Main Media

Seemanchal News, Kishanganj News, Katihar News, Araria News, Purnea News in Hindi

Support Us

सीमांचल में कबड्डी: जुनून तो है, मगर बुनियादी सुविधाएं नदारद

कबड्डी प्रेम को नया आयाम देने के लिए अररिया की बेलवा पंचायत स्थित मिर्जा भाग बैरियर चौक में शनिवार 15 अक्टूबर को कबड्डी चैंपियनशिप का आयोजन किया गया।

syed jaffer imam Reported By Syed Jaffer Imam |
Published On :

अररिया: कबड्डी प्रेम को नया आयाम देने के लिए अररिया की बेलवा पंचायत स्थित मिर्जा भाग बैरियर चौक में शनिवार 15 अक्टूबर को कबड्डी चैंपियनशिप का आयोजन किया गया। भारत में जन्मे इस खेल की यूं तो देश में बहुत लोकप्रियता है लेकिन सीमांचल में कबड्डी प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन कम ही होता है। प्रतियोगिता के संचालकों में से एक अंजुम अतीक़ ने मैं मीडिया को बताया कि बेलवा पंचायत बैरियर चौक में कबड्डी चैंपियनशिप का चौथा आयोजन है। इस प्रतियोगिता को डॉल्फिन स्पोर्ट्स क्लब नामक एक कमेटी करवाती है।

2020 में शुरू हुए इस कबड्डी टूर्नामेंट में बिहार-झारखंड के कई टीमें हिस्सा लेती रही हैं। डॉल्फिन कबड्डी चैंपियनशिप के चौथे संस्करण में इस बार कुल 25 टीमों ने हिस्सा लिया। भागलपुर, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार, अररिया, सहरसा, पटना जैसे जिलों की टीमों ने दर्शकों को अपने खेल से रोमांचित किया।

Also Read Story

अररिया: सड़क किनारे मिली लापता युवक की लाश

कटिहार: पीएफ़आई नेता के रिश्तेदार के घर पर NIA का छापा

BPSC शिक्षक बहाली के लिए आवेदन 15 जून से

दरभंगा व पूर्णिया एयरपोर्ट पर सिविल एन्क्लेव को मिली मंजूरी

पूर्णिया के कसबा में पुलिस ने शराब से लदी सुधा पिकअप ज़ब्त की

जम्मू-कश्मीर सड़क दुर्घटना पर नीतीश कुमार ने जताया दुख

शिक्षक बहाली परीक्षा में अपीयरिंग अभ्यर्थी भी कर सकेंगे आवेदन

सप्लायर ने लगाया फायर ब्रिगेड अधिकारी पर रिश्वत लेने का आरोप

पूर्णिया के Domino’s Pizza को देर रात अपराधियों ने लूटा, चलाई गोलियां

फाइनल मैच में सहरसा की टीम ने पटना की टीम को धूल चटाते हुए डॉल्फिन कबड्डी चैंपियनशिप 2022 का खिताब अपने नाम किया ।


kabbadi tournament

टूर्नामेंट के दौरान दर्शकों की भारी भीड़ देखने को मिली। मिर्ज़ा भाग के इस छोटे से इलाके में कबड्डी के लिए इतने दर्शकों की भीड़ देखते ही बनती थी।

इस टूर्नामेंट का आयोजन करने वाली डॉल्फिन स्पोर्ट्स क्लब के वाइस प्रेसिडेंट अबू कामरान ने मैं मीडिया को बताया, “इस कबड्डी टूर्नामेंट का आयोजन करने में लोकल निवासियों का बड़ा योगदान है। प्रतियोगिता से हमारा लक्ष्य है कि सीमांचल में खेल और एथलेटिक्स को बढ़ावा मिले। कबड्डी एक ऐसा खेल है जिससे इंसान का शरीर फिट रहता है। अगर बच्चे छोटी उम्र से ही इस खेल को खेलना शुरू कर दें तो उन्हें कई तरह का स्वास्थ्य लाभ होता है। इस टूर्नामेंट से हम चाहते हैं कि बच्चे अपना भविष्य अपने हाथों से तैयार करें। कबड्डी मिट्टी से जुड़ा खेल है। मिट्टी से वफादार रहेंगे तभी तरक्की होगी।”

