Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

एक अदद सड़क को तरस रहा बिहार के किशनगंज का ये गांव

किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत जहांगीरपुर पंचायत के वार्ड संख्या पांच और छह को मिलाकर बने सात टोलों के गाँव महिसमारा हिन्दू बस्ती में सरकार की महत्वाकांक्षी सड़क योजना 17 बरस बाद भी उतरने में नाकाम रही है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
Published On :

ग्रामीण बसावटों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पक्क्की सड़कों का होना सबसे महत्वपूर्ण जरूरतों में से एक है। जब किसी गाँव को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सड़क बनाई जाती है तब वहां की आबादी स्वतः तरह-तरह की सेवाएँ प्राप्त करने में सशक्त हो जाती है।

जैसे गर्भवती महिलाएं या कोई मरीज आसानी से अस्पताल जा सकता है। बच्चे स्कूल जा सकते हैं। किसानों को उनके अनाज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। कुटीर उद्योग से लेकर लघु व्यापार को भी बल मिलता है। और ये सभी संभावनाएं किसी भी गांव में एक अदद सड़क न होने से ठहर और सहम जाती है।

Also Read Story

सुपौल में कोसी नदी पर भेजा-बकौर निर्माणाधीन पुल गिरने से एक की मौत और नौ घायल, जांच का आदेश

पटना-न्यू जलपाईगुरी वंदे भारत ट्रेन का शुभारंभ, पीएम मोदी ने दी बिहार को रेल की कई सौगात

“किशनगंज मरीन ड्राइव बन जाएगा”, किशनगंज नगर परिषद ने शुरू किया रमज़ान नदी बचाओ अभियान

बिहार का खंडहरनुमा स्कूल, कमरे की दिवार गिर चुकी है – ‘देख कर रूह कांप जाती है’

शिलान्यास के एक दशक बाद भी नहीं बना अमौर का रसैली घाट पुल, आने-जाने के लिये नाव ही सहारा

पीएम मोदी ने बिहार को 12,800 करोड़ रुपए से अधिक की योजनाओं का दिया तोहफा

आज़ादी के सात दशक बाद भी नहीं बनी अमौर की रहरिया-केमा सड़क, लोग चुनाव का करेंगे बहिष्कार

किशनगंज सदर अस्पताल में सीटी स्कैन रिपोर्ट के लिए घंटों का इंतज़ार, निर्धारित शुल्क से अधिक पैसे लेने का आरोप

अररिया कोर्ट रेलवे स्टेशन की बदलेगी सूरत, 22 करोड़ रुपये से होगा पुनर्विकास

भारत सरकार ने देश के कोने-कोने की सड़कों का विस्तार करने के लिए वर्ष 2005 में “प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना” नाम की एक योजना का शुभारम्भ किया। इसके लिए नियम बनाया गया कि यदि किसी गाँव की आबादी 500 से अधिक और मुख्य सड़क से कम से कम आधे किलोमीटर की दूरी पर स्थित हो तो उस गाँव को जोड़ने के लिए सड़क नियमतः बनाई जायेगी।


यही नहीं, बिहार सरकार ने भी वर्ष 2013 में “मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना” की शुरुआत की। मोटा-मोटी देखें तो यह मुख्यामंत्री ग्राम सड़क योजना भी PMGSY की तरह ही काम करती है। इसके अलावा भी दो बसावटों को सड़क के माध्यम से जोड़ने के लिए मुख्यमंत्री टोला संपर्क योजना भी चलाई जाती है।

इन तमाम योजनाओं की जानकारी लेने के बाद अपनी आख बंद कर बिहार की सड़कों के जाल को महसूस करने में भले ही सिलिकॉन वैली जैसी अनुभूति होने लगे, लेकिन आँखें खोल कर बिहार के सुदूर गांवों में जायेंगे तो आपका भ्रम जरूर टूटेगा। इसी भ्रम को तोड़ने के लिए आपको लिए चलते हैं किशनगंज जिले के पोठिया प्रखंड अंतर्गत जहांगीरपुर पंचायत के वार्ड संख्या पांच और छह को मिलाकर बने सात टोलों के गाँव महिसमारा हिन्दू बस्ती।

