। मुकेश ने इसकी शिकायत अनंत सिंह से की, तो अनंत सिंह, मुकेश के घर पहुंचे और ताला तोड़ दिया। इसके बाद अनंत सिंह नौरंगा गांव स्थित सोनू मोनू के घर पहुंचे, जहां दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, कम से कम 100 राउंड फायरिंग हुई है और कहा यह भी जा रहा है कि एके-47 से भी फायरिंग की गई है। मगर हास्यास्पद ये है कि पुलिस को मौका-ए-वारदात से महज तीन खोखे मिले हैं और पुलिस एके-47 चलने से भी इनकार कर रही है।
घटना के बाद मीडिया में पुलिस का जो बयान आया, वो एकबारगी ये अहसास देता है कि यह महज छोटी मोटी वारदात थी। एसपी (ग्रामीण) विक्रम सिहाग ने कहा कि दो गुटों में गोलीबारी हुई थी। “घटना की जानकारी पर पुलिस पहुंची, तो दोनों पक्ष के लोग फरार हो गये। पुलिस, घटनास्थल का मुआयना कर रही है। दोनों पक्ष में नजदीकी गांव में किसी के घर में लगाये गये ताले को खुलवाने को लेकर विवाद हुआ था, जो बढ़ गया और ये घटना हुई। इस घटना में किसी के हताहत होने की कोई सूचना नहीं है,” एसपी ने कहा।
अनंत सिंह ने मीडिया को बताया कि बुधवार की सुबह कुछ लोग उनके घर पर आये थे और उनसे गुहार लगाई कि उनके घर में ताला लगा दिया गया है। अनंत सिंह अपने बयान में कहते हैं, “लोगों ने गुहार लगाई, तो हम उनके घर पहुंचे और ताला खोल दिये। फिर मन में हुआ कि सोनू-मोनू के घर जाकर उनसे कह दें कि ऐसा (घर में ताला लगाना) क्यों करते हैं। पहले तो गंगा नदी के किनारे गड्ढा कर घाटों को नहाने लायक नहीं छोड़ा है, लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है। हमको जनता ने विधायक बनाया है (हालांकि विधायक उनकी पत्नी हैं) है और जनता को हम भगवान मानते हैं। भगवान को कोई मारते रहे, घर से भगाए रहे, तो वैसा विधायक हम नहीं बनना चाहते हैं। हम घर जाकर दो लोगों को भेजे पूछने के लिए कि सोनू-मोनू घर पर है कि नहीं। दोनों देखने गये और वापस भागने लगे, तो गोली उसकी गर्दन में लग गई। हमलोगों का आदमी बचाने के लिए दौड़ा, तो दोनों तरफ से गोली चली।”
वहीं, सोनू ने मीडिया से कहा है कि अनंत सिंह और उनके लोगों ने उनके घर पर आकर गोलीबारी की।
इस मामले में कुल तीन एफआईआर पंचमहला थाने में दर्ज की गई है। एक एफआईआर सोनू के परिजनों ने अनंत सिंह के खिलाफ दर्ज कराई, दूसरी एफआईआर ईंट-भट्टा के कैशियर मुकेश ने सोनू व मोनू के खिलाफ और तीसरी एफआईआर गोलीबारी को लेकर हुई है, जिसमें अनंत सिंह, उनके गुर्गे तथा सोनू-मोनू व उनके गुर्गों के खिलाफ दर्ज कराई गई है।
पुलिस ने इस मामले में दो लोगों सोनू और रौशन कुमार को गिरफ्तार किया है और खबर है कि गुरुवार की रात मुकेश के घर पर फायरिंग की घटना हुई है। वहीं, शुक्रवार को अनंत सिंह ने कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, जहां से उन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया।
क्या ‘इलाके’ में दखलंदाजी की वजह से हुआ गैंगवार
तात्कालिक वजह भले ही तालाबंदी हो, लेकिन स्थानीय लोग बताते हैं कि ये ‘इलाके’ में घुसपैठ का मामला है।
सोनू व मोनू के बारे में कहा जाता है कि वे विवेका पहलवान के चेले हैं। विवेका पहलवान पुराने जमाने के बाहुबली हैं, जिनकी लम्बे समय तक गैंगस्टर से नेता बने अनंत सिंह से अदावत रही।
अनंत सिंह, जो छोटे सरकार के नाम भी जाने जाते हैं, मोकामा से विधायक रह चुके हैं। पूर्व में वह सत्ताधारी जनता दल (यूनाइटेड) से जुड़े हुए थे, बाद में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हुए।
