बिहार में कोरोना से हालात खराब हैं, हर दिन हजारों कोरोना मरीज मिल रहे हैं। लेकिन लोगों की किसे परवाह है, सरकार से लेकर विपक्ष, हर कोई चुनाव की तैयारी में जुटा हुआ है। सरकार तो चुनाव कराने पर आमादा है ही लेकिन विपक्ष भी अब कोरोना को भूलकर चुनावी दंगल में उतरने के लिए लंगोट कस रहा है। लेकिन लंगोट कसने के चक्कर में विपक्ष के कुछ नेता ये भूल गए हैं कि बिहार कोरोना से लड़ाई में लगातार पिछड़ते जा रहा है। इनसे मिलिए …ये हैं उपेंद्र कुशवाहा, देश के पूर्व शिक्षा मंत्री रह चुके हैं लेकिन कोरोना और प्रदेश में लागू lockdown के नियमों का इन्हें ज्ञान तक नहीं है। तभी तो 40 गाड़ियों के काफिले के साथ घूम रहे हैं।
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पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने रोहतास जिले के करगहर पहुंचे आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल डिस्टेंसिंग की जमकर खुलेआम धज्जियां उड़ाई हैं। इस दौरान उनके सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भी न सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग उल्लंघन किया बल्कि सूबे में लागू lockdown का भी ख्याल नहीं रखा। ज़रा सोचिए कि जब देश का पूर्व केंद्रीय मंत्री और एक पार्टी का मुखिया ही अपने कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह लॉकडाउन की धज्जियां उड़ाएगा तो आम जनता से क्या उम्मीद की जा सकती है।
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और लॉकडाउन में भीड़ जुटाने पर सख्त मनाही है लेकिन नेता जी तो कानून से ऊपर हैं। पहले तो lockdown के बीच में सैकड़ों कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई और फिर सोशल डिस्टेंसिंग की ऐसी-तैसी कर डाली। एहतियात के तौर पर लोगों ने मास्क तो जरूर लगाया था लेकिन सामान्य बैठकों की तरह ही कुर्सियां एक-दूसरे के सटी रहीं और सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर निल बटे सन्नाटा था, हालांकि कुशवाहा जी दे दना दन भाषण देते रहे।
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अपने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव की तैयारी में लगी हुई हैं। उनका प्रयास है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में प्रदेश में जहां कहीं भी महागठबंधन के उम्मीदवार होंगे उन सभी की जीत सुनिश्चित कराना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रकार से लोगों का जनसमर्थन मिल रहा है। यह स्पष्ट है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की जीत तय है।
दुनिया भर का ज्ञान देने के बाद जब एक पत्रकार ने कुशवाहा जी से lockdown के बीच में सोशल डिस्टेंसिंग तोड़कर कार्यकर्ता सम्मेलन करने को लेकर सवाल पूछा तो कुशवाहा जी की बेशर्मी मास्क लगे होने के बाद भी झलक ही गई।
अब जरा lockdown के नियमों का उल्लंघन करने पर आम लोगों पर हुई FIR और गिरफ्तारियों की खबरों को याद करिए और हुकूमत से सवाल पूछिए कि क्या नेता जी कानून से ऊपर हैं?
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