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बिहार के कॉलेजों में लागू होने वाला CBCS आधारित चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम क्या है?

च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम यानी सीबीसीएस छात्रों को निर्धारित पाठ्यक्रमों, जिनमें मेजर, माइनर, स्किल एनहैंसमेंमेंट, एबिलिटी एनहैंसमेंट व अन्य शामिल हैं, में से विषयों को चुनने का विकल्प प्रदान करता है।

Nawazish Purnea Reported By Nawazish Alam |
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बिहार की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए राज्यपाल द्वारा एक बड़ा फैसला लिया गया। फैसले के मुताबिक, पटना विश्वविद्यालय समेत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कॉलेजों में सत्र 2023-27 से चार वर्षीय सीबीसीएस आधारित पाठ्यक्रम लागू होगा। पहले यह पाठ्यक्रम तीन वर्षों पर आधारित था। इस सत्र से सेमेस्टर प्रणाली को भी लागू किया जा रहा है। इस संबंध में राजभवन ने सभी विश्वविद्यालयों को अधिसूचना भेज दी है।

राजभवन ने जो अकादमिक कैलेंडर जारी किया है उसके मुताबिक, राज्य के सभी कॉलेजों में 20 मई से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, और 4 जुलाई से नया सत्र प्रारंभ हो जाएगा। 11-16 सितंबर के बीच मिड सेमेस्टर परीक्षा होगी, और नवंबर में पहली सेमेस्टर की परीक्षा संपन्न हो जाएगी। अगले साल के जनवरी तक पहले सेमेस्टर की परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया जाएगा और 10 जनवरी से दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू होगी।

इस सत्र से सभी विश्वविद्यालयों में इंटरमीडियट के प्राप्तांक के आधार पर दाखिला मिलेगा। अगले सत्र यानी 2024-28 के लिए सभी विश्वविद्यालयों का कॉमन एडमिशन एंट्रेंस टेस्ट होगा। यदि किसी कारणवश यह टेस्ट नहीं हो पाता है, तो इंटरमीडियट के प्राप्तांक के आधार पर ही दाखिला लिया जाएगा।


क्या है नए पाठ्यक्रम की संरचना?

राजभवन की ओर से ‘पसंद आधारित क्रेडिट सिस्टम’ या चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) पाठ्यक्रम की जो संरचना जारी की गई है, उनमें मेजर कोर्स व माइनर कोर्स के अतिरिक्त मल्टीडिसीप्लीनरी कोर्स, स्किल एनहैंसमेंट, एबिलिटी एनहैंसमेंट, वैल्यू ऐडेड, इंटर्नशिप तथा रिसर्च प्रोजेक्ट कोर्स शामिल हैं। प्रत्येक अकादमिक वर्ष में दो सेमेस्टर होंगे। विषम सेमेस्टर(1,3,5,7) जुलाई से दिसंबर और सम सेमेस्टर (2,4,6,8) जनवरी से जून तक चलेगा।

च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS)

च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम यानी सीबीसीएस छात्रों को निर्धारित पाठ्यक्रमों, जिनमें मेजर, माइनर, स्किल एनहैंसमेंमेंट, एबिलिटी एनहैंसमेंट व अन्य शामिल हैं, में से विषयों को चुनने का विकल्प प्रदान करता है।

ज्ञात हो कि केन्द्रीय विश्वविद्यालय तथा देश के कई शिक्षण संस्थान काफी समय पहले से ही च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम शुरू कर चुके हैं। शिक्षाविदों की मानें तो सीबीसीएस आधारित सेमेस्टर प्रणाली ‘टीचिंग-लर्निंग’ प्रक्रिया को तेज करती है।

क्रेडिट आधारित सेमेस्टर प्रणाली कोर्स सामग्री और शिक्षण समय के आधार पर पाठ्यक्रम को डिजाइन करने और क्रेडिट प्रदान करने में लचीलापन प्रदान करता है। पसंद आधारित क्रेडिट प्रणाली एक ‘कैफेटेरिया’ के तरह है, जिसमें छात्र अपनी पसंद के पाठ्यक्रम ले सकते हैं और अपनी क्षमतानुसार सीख सकते हैं। छात्र अपने संकाय के विषय के अतिरिक्त दूसरे पाठ्यक्रमों में से भी अपनी दिलचस्पी के अनुसार विषयों का चयन कर सकते हैं।