अगस्त 2019 में उनके नदवां स्थित मकान से एके-47 व हैंड ग्रेनेड बरामद किये गये थे और उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी। साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर उन्होंने मोकामा से जीत दर्ज की। जून 2022 में आर्म्स एक्ट में उन्हें कोर्ट से सजा मिली जिसके चलते उनकी विधायकी चली गई। इसके अगले ही महीने वर्ष 2015 में उनके घर से इंसास राइफल मिलने के मामले में भी उन्हें सजा मिली। कुल मिलाकर उन्हें 10 साल की सजा सुनाई गई थी। उनकी विधायकी रद्द होने पर मोकामा में उपचुनाव हुआ, तो राजद ने उनकी पत्नी नीलम देवी को उतारा और उनकी जीत हुई। इसी बीच, नीतीश कुमार ने भाजपा से गठबंधन तोड़ महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन यह गठबंधन 17 महीने ही चल पाया। नीतीश कुमार ने एनडीए में वापसी की और सरकार बनाने की दावा पेश किया। इसको लेकर विश्वास मत हुआ, तो नीलम देवी ने एनडीए सरकार के पक्ष में वोटिंग की और फिर जदयू में शामिल हो गईं।
नीलम देवी के जदयू में शामिल होते ही सजायाफ्ता अनंत सिंह को रियायत मिलनी शुरू हो गई। लोकसभा चुनाव में उन्हें जदयू नेता व सांसद राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह के समर्थन में प्रचार करने के लिए पैरोल दिया गया और अगस्त में पटना हाईकोर्ट ने आर्म्स एक्ट के तहत मिली सजा निरस्त करते हुए बरी कर दिया।
एक विश्वस्त सूत्र ने बताया कि सोनू व मोनू उभरते हुए गैंगस्टर हैं और हेमजा, पंचमहला, बरहिया, नौरंगा व अन्य गांवों में उनका वर्चस्व है। ऐसे में अनंत सिंह के हेमजा गांव निवासी मुकेश के मामले में हस्तक्षेप को दोनों भाइयों ने अपने वर्चस्व क्षेत्र में घुसपैठ की तरह देखा और प्रतिक्रिया दी।
सोनू-मोनू का राजनीतिक रुझान
उक्त सूत्र ने ये भी बताया कि सोनू-मोनू राजनीतिक तौर पर भाजपा के करीब हैं, इसलिए अनंत सिंह के साथ गैंगवार को राजनीतिक नजरिए से भी देखने की जरूरत है।
मोकामा विधानसभा सीट पर साल 2022 में हुए उपचुनाव में भाजपा ने स्थानीय नेता नलिनी रंजन उर्फ ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को टिकट दिया था, जिसे सोनू-मोनू ने खुलकर समर्थन दिया था, हालांकि वे जीत नहीं सकीं।
सोनू-मोनू का सोनम देवी को समर्थन देने के पीछे एक वजह ये भी थी कि नलिनी रंजन उर्फ ललन सिंह और अनंत सिंह में छत्तीस का आंकड़ा है। यही वजह है कि अनंत सिंह ने मीडिया के सामने सोनू-मोनू द्वारा हमला करने की बात कही, तो ललन सिंह ने सोशल मीडिया पर चुटकी लेते हुए इसे स्टंट करार दे दिया।
अपने फेसबुक पेज अनंत सिंह की तस्वीर साझा करते हुए ललन सिंह ने लिखा, “विगत दिनों महामानव के अवतार में उत्पन्न लिए एक योद्धा सांसद महोदय जी को बिश्नोई गिरोह की ओर से लगातार जान से मारने की धमकी भरे संदेश प्राप्त होते थे। लेकिन पुलिसिया अनुसंधान से पता चला कि वीआईपी सुरक्षा प्राप्त करने के लिए वज़नदार सांसद महोदय अपने भाड़े के टट्टू का इस्तेमाल कर देश को गुमराह कर रहे थे।”
“उसी राह पर चलते हुए पूर्व विधायक जिस दरवाजे पर पेरोल से लेकर जेल से बाहर आने तक हर दिन भोजन ग्रहण कर रहा था वहां उसके ऊपर लगातार सैंकड़ो गोलियां बरसायी गई लेकिन संयोग कहिए या प्रयोग कि मोकामा की गलियों से निकली सभी गोलियां आसमान को फाड़ते हुए पूरे बिहार में सनसनी पैदा कर गई लेकिन कोई हताहत तक का बोध नहीं हुआ। भाड़ी सुरक्षा तंत्र पाने की चाहत में इस छुटभइये बड़बोले नेताओं ने अपना स्तर इतना नीचे तक गिरा दिया हे। ऐसे चाल चरित्र वाले नेताओं की लोकतंत्र में जितनी भी भर्त्सना की जाए, वो कम है,” उन्होंने लिखा।
वहीं, पूरी घटना में पूर्व गैंगस्टर विवेकानंद सिंह उर्फ विवेका पहलवान का नाम भी उभर कर आने लगा है। एक अन्य सूत्र ने बताया कि सोनू व मोनू की ग्रूमिंग विवेका पहलवान की छत्रछाया में हुई है। “हाल के समय में जब अनंत सिंह का इकबाल ढलने लगा, तो सोनू-मोनू ने उनकी खाली जगह भरने की कोशिश शुरू की। इसी कोशिश के तहत दोनों भाई जनता-दरबार भी लगाने लगे थे, जिसमें वे लोगों की समस्याएं सुनते और उनका समाधान करते थे,” सूत्र ने कहा।
इस घटना के बाद सोनू व मोनू ऐसे लोगों के तौर पर चर्चा में आ गये हैं, जिन्होंने सत्ताधारी पार्टी से जुड़े अनंत सिंह को चुनौती दी है। उक्त सूत्र ने कहा, “दोनों को पहले से अंदाजा रहा होगा कि अगर दोनों की चर्चा इस रूप में होगी तो उनका कद बढ़ेगा, ये भी एक वजह रही इस गैंगवार की।”
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