कटिहार जिले के आजमनगर प्रखंड अंतर्गत महेशपुर पंचायत में एक पुल पिछले तीन सालों से अधूरे ढाँचे पर खड़ा है।
पंचकोनिया गांव के निकट इस पुल का एप्रोच न होने के कारण ग्रामीणों को 3 किलोमीटर अतिरिक्त घूम कर जाना पड़ता है। पुल के सामने खेतों से होकर जाने वाला यह रास्ता महेशपुर पंचायत को निमौल पंचायत से जोड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि दो पंचायतों की सीमा पर स्थित होने के कारण जनप्रतिनिधि इस अर्द्धनिर्मित पुल पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
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यह अधूरा पुल बरसाती नदी के ऊपर बनाया गया था। लोगों ने बताया कि बरसात के दिनों में इसमें काफी पानी भर जाता है और कई महीनों तक पानी जमा रहता है। स्थानीय निवासी मोहममद जाबिर कहते हैं कि वह रोज़ाना महेशपुर पंचायत जाते हैं, जिसके लिए उन्हें लगभग 3 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है। गांव के बाकी लोगों को भी पुल न होने से आने जाने में दिक्कतें पेश आती हैं।
उन्होंने आगे बताया कि चार साल पहले बने इस पुल की ऊंचाई भी छोटी है, बरसात के दिनों में पुल के ऊपर तक पानी आ जाता है।
पेशे से किसान अनीसुल हक़ ने बताया कि फ़सल ले जाने और खेती के लिए सामान लेने के लिए कहीं आने जाने में बहुत कठिनाई आती है। ख़ास कर बरसात के मौसम में सबसे अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अनीसुल हक़ के अनुसार इस रास्ते से 8 – 10 गांव के लोग आते जाते हैं और अगर पुल का निर्माण हो जाता है, तो आधे दर्जन से अधिक गांव के लोगों की आने जाने की समस्या खत्म हो जाएगी।
स्थानीय निवासी मोहम्मद साजिद मानते हैं कि यह अधूरा पुल भ्रष्ट्राचार का नतीजा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने तो सम्पूर्ण पुल के लिए ही फंड दिया होगा लेकिन प्रतिनिधि की कमी और प्रशासन की अनदेखी के कारण अब तक पुल का निर्माण नहीं हो सका।
इस मामले में जब हम ने पुल निर्माण निगम कटिहार के कार्यपालक इंजीनियर से बात की तो उन्होंने बताया कि यह पुल उनके विभाग ने नहीं बनाया है।
इसके बाद हमने महेशपुर पंचायत के मुखियापति अब्दुल गफ़्फ़ार से बात की, उनके अनुसार यह पुल मनरेगा के तहत महेशपुर पंचायत के पूर्व मुखिया ने बनवाया था और उसी समय से यह अधूरा पड़ा है। उन्होंने जल्द ही मिट्टी भरकर पुल को आवागमन लायक बनाने का भरोसा दिया।
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