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जो पाठ्यक्रम अभी लागू हो रहा है, उसके अंतर्गत प्रत्येक सेमेस्टर में 20 क्रेडिट का प्रावधान है। चूंकि यह पाठ्यक्रम चार वर्षीय है, इसलिए कुल आठों सेमेस्टर से 160 क्रेडिट होंगे। क्रेडिट एक इकाई है, जिसके द्वारा पाठ्यक्रम कार्य को मापा जाता है। यह प्रति सप्ताह पाठ्यक्रम कार्यों के घंटों की संख्या निर्धारित करता है। एक क्रेडिट प्रति सप्ताह एक घंटे की पढ़ाई (लेक्चर अथवा ट्यूटोरियल) या दो घंटे के प्रैक्टिकल कार्य/फील्ड वर्क के बराबर है।

पसंद आधारित क्रेडिट प्रणाली में परीक्षा के परिणाम का प्राप्तांक प्रतिशत में न होकर क्युमुलेटिव ग्रेड प्वाइंट औसत (सीजीपीए) में होता है। कोर्स के अंत में यह औसत निकाला जाता है। यह सभी सेमेस्टर में एक छात्र द्वारा प्राप्त ग्रेड को मापने का पैमाना है। सीजीपीए सभी सेमेस्टर के विभिन्न पाठ्यक्रमों में एक छात्र द्वारा प्राप्त कुल क्रेडिट अंकों तथा सभी सेमेस्टर में सभी पाठ्यक्रमों के कुल क्रेडिट के योग का अनुपात है। कोर्स के अंत में छात्रों को उत्त़ीर्ण होने के लिए कम से कम 4.5 सीजीपीए लाना होगा। सीजीपीए को प्रतिशत में बदलने के लिए छात्रों द्वारा प्राप्त ग्रेड प्वाइंट को 10 से गुणा करना होता है।

प्रत्येक सेमेस्टर के परीक्षा का परिणाम सेमेस्टर ग्रेड प्वाइंट औसत (एसजीपीए) में निकाला जाता है। यह एक सेमेस्टर में छात्र द्वारा किए गए कार्य के परफॉरमेंस का एक पैमाना है। एसजीपीए एक सेमेस्टर में पंजीकृत विभिन्न पाठ्यक्रमों में एक छात्र द्वारा प्राप्त कुल क्रेडिट अंकों और उस सेमेस्टर के दौरान लिए गए कुल पाठ्यक्रम क्रेडिट का अनुपात है।

इंट्री व एग्ज़िट सिस्टम लागू

सीबीसीएस आधारित इस चार वर्षीय पाठ्यक्रम में इंट्री व एग्ज़िट का प्रावधान है। प्रत्येक दो सेमेस्टर पूरा करने के बाद छात्रों को कोर्स छोड़ने की अनुमति होगी और छात्रों को वहीं से दोबारा कोर्स शुरू करने की इजाजत भी दी जाएगी। प्रत्येक पेपर की परीक्षा 100 अंकों की होगी और इसमें 30 अंक इंटर्नल परीक्षा के लिए हैं। मिड टर्म परीक्षा 30 अंकों की होगी, जिसमें लिखित परीक्षा के लिए 15 अंक और सेमिनार, क्विज़ तथा असाइनमेंट के लिए 10 अंक व 5 अंक उपस्थिति के लिए दिये जाएंगे।

नई प्रणाली के अंतर्गत दो सेमेस्टर पूरा करने पर छात्रों को अंडर ग्रेजुएट प्रमाण-पत्र, और चार सेमेस्टर पूरा करने वाले छात्रों को अंडर ग्रेजुएट डिप्लोमा प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। छह सेमेस्टर पूरा करने वाले छात्र को बैचलर (ऑनर्स) की डिग्री तथा आठ सेमेस्टर पूरे करने पर ऑनर्स के साथ रिसर्च की डिग्री भी प्रदान की जाएगी।

नए कोर्स की क्या होगी फीस ?

अब राज्य के सभी कॉलेजों में एक समान फीस ली जाएगी। पहले सेमेस्टर में फीस के तौर पर 2255 रुपये तथा इसके बाद प्रति सेमेस्टर 2005 रुपये शुल्क रखा गया है।

इसके अतिरिक्त वैसे विषय जिसमें प्रैक्टिकल होता है, उसके लिए प्रत्येक सेमेस्टर 600 रुपये, रजिस्ट्रेशन शुल्क 600 रुपये(एक बार) और परीक्षा शुल्क 600 रुपये प्रति सेमेस्टर रखा गया है।

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नवाजिश आलम को बिहार की राजनीति, शिक्षा जगत और इतिहास से संबधित खबरों में गहरी रूचि है। वह बिहार के रहने वाले हैं। उन्होंने नई दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मास कम्यूनिकेशन तथा रिसर्च सेंटर से मास्टर्स इन कंवर्ज़ेन्ट जर्नलिज़्म और जामिया मिल्लिया से ही बैचलर इन मास मीडिया की पढ़ाई की है।

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