मिर्जा भाग गांव और उसके आसपास के इलाकों के युवा खिलाड़ी कबड्डी में आगे बढ़ना चाहते हैं। डॉल्फिन स्पोर्ट्स क्लब के सचिव अतीक अंजुम कहते हैं, “शुरुआती दिनों में ऐसा कुछ शुरू करना बहुत चुनौतीपूर्ण था, लेकिन इस जगह के लोगों ने हमारी अपेक्षा से अधिक समर्थन दिया। बच्चों के मां बाप यहाँ बच्चों को खेलने भेजते हैं। वे यह समझते हैं कि हमने जो शुरू किया है उसका फल अगले कुछ सालों में जरूर दिखेगा। हमारे बच्चे पटना, दिल्ली जैसे शहरों में रहकर अपनी फिटनेस और कबड्डी को निखार रहे हैं। मिर्जाभाग के अबू तालिब, वसीम, इरफान, शम्स, सलाहुद्दीन जैसे लड़के कबड्डी में अच्छा कर रहे हैं। ये के दूसरे शहरों में जाकर कबड्डी प्रतियोगिताएं में भाग ले रहे हैं। ये सब बहुत बढ़िया खेलते हैं।”

kabbadi tournament organiser

अतीक अंजुम ने आगे बताया, “15 साल का अर्श अहमद एमएनसी चैंपियन है व कबड्डी और एथलेटिक्स में अच्छा कर रहा है। एक और लड़का वसीम कबड्डी जुनियर नेशनल खेल चुका है अभी वह पटना में रहकर अपने गेम को और बेहतर बनाने में लगा हुआ है। धीरे-धीरे ही सही पर हमें उम्मीद है कि हमारी इस पहल से न सिर्फ हमारे गांव बल्कि पूरे सीमांचल में एथलेटिक्स और कबड्डी में क्रांति आएगी।”

कबड्डी का यह टूर्नामेंट फिल्हाल बिना किसी खास इंफ्रास्ट्रक्चर के बावजूद काफी खिलाड़ी और दर्शक खींचने में कामयाब रहा है। मसूद आलम डॉल्फिन स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष हैं। उनके अनुसार, जल्द ही कबड्डी टूर्नामेंट के लिए एक जमीन ली जाएगी जिसे एक स्टेडियम का रूप दिया जाएगा। “हम सबका ये सपना है कि हमारे गांव और आसपास इलाके के बच्चे यहाँ खेलें और आगे चलकर हमारे राज्य और देश का नाम रोशन करें। हमारा पूरा प्रयास है कि जल्द एक जमीन बच्चों के खेलने के लिए ले ली जाए। हम इस पहल को सिर्फ कबड्डी तक सीमित नहीं करना चाहते हैं। हमने कबड्डी से शुरुआत की है, क्योंकि इस खेल में कम जगह की दरकार होती है। धीरे-धीरे हम स्प्रिंट, रग्बी, कुश्ती जैसे खेल पर भी जोर देंगे।”

अररिया जिले के छोटे से गांव की यह शुरुआत कितनी सफल होती है, यह तो समय बताएगा लेकिन स्थानीय निवासियों में कबड्डी जैसे खेल के लिए जो जोश दिखा, वह असाधारण है। टूर्नामेंट के दौरान मैदान में उम्रदराज दर्शकों के साथ साथ महिलाओं की बड़ी भीड़ दिखी।

kabbadi

बिहार में कबड्डी

बिहार में कबड्डी कोई नया खेल नहीं है। सालों से बिहार में कबड्डी का चलन रहा है। प्रो कबड्डी लीग में भी पटना पाइरेट्स की फ्रेंचाइजी है, जो लगातार तीन बार पी.के.एल का खिताब जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी है।

इसके अलावा 2012 का महिला कबड्डी विश्व कप पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित हुआ था।

