देश के 12 राज्यों में इन दिनों लंपी वायरस नामक बीमारी पशुओं को निगल रही है। खासकर, राजस्थान में इसका कहर टूट रहा है। राज्य में अब तक लगभग 57 हजार मवेशियों की इस बीमारी से जान जा चुकी है।
उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्यों के बाद, बिहार में भी पशुओं के बीच लम्पी वायरस तेजी से फैल रहा है। हालांकि इसकी तादाद बिहार में अभी कम है, लेकिन खतरा बरकरार है।
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कहां से आया लंपी वायरस
उल्लेखनीय है कि इससे पहले वर्ष 2012 में पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी लंपी वायरस का प्रकोप देखने को मिला था। इसके बाद साल 2019 में भी लंपी वायरस का कहर भारत में देखने को मिला था।
भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा दी गई एक रिपोर्ट में 14 सितंबर, 2021 को भी उत्तराखंड के काशीपुर ब्लॉक की चार गायों को LSD वायरस से पॉजिटिव पाया गया। अब इस साल लंपी वायरस का प्रकोप फिर से गुजरात से फैला और बढ़ते बढ़ते 12 राज्यों तक पहुंच चुका है, जिनमें बिहार भी शामिल है।
क्या है लंपी वायरस?
आखिर क्या है लंपी वायरस, जिसने देश के दर्जनभर राज्यों में तबाही मचा रखी है? इसके लक्षण क्या हैं, और इससे किस तरह बचा जा सकता है।
लंपी स्किन डिजीज को ‘ढेलेदार या गांठदार त्वचा रोग वायरस’ के रूप में भी जाना जाता है। इसे संक्षेप में LSDV कहते हैं। यह एक संक्रामक रोग है, जो एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलता है। सीधे शब्दों में कहें तो एक संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से दूसरा जानवर भी बीमार हो सकता है। यह रोग Capri Poxvirus नामक वायरस के कारण होता है। यह वायरस बकरी, लोमड़ी और भेड़ चेचक वायरस यानी goat pox और sheep pox वायरस के परिवार से संबंधित है।
जानकारों के मुताबिक मवेशियों में यह बीमारी मच्छर के काटने, खून चूसने वाले कीड़ों, जानवरों से जानवरों के संपर्क में आने और जानवरों की लार आदि से फैलता है। इस रोग में पशुओं की मृत्यु दर कम होती है, लेकिन पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता कम हो जाती है ।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये वायरस अपना बिहेवियर भी चेंज कर सकता है और ऐसी संभावना है कि आगे चलकर ये वायरस इंसानों में भी फैल जाए। इसलिए इंसानों को भी इससे सतर्क रहने की जरूरत है।
लंपी वायरस के लक्षण
अगर बात करें लंपी वायरस के लक्षणों की तो देखा जा सकता है कि इससे आम तौर पर पशुओं की खाल पर गांठें पढ़ जाती हैं, फिर उनमें पस पड़ जाता है। घाव आखिर में खुजली वाली पपड़ी बन जाते हैं, जिस पर वायरस महीनों तक बना रहता है।
इसके अलावा, पशुओं की भोजन खुराक कम होना, तेजी से वजन कम होना, दूध देने की क्षमता में कमी होना, उनकी लसीका ग्रंथियों में सूजन आना, बुखार आना, अत्यधिक लार आना और आंख आना, इस सब को भी लंपी वायरस के लक्षणों के रूप में देखा जा सकता है।
लंपी वायरस से सावधानियां
इस समय देश में सभी पशुपालकों को लंपी वायरस से सतर्क रहने की सख्त आवश्यकता है। पशुपालकों को ध्यान रखना चाहिए कि वह दूध निकालने के बाद हैंड सैनिटाइजर का इतेमाल करना ना भूलें।
दूध निकालने से पहले भी अपने हाथ साफ करें, हाथों में ग्लव्स पहनकर दूध निकालें और दूध निकालते समय मास्क पहनें।
इलाज
साथ ही आपको बता दें कि इस बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है। लेकिन पूर्वी अफ्रीका के देश केन्या में शीप पॉक्स और गोट पॉक्स के लिए बनाए पीके को ही इस वायरस के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के उपाय के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल भारत में भी इस वायरस के लिए पशुओं को goat pox वैक्सीन की ही डोज दी जा रही है।
केंद्र सरकार के उपाय
फिलहाल इस वायरस से बचने के लिए राज्य सरकारों समेत केंद्र सरकार भी अलर्ट हो चुकी है। केंद्र सरकार का कहना है कि लंपी वायरस को लेकर सभी 12 राज्यों की मांग के अनुसार गोट पॉक्स वैक्सीन उपलब्ध करा दी गई है।
पहले राज्य सरकारें खुद इसे खरीद रही थीं लेकिन अब केंद्र सरकार की ओर से वैक्सीन खरीदी जा रही है। इसमें केंद्र 60 फीसदी और राज्य सरकारें 40 फीसदी खर्चा उठा रही हैं।
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