पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। कभी मुकुल रॉय जैसा बड़ा नेता पार्टी छोड़ के वापस टीएमसी में चला जाता है, तो कभी कहीं कोई नेता ऐसी मांग उठा देता है कि बीजेपी स्टेट प्रेजीडेंट दिलीप घोष को खुद आकर कहना पड़ता कि ये पार्टी की राय नहीं है। हाल ही में पहले तो बीजेपी सासंद जॉन बारला ने मांग रखी कि नार्थ बंगाल को अलग करके केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देना चाहिए, फिर सांसद सौमित्र खान ने अलग राज्य बनाने की मांग दोहरा दी है। टीएमसी ने ऐसे में बीजेपी को घेरने का मौका लपक लिया और इस मामले पर बोला गया कि अगर बीजेपी इन नेताओं के बयानों को सपोर्ट नहीं करती तो इन्हें पार्टी से क्यों नहीं निकाल देती है।
क्या चाहते है जॉन बारला और सौमित्र खान
बिष्णुपुर से बीजेपी सासंद सुमित्रा खान का कहना है कि लोगों के लिए रोजी-रोटी, नौकरी और विकास के खातिर बीरभूम, बर्धमान, पुरूलिया, बांकुड़ा, पूर्व और पश्चिम मेदनीपुर और हुगली के कुछ हिस्से का अलग करके ‘जंगल महल’ राज्य बना देना चाहिए। जबकि अलीपुरव्दार से बीजेपी सासंद जॉन बारला ने 13 जून को मांग रखी थी कि नार्थ बंगला को बंगाल से अलग करके एक केंद्र शासित प्रदेश बना देना चाहिए। उनका कहना है कि इधर अलग कामतापुर, ग्रेटर कूचबिहर और गोरखालैंड बनाने का आंदोलन काफी समय से है। जॉन बरला ने तो यहां तक कह दिया कि वो प्रधांनमंत्री नरेद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इस बारे में मीटिंग करेंगे साथ ही संसद में भी मांग उठाएंगे। जिसके बाद बीजेपी के बंगाल प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को कहना पड़ा है कि ‘मैं ये साफ कर दूं कि बंगाल को बांटने का बीजेपी का कोई एजेंडा नहीं है’।
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दो नेताओं की मांग बहुत भारी पड़ रही है बीजेपी को
दो बड़े नेता जॉन बरला और सौमित्र खान की मांग की वजह से बीजेपी ने विपक्ष को बैठे-बिठाए घेरने का अच्छा अवसर दे दिया है। CPI(M) नेता सुजन चक्रवर्ती ने इस मांग पर कहां कि ‘जो लोग बंगाल की संस्कृति, इतिहास से वाकिफ नहीं हैं, जो बंगाल के दुश्मन है, वही लोग ऐसी मांग उठा रहे हैं’।
ममता बनर्जी का कहना है कि इन लोगों को चुनाव में इतनी बड़ी हार के बाद शर्म करनी चाहिए, लेकिन इसकी जगह ये सब बंगाल को बंटाने की कोशिश कर रहे है। ‘मैं बंगाल के विभाजन को कभी अनुमति नहीं दूंगी’।
बीजेपी को लेकर मुखर रहने वाली महुआ मोईत्रा ने कहा कि दो बीजेपी नेताओं ने सबके सामने नार्थ बंगाल को बांटने बात कही है। इसके लिए उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी और गृह मंत्री को इसको साफ करना चाहिए कि क्या बंगाल को कई राज्यों में बांटने का उनका इरादा है।
कैसे पूरी हो सकती है जॉन बरला और सौमित्र खान की मांग
जॉन बरला ने जो मांग उठाई है वो कैसे पूरा हो सकती है, उसके लिए सबसे अच्छा उदाहरण हमें जम्मू और कश्मीर, और लद्दाख को देखना चाहिए। जब 2019 में इन दोनों जगहों को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की बात आई थी तो बीजेपी सरकार को बिल लाकर इसे संसद के दोनों सदनों में पास करवाना पड़ा था।
सौमित्र खान ने जो अलग राज्य मांग की उठाई है उसके लिए हमें 2014 में भारत का नए बने राज्य तेलगांना का उदाहरण देखना चाहिए। तेलगांना को बनाने के लिए भी संसद के दोनों सदनों में एक बिल लाकर सरकार को पास करवाना पड़ा था।
दोनों ही सूरतों में बंगला के लिए विभाजन इतना आसान नहीं होने वाला है। क्योंकि बीजेपी अगर दोनों नेताओं की मांग को खुद ही सपोर्ट नहीं करती है तो इन दोनों नेताओँ के मांग उठाने से कुछ होने वाला नहीं है।
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