भारत में कबड्डी

ऐसी मान्यता है कि 4,000 वर्ष पूर्व से भारत में कबड्डी खेली जा रही है। महाभारत में भी कबड्डी के खेल का ज़िक्र मिलता है। बचपन के दिनो में गौतम बुद्ध कबड्डी खेला करते थे, यह बात सदियों से प्रचलित है।

आधुनिक भारत में 1936 के बर्लिन ओलंपिक में कबड्डी को एक प्रदर्शनी मैच के दौरान दुनिया के सामने रखा गया। हालांकि कबड्डी का वह मैच आधिकारिक तौर पर ओलंपिक में शामिल नहीं था। साल 1951 और 1982 में एशियाई खेलों में कबड्डी को एक प्रदर्शनी खेल की तरह खेला गया। साल 1990 से इस प्राचीन खेल को अधिकारिक तौर पर एशियाई खेलों में शामिल कर लिया गया। तब से लगातार इस खेल को एशियाई खेल में जगह मिली। एशियाई खेलों में भारतीय कबड्डी टीम ने 2002 से 2014 तक लगातार कबड्डी में गोल्ड जीता। 2018 में ईरान भारत के अलावा एशियाई खेल कबड्डी में गोल्ड जीतने वाला पहला देश बना।

पुरुष कबड्डी के तीन विश्व कप (2004, 2007, 2016) भी आयोजित हुए, जिसमें तीनो बार भारत विजेता रहा ।

सीमांचल की ज़मीनी ख़बरें सामने लाने में सहभागी बनें। ‘मैं मीडिया’ की सदस्यता लेने के लिए Support Us बटन पर क्लिक करें।

Support Us

सैयद जाफ़र इमाम किशनगंज से तालुक़ रखते हैं। इन्होंने हिमालयन यूनिवर्सिटी से जन संचार एवं पत्रकारिता में ग्रैजूएशन करने के बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से हिंदी पत्रकारिता (पीजी) की पढ़ाई की। 'मैं मीडिया' के लिए सीमांचल के खेल-कूद और ऐतिहासिक इतिवृत्त पर खबरें लिख रहे हैं। इससे पहले इन्होंने Opoyi, Scribblers India, Swantree Foundation, Public Vichar जैसे संस्थानों में काम किया है। इनकी पुस्तक "A Panic Attack on The Subway" जुलाई 2021 में प्रकाशित हुई थी। यह जाफ़र के तखल्लूस के साथ 'हिंदुस्तानी' भाषा में ग़ज़ल कहते हैं और समय मिलने पर इंटरनेट पर शॉर्ट फिल्में बनाना पसंद करते हैं।

Related News

कटिहार में ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह के 11 सदस्य गिरफ्तार

इंजीनियरिंग में स्नातक भी कर सकेंगे शिक्षक के लिए आवेदन

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस का एकलौता विधायक TMC में शामिल

कांग्रेस में नये जिला अध्यक्ष के विरोध में कार्यकर्ता, बताया ‘अनपढ़’

मनिहारी पंचायत उपचुनाव: फतेहनगर की मुखिया बनीं नाज़नीन यासमीन व केवला की पंचायत समिति बने मुन्ना रजक

अररिया: मिड डे मील में मिला सांप, 20 से अधिक बच्चे अस्पताल में भर्ती

पूर्णिया: मासिक धर्म के प्रति जागरुकता फैलाने को लेकर निकाली गई यात्रा में सैकड़ों लोग हुए शामिल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Latests Posts

दशकों से सड़क के लिए तरस रहा है दार्जिलिंग का ये गाँव

Ground Report

अररिया में एक फैसले से पांच हज़ार आदिवासी-दलित हो जाएंगे बेघर

‘हम चाहते थे बेटा पढ़ाई करे, मज़दूरी नहीं’, नेपाल में मरे मज़दूरों की कहानी

किशनगंज का नेहरू कॉलेज, जहाँ 21 एकड़ के कैंपस में छात्र से ज़्यादा मवेशी नज़र आते हैं

ज़मीन पर विफल हो रही ममता बनर्जी सरकार की ‘निज घर निज भूमि योजना’

महादलित गाँव के लिए 200 मीटर रोड नहीं दे रहे ‘जातिवादी’ ज़मींदार!