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पुष्पम प्रिया का खोंयछा अभियान, क्या है इसका मकसद और उद्देश्य

बिहार विधानसभा चुनाव में मिस्ट्री गर्ल नाम से मशहूर हो चुकीं पुष्पम प्रिया चौधरी चुनाव की तैयारियों में जोर शोर से जुटी हुई हैं। चुनाव अभियान को लेकर उनके सोशल मीडिया के पोस्ट लगातार वायरल हो रहे हैं। इन दिनों उनके फेसबुक से लेकर ट्वीटर तक के पोस्ट में एक अलग चीज़ देखने को मिल रहा है।

Reported By Sahul Pandey |
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[vc_row][vc_column][vc_column_text]बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Vidhab Sabha Chunav) में मिस्ट्री गर्ल नाम से मशहूर हो चुकीं पुष्पम प्रिया चौधरी (Pushpam Priya Choudhary) चुनाव की तैयारियों में जोर शोर से जुटी हुई हैं। चुनाव अभियान को लेकर उनके सोशल मीडिया के पोस्ट लगातार वायरल हो रहे हैं। इन दिनों उनके फेसबुक से लेकर ट्वीटर तक के पोस्ट में एक अलग चीज़ देखने को मिल रहा है। पुष्पम इन दिनों अपने सोशल मीडिया के पोस्ट में अपने महिला उम्मीदवारों की तस्वीरें खोंयछा लेते हुए डाल रही हैं। तस्वीरों में गांव की महिलाएं प्लूरल्स के उम्मीदवारों को खोंयछा भरती हुई दिखाई दे रही हैं। पुष्पम प्रिया के इस खोंयछाअभियान की तस्वीरें देखकर कई लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं और वो इस बारे में जानना चाहते हैं। तो चलिए हम आपको इस अनोखे अभियान के बारे में बताते हैं।

 

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क्या है पुष्पम का खोंयछा अभियान

बिहार चुनावों में इस बार उम्मीदवारी ठोकने वाली पुष्पम प्रिया चौधरी लगातार चर्चा में हैं। चर्चा में उनके रहने का सबसे बड़ा कारण है उनका वो प्रचार प्रसार का स्टाइल। इन दिनों उन्होंने अपने उम्मीदवारों के जरिए खोंयछा अभियान चलाया हुआ है। जिसमें उनके उम्मीदवारों का गांव की महिलाएं खोंयछा भरते हुए दिख रही हैं। इस खोंयछा अभियान का अपना एक मकसद और उदेश्य है। यह अभियान फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर #ChooseProgress #बिहारकाखोंयछा से ट्रेड भी कर रहा है। वहीं पुष्पम ने इसे लेकर एक वीडियो भी जारी किया है। जिसमें उन्होंने इस पूरे अभियान के बारे में बताया है।


इसमें बताया गया है की खोंयछा में तीन चीजें ली जा रही हैं। पहला एक कपड़ा जो बिहार में अद्यौगिक क्रांति को दर्शाता है, दूसरी चीज है एक मुट्ठी चावल जो बिहार में ​कृषि क्रांति के उद्देश्य से लिया जा रहा है और तीसरी चीज है एक रुपये का सिक्का जो बिहार में इकोनॉमी बूस्ट को दिखाता है। यह वो चीजें हैं जो पीपीसी की लेटस ओपेन बिहार मुहिम के मुख्य उद्देश्य हैं।

इस अभियान को लेकर पुष्पम ने अपने फेसबुक पर लिखा है — “बिहार का खोंयछा” अभियान की शुरुआत हो चुकी है। हर ज़िले, हर ब्लॉक, हर पंचायत, हर गाँव-शहर प्लुरल्स के कार्यकर्ता हर जाति-धर्म वाले परिवार और टोले-मुहल्ले के घर-घर जा रहे और एक कपड़े के टुकड़े में एक मुट्ठी चावल और एक सिक्के का बिहार का खोंयछा प्राप्त कर रहे ताकि बिहार के भविष्य के लिए यह खोंयछा कृषि क्रांति (चावल), औद्योगिक क्रांति (कपड़ा) और करोड़ों रोज़गार (सिक्का) को जन्म दे सके। कुल 108 लाख खोंयछा मुझे लाकर दें ताकि बिहार का क़र्ज़ मेरे रोम-रोम में बस जाए और मैं उसकी लाज और उसका सम्मान नए बिहार में रख सकूँ, आप सभी को दुनियाँ में श्रेष्ठ बना कर, खुश देखकर, आपका आशीर्वाद पाकर। #ChooseProgress #बिहारकाखोंयछा

 

क्या होता है खोंयछा?

आप अगर खोंयछा के बारे में नहीं जानते तो आपको बता दें कि यह एक तरह का रस्म होता है। बिहार में इस रस्म की अदायगी महिलाओं से जुड़ी है। हिन्दू धर्म में जब कोई महिला अपने किसी रिश्तेदार के यहां से विदा होती हैं तब उस महिला को शुभ शगुन के तौर पर उसके साङी के आंचल में चावल, दूब, कच्ची हल्दी का छोटा टुकड़ा और कुछ मुद्रा भेंट की जाती है। इसे ही खोंयछा कहते हैं। बता दें कि भोजपुरी, मैथिली या बिहार की अन्य भाषाओं में खोंयछा का मतलब साड़ी का पल्लू या आंचल होता है।

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