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कैथी, भोजपुरी और महात्मा गांधी के चंपारण सत्याग्रह के अनसुने किस्से

गांधी को चंपारण लाने वाले राजकुमार शुक्ल की कहानी से जानिए कि कैथी लिपि का महात्मा गांधी से क्या संबंध है।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :
unheard stories of kaithi, bhojpuri and mahatma gandhi's champaran satyagraha

गांधी को चंपारण लाने वाले राजकुमार शुक्ल की कहानी से जानिए कि कैथी लिपि का महात्मा गांधी से क्या संबंध है। इस पॉडकास्ट में, लेखक भैरव लाल दास बताते हैं कि कैथी लिपि में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासत छुपी है। साथ ही, वह यह भी चर्चा करते हैं कि कैथी लिपि भोजपुरी भाषा के पुनरुद्धार में कैसे मदद कर सकती है।


पुस्तक “कैथी का इतिहास” के लेखक भैरव लाल दास बताते हैं कि महात्मा गांधी को बिहार के चंपारण में लानेवाले व्यक्ति राजकुमार शुक्ल पेशे से सामान्य किसान थे। वह अंग्रेजी शासन में नील की खेती पर बने अनुचित कानून और अंग्रेजी सरकार की मनमानी से तंग आकर महात्मा गांधी से मिलने गुजरात पहुंच गए। नील खेती करने वाले जिन्हें नीलहे कहा गया, यूरोपी मूल के थे जिनसे भारतीय किसानों का संघर्ष चलता रहता था।

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एक ऐसी ही घटना में राजकुमार शुक्ल और निलहों के बीच झड़प हुई और फिर उन्हें जेल जाना पड़ा। उन्होंने नीलहों को चंपारण से भगाने का संकल्प लिया और फिर लखनऊ से लेकर अहमदाबाद तक कई बार गांधी जी से मिलकर उन्हें चंपारण आकर सत्याग्रह करने का न्योता दिया। कई बार ना कहने के बावजूद रामकुमार शुक्ल लगे रहे और अंततः महात्मा गांधी चंपारण आने को राज़ी हुए।


पॉडकास्ट में भैरव लाल दास ने कैथी लिपि को बिहार की विरासत बताते हुए कहा कि कैथी, बिहार की कई भाषाओं की लिपि थी जिसे बाद में देवनागरी ने प्रतिस्थापित कर दिया। वह यह भी कहते हैं कि सदियों से भोजपुरी की लिपि कैथी रही है। भोजपुरी में लिखे सारे पुराने लेखन कैथी लिपि में लिखे गये थे जिसमें लोक-गीत, धार्मिक गीत, पत्र लेखन, जमीनी दस्तावेज़ समेत काफी कुछ कैथी लिपि में ही लिखा जाता रहा। “हम कहते हैं भोजपुरी वालों को कि आपको आठवीं सूची में स्थान नहीं मिलेगा जब तक यह नहीं कहियेगा कि कैथी हमारी लिपि है,” भैरव लाल दास बोले। पूरी बातचीत यहां देखें।

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सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

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