एक घर है, छत एक है, आँगन एक है। लेकिन करीब एक दशक पुराने ज़मीन विवाद ने बीच में एक बड़ी दीवार खड़ी कर दी है और एक ही परिवार में फ़ासले ऐसे बढ़ गए कि दो महीने में इस आंगन से दो जनाज़े निकल चुके हैं।
मामला बिहार के किशनगंज जिला अंतर्गत बहादुरगंज थाना क्षेत्र के अलताबाड़ी गाँव का है। इस गांव में एक ही परिवार में ज़मीन विवाद और उसके बाद हुई दो मौतें इन दिनों सीमांचल में चर्चा का विषय है। विगत 9 अगस्त 2022 को शकील अख्तर की लाश उसके घर के पास मिली और 28 सितंबर को उनका साला मिनहाज़ घायल अवस्था में किशनगंज ब्लॉक चौक के निकट पुल के पास मिला। उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।
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दरअसल, मामला अलताबाड़ी गाँव से करीब 500 मीटर दूर स्थित दरनीया हाट की 1 एकड़ 10 डिसमिल ज़मीन से जुड़ा हुआ है। अलताबाड़ी मौजा के खाता नंबर 159, खेसरा नंबर 2551 की इस ज़मीन के विवाद को समझने के लिए सबसे पहले आपको इस परिवार की वंशावली समझनी होगी।
परिवार की वंशावली
1 एकड़ 10 डिसमिल ज़मीन के टुकड़े के तीन हिस्सेदार थे- हमीदुर्रहमान, हफीजुर्रहमान और मजिदुर्रहमान। तीनों के हिस्से समान रूप से 36.6 डिसमिल ज़मीन आई। इसी हिस्सेदारी को लेकर मजिदुर्रहमान के पोतों और हफीजुर्रहमान के पोतों के बीच विवाद चल रहा है। मजिदुर्रहमान के दो बेटे शमशुल मतीन और मंसूर आलम थे। शमशुल मतीन के देहांत के बाद उनके पत्नी नूरजहाँ खातून की शादी मंसूर आलम से हो गई। मृतक शकील अख्तर, शमशुल मतीन का ही बेटा था, वहीं उनका भाई वसीम हैदर, मंसूर आलम का बेटा है। हफीजुर्रहमान के बेटे नुरुल मतीन के पांच बेटे मक़सूद आलम, मोईन अख्तर, इसरार अख्तर, अहरार आलम और शहरयार आलम हैं। इन्हीं पर मृतक शकील और मिनहाज़ के परिवार ने हत्या का आरोप लगाया है।
शकील के परिवार का आरोप
शकील अख्तर किराना चलाता था। उसके चार बच्चे हैं। शकील ने 26 मई, 2022 को किशनगंज अनुमंडल दंडाधिकारी को अपनी हत्या की आशंका को लेकर आवेदन दिया था। आवेदन में लिखा था, “उक्त ज़मीन के विवाद को लेकर मेरी हत्या करने की धमकी दी जा रही है।
शकील की माँ नूरजहाँ खातून कहती हैं, “उसकी मौत के दिन भी उसे धमकी मिली थी। वो लोग शकील की लाश का पोस्टमार्टम करवाना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया।”
शकील की बेटी सना परवीन का आरोप है कि 8 अगस्त को पांचों भाइयों और उनके बेटों ने शकील को डरा धमका कर काग़ज़ात छीन लिए, जिससे वह परेशान थे और घर पर आ कर रो रहे थे। फज़्र की नमाज़ के वक़्त शकील की हत्या कर दी गई।
पंचायती, सरपंच, मुखिया
खुद को अलताबाड़ी पंचायत के सरपंच सुंदरलाल के प्रतिनधि बताने वाले हसनात पंचायती में मौजूद थे। उन्होंने हमें फ़ोन पर बताया, “शकील की मौत के बाद हुई पंचायत में तय हुआ था कि 18 अगस्त को उसके परिवार को सात कट्ठा मार्केट की ज़मीन, दो कट्ठा आँगन की ज़मीन और 50,000 रुपए आरोपी पक्ष देगा। लेकिन, बाद में दोनों पक्षों में बात नहीं बनी और शकील के साले मिनहाज़ ने मामला कोर्ट में ले जाना तय किया।
वहीं, अलताबाड़ी पंचायत के मुखिया सुकारूलाल कहते हैं, “50 हज़ार नहीं, बल्कि 5 लाख की रक़म देना पंचायत में तय हुआ था। पंचायत के बाद मामला रफा दफा हो गया, इसलिए शकील की लाश का पोस्टमार्टम भी नहीं करवाया गया।
शकील के भाई वसीम हैदर ने पोस्टमार्टम नहीं होने देने के लिए सरपंच को ज़िम्मेदार ठहराया है। उनके अनुसार, उन्हें बिना बताए खागज़ात में हस्ताक्षर करवा लिए गए।
मिनहाज़ का परिवार
मिनहाज़ की शादी चार साल पहले ही हुई थी, उसका तीन साल का एक मासूम बेटा है। उसकी पत्नी शादमा आज़मी के अनुसार मिनहाज़, शकील के केस के सिलसिले में किशनगंज शहर गया हुआ था, वहीं से कुछ लोग उसका पीछा कर रहे थे। शादमा बताती हैं, “शकील के हत्या के बाद से ही आरोपी पक्ष लगातार मिनहाज़ को मारने की धमकी दे रहा था।”
कानूनी प्रक्रिया
मिनहाज़ के मामले में किशनगंज सदर थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया है। इसमें विरोधी पक्ष के पाँचों भाइयों और उनके एक भतीजे मुबस्सिर अरफात को आरोपी बनाया गया है। शकील अख्तर का मामला पंचायत के जरिए रफा दफा कर दिया गया था, लेकिन इस मामले में कोई प्राथिमकी दर्ज़ नहीं हुई है।
मामले की जांच के लिए किशनगंज SDPO अनवर जावेद अंसारी की अध्यक्षता में एक SIT का गठन किया गया है। उन्होंने मैं मीडिया को फ़ोन पर बताया कि शकील की मृत्यु के मामले में भी परिवार ने बयान दिया है, उसको लेकर जांच चल रही है। आगे उन्होंने बताया कि मिनहाज़ की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई है। दुर्गा पूजा के बाद शायद मिल जाए।
तमाम आरोपों को लेकर हमने विरोधी पक्ष के शहरयार और मुबस्सिर से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन दोनों का फ़ोन बंद मिला।
(रिपोर्ट: तंज़ील आसिफ, कैमरा: शाह फैसल, रिसर्च: मो. शारिक अनवर & शाह फैसल, आवाज़: अरीबा ख़ान, ग्राफ़िक्स: अमित कुमार)
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