किशनगंज: बिहार सरकार घर-घर बिजली पहुंचाने का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। राज्य के ग्रामीण इलाकों में बिजली की गुणवत्ता बेहद खराब है। बिजली की समस्या का आलम यह है कि न तो किसानों के मोटर पंप काम कर रहे हैं, न ही ई-रिक्शा चार्ज हो रहे हैं, न बल्ब की रोशनी पर्याप्त है, और न ही पंखे इस भभकती गर्मी में ढंग से चल पा रहे हैं।
सितंबर का महीना और बारिश न होने के कारण फसलों की प्यास बढ़ गई है। ऐसे में किसानों के पास बिजली कनेक्शन और मोटर तो हैं, लेकिन बिजली विभाग की लचर आपूर्ति उनके सामने बड़ी चुनौती बनकर खड़ी है। राज्य के किसानों को सब्सिडी पर मोटर और कृषि कनेक्शन तो मिल गए हैं, लेकिन जब बिजली आपूर्ति में पर्याप्त वोल्टेज ही न हो, तो ये सभी सुविधाएं बेमानी हो जाती हैं।
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किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत परलाबाड़ी के किसान तैयब आलम बताते हैं, “मैं खेतों की सिंचाई के लिए बिजली मोटर का उपयोग कर रहा था, लेकिन लो वोल्टेज के कारण मोटर लोड नहीं ले रही है। इसलिए सिंचाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में फसलें सूख रही हैं और हमें भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।” इस समस्या से निराश होकर तैयब आलम अपने घर लौट गए, क्योंकि उनके पास और कोई उपाय नहीं था।
ट्रांसफार्मर की कमी से जूझ रहे हैं तीन गांव
इसी पंचायत के वार्ड संख्या 3 के कोलहा गांव में लो वोल्टेज की समस्या पिछले दो वर्षों से लगातार बनी हुई है। यहां के तीन गांवों को एक मात्र ट्रांसफॉर्मर से बिजली की आपूर्ति की जा रही है। इन गांवों में लगभग 200 से अधिक बिजली उपभोक्ता हैं। फैयाज आलम, कोलहा निवासी, कहते हैं, “पूरे इलाके की बिजली एक ही ट्रांसफार्मर से सप्लाई की जा रही है। चाय, धान जैसी फसलों की सिंचाई के लिए जो मोटरें चलती हैं, वे भी इसी ट्रांसफार्मर से जुड़े हैं। तार भी कई किलोमीटर तक बिछाए गए हैं, जिससे वोल्टेज और भी गिर जाता है। हमें उम्मीद थी कि सरकार कुछ करेगी, लेकिन स्थिति जस की तस है।”
गांव के मोहम्मद कसीमुद्दीन ने घर-गृहस्थी चलाने के लिए लोन पर एक टोटो यानी ई-रिक्शा खरीदा है। लेकिन लो वोल्टेज के कारण उन्हें अपने रिक्शा को चार्ज करने के लिए दो किलोमीटर दूर दूसरे गांव जाना पड़ता है। वे बताते हैं, “रिक्शा को चार्ज करने के लिए समय नहीं मिलता और चार्जिंग पूरी नहीं हो पाती, जिससे कमाई पर असर पड़ रहा है। अब लोन की किश्तें भरने में भी दिक्कतें आ रही हैं। अगर वोल्टेज सही होती, तो मेरी इतनी परेशानी नहीं होती।”
लो वोल्टेज से मरीजों की मुसीबतें बढ़ीं
सांस के मरीज लतीफुर्रहमान का कहना है कि गर्मी बढ़ने से उनकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं। उन्होंने बताया, “सुकून के लिए मैंने बिजली से चलने वाला पंखा लगाया है, लेकिन लो वोल्टेज के कारण पंखा काफी धीरे चलता है। इससे कोई फायदा नहीं होता। मजबूरी में मुझे हाथ पंखा ही इस्तेमाल करना पड़ता है।” इसी तरह, मो. शमशाद, जो एक दुर्घटना के बाद चल-फिर नहीं पाते, दिन-रात एक ही बिस्तर पर पड़े रहने को मजबूर हैं। “इस गर्मी में लो वोल्टेज ने हमारी मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। कमरे में पंखा लगा है, लेकिन वोल्टेज इतना कम है कि पंखा चलने का कोई फायदा नहीं।” शमशाद बताते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि लो वोल्टेज की समस्या का मुख्य कारण बिजली विभाग की लापरवाही है। बिहार सरकार राज्य के किसानों के लिए मुख्यमंत्री कृषि विद्युत संबंध योजना चलाती है, जिसमें किसानों को कनेक्शन और ट्रांसफार्मर की व्यवस्था दी जाती है। लेकिन किशनगंज के किसानों से बात करने पर पता चला कि अधिकांश के पास मीटर तो है, लेकिन खेतों तक ट्रांसफार्मर की व्यवस्था नहीं की गई है। एक किसान ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “बिजली विभाग ट्रांसफार्मर के बदले 30 से 40 हजार रुपये मांगता है। यही कारण है कि विभाग किसानों को जल्दी ट्रांसफार्मर नहीं देता। हमें मजबूरी में कई सौ मीटर लंबे तार के सहारे किसी दूसरे गांव के ट्रांसफार्मर से कनेक्शन लेना पड़ता है, जिससे बिजली आपूर्ति और ज्यादा खराब हो जाती है।”
बिजली विभाग के अधिकारियों ने दिया आश्वासन
इस मामले पर जब बिजली विभाग के SDO से बात की गई, तो उन्होंने कहा, “ऐसी कोई भी बात नहीं है। अगर किसी से पैसे मांगे जा रहे हैं, तो लिखित शिकायत करें, हम कार्रवाई करेंगे।” लो वोल्टेज की समस्या पर उन्होंने कहा, “यह समस्या तब तक हल नहीं हो सकेगी जब तक नया ग्रिड चालू नहीं हो जाता।” वहीं, बहादुरगंज के Assistant Executive Engineer ने कहा, “मामले की लिखित जानकारी देने पर जल्द ही समाधान किया जाएगा।” इसके लिए उनके कार्यालय को मेल कर दिया गया है।
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