आबादी दो हज़ार से भी ज्यादा और मुख्य सड़क से लगभग 2 किलोमीटर से भी दूर होने के बावजूद सरकार की महत्वाकांक्षी सड़क योजना 17 बरस बाद भी उतरने में नाकाम रही है। पेशे से यहाँ की ज्यादा आबादी विस्थापित मजदूर है जो पंजाब के खेतों से लेकर केरल में गद्दा बनाने की फैक्ट्री तक में पसीना बहाते मिल जायेंगे। बचीखुची अधेड़ आबादी में ज्यादा लोग 300 रुपए की दिहाड़ी पर आसपास के गांवों में मजदूरी करते हैं और कुछ लोग दूसरों की जमीनों पर खेतीबाड़ी।

अपनी समस्याओं से दो चार यहाँ की आबादी सरकार और यहाँ के जनप्रतिनिधियों से पूरी तरह से नाउम्मीद होकर भगवान भरोसे जीने को मजबूर हैं।

दिलमणी देवी इसी गांव की रहने वाली हैं। वह बताती हैं कि सड़क नहीं होने के कारण गॉंव में महिलाओं को कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। सड़क की मज़बूरी के कारण अच्छी रिश्तेदारियां नहीं मिलती और अगर मिल भी जाती है तो हमेशा ताना सुनना होता है।

जूगनू पंडित अपने बचपन के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि यहाँ घुटना भर पानी हुआ करता था, इसीलिए हम ज्यादा पढ़ाई-लिखाई नहीं कर सके, लेकिन अब दुनिया के इतना बदल जाने के बाद भी हमारे बच्चों को यही देखना पड़े तो बहुत दुःख की बात है। वह चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई-लिखाई करें लेकिन सड़क का नहीं होना उनकी उम्मीदों के रास्ते में रोड़ा बना हुआ है।

unpaved road in pothia kishanganj

गांव के किसान सुमरीत को अपने अनाजों का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। गांव की सड़क ख़राब होने के कारण कोई भी गाड़ी वाला उनके गांव नहीं आता, जिस कारण इन्हें अपने अनाजों को कम दर पर बेचना होता है या फिर खुद रिक्शा के माध्यम से निकट के बाज़ार में ले जाना होता है। ऐसा करने से किसानों की लागत बढ़ जाती है और कृषि में उन्हें नुकसान होता है।

सत्यवान पंडित बताते हैं कि मामूली हाटबाजार करने के लिए लोगों के खेतों से होकर जाना पड़ता है।

खगेन्द्र मालाकार पेशे से माली हैं, शादी-विवाह के लिए मुकुट आदि बनाकर बेचते हैं और इसी से अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। सड़क नहीं होने से इनके घर तक लोगों की पहुँच नहीं हो पाती है। उन्हें लगता है कि सड़क बन जाने से इनका काम दौड़ पड़ेगा और परिवार पटरी पर आ जायेगा।

सड़क के सवाल पर पथ निर्माण विभाग के अभियंता अरविन्द कुमार ने बताया कि सड़क का लोकेशन भेज दिया गया है।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

Related News

अररिया, मधेपुरा व सुपौल समेत बिहार के 33 रेलवे स्टेशनों का होगा कायाकल्प

“हम लोग घर के रहे, न घाट के”, मधेपुरा रेल इंजन कारखाने के लिए जमीन देने वाले किसानों का दर्द

नीतीश कुमार ने 1,555 करोड़ रुपये की लागत वाली विभिन्न योजनाओं का किया उद्घाटन

छह हजार करोड़ रूपये की लागत से होगा 2,165 नये ग्राम पंचायत भवनों का निर्माण

किशनगंज के ठाकुरगंज और टेढ़ागाछ में होगा नये पुल का निर्माण, कैबिनेट ने दी मंजूरी

वर्षों पहले बने महिला छात्रावास और स्कूल भवन लावारिस हालत में

बिहार में पिछले दशक में बने इतने स्टेट हाईवे, ये है सीमांचल-कोसी की स्थिति

One thought on “एक अदद सड़क को तरस रहा बिहार के किशनगंज का ये गांव

Leave a Reply to Laddu Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latest Posts

Ground Report

सुपौल पुल हादसे पर ग्राउंड रिपोर्ट – ‘पलटू राम का पुल भी पलट रहा है’

बीपी मंडल के गांव के दलितों तक कब पहुंचेगा सामाजिक न्याय?

सुपौल: घूरन गांव में अचानक क्यों तेज हो गई है तबाही की आग?

क़र्ज़, जुआ या गरीबी: कटिहार में एक पिता ने अपने तीनों बच्चों को क्यों जला कर मार डाला

त्रिपुरा से सिलीगुड़ी आये शेर ‘अकबर’ और शेरनी ‘सीता’ की ‘जोड़ी’ पर विवाद, हाईकोर्ट पहुंचा विश्व हिंदू परिषद