राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कहती है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक रिक्तियों को जल्द से जल्द, समयबद्ध तरीके से भरा जाए, विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों और खराब छात्र-शिक्षक अनुपात या उच्च निरक्षरता वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाए। इसके अलावा शिक्षा नीति में इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि प्रत्येक स्कूल में हर 30 विद्यार्थियों पर 1 शिक्षक और सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित छात्रों की बड़ी संख्या वाले क्षेत्रों में हर 25 विद्यार्थियों पर 1 शिक्षक सुनिश्चित किया जाए।
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लेकिन कटिहार जिले के कदवा प्रखंड के कुरुमहाट से सटे प्लस टू आदर्श माध्यमिक विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी है। इस मध्य विद्यालय को अपग्रेड करते हुए प्लस टू हाई स्कूल बनाया गया है। इसके कैंपस में दो और स्कूलों को शिफ्ट किया गया है।
प्राथमिक विद्यालय सबनपुर टोला की अपनी जमीन नहीं होने के कारण, जबकि प्राथमिक विद्यालय सिहरोल टोला कमालपुर को बाढ़ के कारण यहां शिफ्ट किया गया था।
तीनों विद्यालों को मिलाकर लगभग 1200 से ज्यादा बच्चे यहां पढ़ते हैं लेकिन बच्चों की संख्या के हिसाब से शिक्षकों की संख्या काफी कम है। 2018 में उत्क्रमित और 2022 में प्लस टू बनाने के बावजूद कक्षा 9 से लेकर कक्षा बारहवीं तक के लिए यहां एक भी शिक्षक पदस्थापित नहीं हुआ।
स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक मोहम्मद इंतखाब-उर-रहमान ने बताया कि स्कूल में बच्चे बहुत हैं लेकिन शिक्षकों की भारी कमी है। साथ ही कंप्यूटर ऑपरेटर भी नहीं है। तीनों स्कूलों को मिलाकर लगभग 1200 बच्चों के साथ इतना बड़ा सिस्टम चलाना संभव नहीं हो पाता है लेकिन क्या करें।
उन्होंने आगे कहा कि नौवीं और दसवीं के बच्चों को स्मार्ट क्लास में बिठा देते हैं लेकिन उनके लिए शिक्षक की भारी कमी है। उनके अनुसार केवल आदर्श माध्यमिक विद्यालय में 22-23 शिक्षकों की आवश्यकता है लेकिन यहां सिर्फ 6 शिक्षकों की बहाली हुई है।
स्कूल में संस्कृत के शिक्षक न होने से बच्चे चिंतित हैं और उन्हें यह डर भी है कि अगर शिक्षक की कमी यूँ ही बरकार रही तो दसवीं के बोर्ड में उन्हें संस्कृत छोड़, किसी और विषय को चुनना पड़ेगा।
रौशनी कुमारी कक्षा सात में पढ़ती है। रौशनी बताती है कि स्कूल में किसी तरह बाकी विषयों की पढ़ाई हो जाती है लेकिन संस्कृत की पढ़ाई नहीं हो पाती है। उसने कहा कि घर पर जितना हो पाता है उतना पढ़ते हैं थोड़ा बहुत।
आठवीं की छात्रा रूपा कुमारी ने बताया कि वह 4 साल से इस स्कूल में पढ़ रही है लेकिन कभी यहां संस्कृत की पढ़ाई नहीं हुई जिससे संस्कृत पढ़ने वाले बच्चों को बहुत दिक्कतें पेश आ रही हैं।
इस स्कूल में विज्ञान के शिक्षक मोहम्मद मोतबर आलम ने बताया कि तीनों स्कूलों को मिलाकर लगभग 1200 बच्चे नामांकित हैं लेकिन शिक्षकों की संख्या सिर्फ 14 है जिससे काफी परेशानी होती है। उन्होंने कहा कि स्कूल में भाषा के शिक्षकों की बहुत कमी है, खासकर संस्कृत की पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं हो पा रही है।
इस मामले में हमने कदवा प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी राजमणि महतो से फ़ोन पर बात की, तो उन्होंने शिक्षकों की कमी को स्वीकार किया और कहा कि ऐसा बहुत से स्कूलों में है, जिन्हें हाल ही में अपग्रेड किया गया है। लेकिन धीरे धीरे इसमें सुधार भी किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही शिक्षकों की बहाली प्रक्रिया शुरू होने वाली है और यह काम एक साल के अंदर हो जाने की पूरी उम्मीद है।
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