इन बच्चों की उम्र मुश्किल से कोई दस साल होगी। इनकी दैनिक ज़िम्मेदारियों में सबसे अहम है रोज़ाना सुबह कनकई नदी पार कर अपने मवेशियों के लिए घास लाना। एक आदर्श समाज में ये बच्चे इस वक़्त बस्ता उठाए स्कूल जाते, लेकिन वे घास ढो रहे हैं। इन्हीं बच्चों में एक उमरेज़ अपने साथी समी और गाँव के अन्य बच्चों के साथ घास का बोझा उठाए जान हथेली पर लिए नदी पार कर रहा है। किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड अंतर्गत मटियारी घाट पर थोड़ी देर रुकने पर अंदाजा हो जाता है कि आसपास के गाँव के बच्चे, बूढ़े, औरतें सभी खेत में काम करने या किसी और कारण से रोज़ाना नदी की दूसरी तरफ जाते हैं।
मटियारी घाट पर नाव तक जाने के लिए एक कच्ची सड़क है। अभी बरसात का मौसम नहीं है तो ग्रामीणों को थोड़ी बहुत राहत है। हाल ही में गाँव वालों ने मिलकर रास्ते में छोटा सा चचरी पुल बना दिया है, जिससे होकर बाइक घाट तक चली जाती है, जहाँ से नाव मिलती है। 60 वर्षीय मटियारी-सुन्दरबाड़ी गाँव निवासी जहीरुद्दीन यहाँ के नाविक हैं। गाँव के अन्य लोगों की तरह उनका खेत भी नदी की दूसरी तरफ है। हमारे कैमरे के लेंस में उन्हें अपने खेत में किसी का मवेशी नज़र आ गया। गाँव के एक बच्चे से उन्होंने गुज़ारिश की कि वह नदी तैर कर जल्दी से खेत तक जाए और मवेशी को भगाए, नहीं तो उनकी फसल तबाह हो जायेगी।
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पथरगट्टी शिशाबाड़ी के रहने वाले राज मिस्त्री मुर्शिद अली मटियारी गाँव काम के सिलसिले में जा रहे हैं। पहले वह लौचा पुल के रास्ते जाते थे, आज जल्दी पहुँचने के लिए पहली बार मटियारी घाट के रास्ते जा रहे हैं। ऐसे उन्हें करीब 10 किलोमीटर कम चलना पड़ा, लेकिन जिस मुश्किल से वह नाव तक पहुंचे हैं, दोबारा शायद ही यह रास्ता लें।
स्थानीय शिक्षक मौलाना दिलनवाज़ अलमी कुढ़ैली से वापस खर्रा गाँव स्थित अपने मदरसा जा रहे हैं। वह बताते हैं, “यहाँ पुल बन जाने से यहाँ के लोगों की खेती बाड़ी के साथ-साथ, जिला मुख्यालय किशनगंज और बहादुरगंज मार्केट जाने में काफी आसानी होती।
जहीरुद्दीन के अनुसार लौचा पुल के साथ-साथ मटियारी में भी पुल के लिए स्थल का निरीक्षण किया गया था, लेकिन वह ख्वाब बन कर ही रह गया।
मटियारी पुल के बारे में पूछने पर स्थानीय बहादुरगंज विधायक अंजार नईमी बताते हैं, “टेढ़ागाछ के लिए लौचा, निशंद्रा और मटियारी पुल महत्वपूर्ण था। काफी ज़द्दोज़हद के बाद लौचा में पुल बन गया है, अभी बहादुरगंज विधानसभा में 65 पुल को स्वीकृति मिली हुई है। इन सब के बन जाने के बाद ही निशंद्रा और मटियारी पुल की मांग करेंगे, अभी ऐसी मांग करना मुनासिब नहीं होगा।
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