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362 बच्चों के लिए इस मिडिल स्कूल में हैं सिर्फ तीन कमरे, हाय रे विकास!

किशनगंज ज़िले के पोठिया प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय डेहलबाड़ी में वर्ग 1-8 के साढ़े तीन सौ से अधिक बच्चों के लिये मात्र तीन कमरे हैं। एक ही कमरे में दो-दो क्लॉस के बच्चों को बिठाया जाता है। जो बच्चे बच जाते हैं उनको खुले आसमान के नीचे बिठाकर पढ़ाया जाता है।

shah faisal main media correspondent Reported By Shah Faisal |
Published On :
this middle school in bihar has only three rooms for 362 children

बिहार का शिक्षा विभाग सरकारी स्कूलों के बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार का ढिंढोरा पीटता रहता है, लेकिन, हक़ीक़त यह है कि बिहार के किशनगंज में आज भी कई सरकारी स्कूलों में कमरों के अभाव के चलते बच्चे खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। किशनगंज ज़िले के पोठिया प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय डेहलबाड़ी में वर्ग 1-8 के साढ़े तीन सौ से अधिक बच्चों के लिये मात्र तीन कमरे हैं। एक ही कमरे में दो-दो क्लॉस के बच्चों को बिठाया जाता है। जो बच्चे बच जाते हैं उनको खुले आसमान के नीचे बिठाकर पढ़ाया जाता है।


कमरों की कमी के कारण वर्ग 5-6 के बच्चों को एक कमरे में और वर्ग 7-8 के बच्चों को दूसरे कमरे में बिठाया जाता है। जिस कमरे में वर्ग 7-8 की पढ़ाई होती है, उसी में स्कूल का कार्यालय बना हुआ है। बारिश के दिनों में छत भी टपकती है। बच्चों की तादाद अधिक होने पर उन्हें फ़र्श पर बैठना पड़ता है। छात्राओं ने स्कूल में नये कमरे बनाने की मांग करते हुए कहा कि एक ही कमरे में अलग-अलग क्लॉस के बच्चों के बैठने से पढ़ाई करने में परेशानी होती है।

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खुले आसमान के नीचे बच्चे

स्कूल में कमरों की कमी की वजह से वर्ग 1-4 के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ते हैं। बाहर बैठने वाले बच्चों को गर्मी में भी वहीं बैठना पड़ता है। बारिश होने पर सभी बच्चे बरामदे पर चले जाते हैं। स्कूल का अपना रसोईघर भी नहीं है। सीढ़ी के नीचे बच्चों के लिये मिड डे मील पकाया जाता है। वहां भी बारिश होने पर खाना बनाने में दिक़्क़त होती है।


स्थानीय लोगों ने भी स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर सवाल उठाया है। स्थानीय अर्जुन कर्मकार बताते हैं कि आज के समय में भी बच्चों को खुले आसमान के नीचे पढ़ना पड़ रहा है, जो कि दुखद है। वहीं, एक अन्य स्थानीय ग्रामीण मोहिउद्दीन बताते हैं कि गर्मी में भी बच्चों को कमरे के बाहर बिठा कर पढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि इस ओर शिक्षा विभाग के अधिकारियों को ध्यान देना चाहिये।

उत्क्रमित मध्य विद्यालय डेहलबाड़ी के प्रभारी प्रधानाध्यपक मोहम्मद बदीउज़्ज़मां ने बताया कि स्कूल में कमरे की कमी के कारण एक ही क्लॉसरूम में एडजस्ट कर बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि स्कूल में बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर उन्होंने विभागीय अधिकारियों को पहले ही सूचित किया था, लेकिन, अभी तक कुछ हुआ नहीं है। वहीं, स्थानीय विधायक इज़हारुल हुसैन ने बताया कि उन्होंने इस स्कूल को लेकर विभाग को लिखकर दिया है, उम्मीद है कि जल्द ही इस स्कूल में आधारभूत संरचना का निर्माण होगा।

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Shah Faisal is using alternative media to bring attention to problems faced by people in rural Bihar. He is also a part of Change Chitra program run by Video Volunteers and US Embassy. ‘Open Defecation Failure’, a documentary made by Faisal’s team brought forth the harsh truth of Prime Minister Narendra Modi’s dream project – Swacch Bharat Mission.

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